बात 1955 की है। नेहरू PM थे, के डी मालवीय मंत्री।

कोशिश शुरू हुई कि भारत तेल, प्राकृतिक गैस के लिये अपनी सरकारी कम्पनी बनाये।अमरीका समेत दुनिया के कई ताकतवर देशों ने दबाव डाला कि भारत में असम ऑल कम्पनी है, तो सरकार को क्यों इसमें उतरना चाहिए।

कहा कि गरीब भारत को अपनी पूँजी..1/n
ताकतवर देशों ने कहा कि गरीब भारत को अपनी पूँजी कहीं और लगानी चाहिये। ऊर्जा की ज़रूरत पूरी करने के लिए तो कई देश तैयार हैं।

संसद में गर्मागर्म बहस भी हुई। लेकिन नेहरू और मालवीय दृढ़ रहे। कहा कि आज़ाद भारत ऊर्जा क्षेत्र से अलग नहीं रह सकता।

इसलिए तब ONGC बनाया गया।
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ONGC भारत में उपलब्ध तेल का 70%, गैस का 85% का उत्पादन करता रहा है।

2014 में ONGC का कैश रिज़र्व ₹ 10,799 करोड़ था। इसकी सहयोगी कम्पनी ONGC Videsh 17 देशों में सक्रिय थी।

लेकिन इस साल ये कैश रिज़र्व घट कर ₹968 करोड़ रह गया!

ONGC के पास कैश दस गुना कम हो गया, क्यों?
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इसका असर क्या हुआ?

2014 में नए तेल/गैस कुओं की खोज में और कुओं के विकास के लिए ONGC ने ₹20205 करोड़ खर्च किए थे।

2020 में ये खर्च सिमट कर ₹ 10689 रह गया!

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2013 में ONGC ने पेट्रोलियम की क़ीमतें क़ाबू रखने के लिए 89765 अरब रुपए underwrite किये।

लेकिन 2019 और 2020 में ₹32441 करोड़ का क़र्ज़ लिया।

इस क़र्ज़ से BPCL और GSPC शेयर मजबूरी में ख़रीदे, क्यूँकि सरकार को पैसा चाहिए था।

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2014 में ONGC का शेयर क़रीब ₹ 450 का था, आज क़रीब ₹100 का है!

क्यों?
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