1966 : उ. प्र. का विधानसभा चुनाव। कांग्रेस का प्रचार करने बृजमंगल राय(मंत्रीजी) कांग्रेसी उम्मीदवार विजय शंकर राय के साथ एक गाँव में गए। किसी के दरवाजे पर बैठ वोट संबंधी बातों का जुगाली चालू था। तभी गाँव का एक लड़का। उम्र सिर्फ 17-18 साल। शिक्षा हाई स्कूल पास।
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कांग्रेसियों की खबर पाते दौड़ पड़ा। जहाँ सभी लोग बैठे थे, वहीं एक मिट्टी की दीवार पर चढ़ गया और उसकी किशोर सुलभ जोशीली आवाज़ कांग्रेस के ख़िलाफ़ आग उगलने लगी। उम्मीदवार विजयशंकर बाबू के साथ बृजमंगल जी भी खिलाफ भी। उसे सुनने के लिए उसके इर्द-गिर्द भी एक छोटी भीड़ आ गई। २/७
"आदरणीय महानुभावो! मेरे प्यारे ग्रामीण मतदाताओं!! आप सबको जानना चाहिए कि आज़ादी मिलने के साथ ही कांग्रेस का उद्देश्य खत्म हो गया है। और जब उद्देश्य खत्म तो कांग्रेस भी खत्म होनी चाहिए। यह बात मैं नहीं बल्कि गाँधी जी ने कहा था। अब कांग्रेस नाम का उपयोग सत्ता के लिए हो रहा है।"३/७
".. ये सभी चोरकट हैं, रँगुआ सियार हैं। इनके बहकावे में न आएँ। जोर से नारा लगाइये--
-- 'गाँव-गाँव में मचा है शोर'
-- 'कांग्रेस में सभी हैं चोर' आसपास के लड़के बोल उठे।
- 'जनता को भरमाया है'
अन्य लड़के - 'फिर बृज मंगल आया है'
- 'हमारी मुहर कहाँ लगेगी?'
- 'दीपक के निशान पर'
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-- 'गाँव-गाँव में मचा है शोर'
-- 'कांग्रेस में सभी हैं चोर' आसपास के लड़के बोल उठे।
- 'जनता को भरमाया है'
अन्य लड़के - 'फिर बृज मंगल आया है'
- 'हमारी मुहर कहाँ लगेगी?'
- 'दीपक के निशान पर'
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प्रचार में आए कांग्रेसी सन्न! गुस्से के मारे उम्मीदवार विजयशंकर बाबू उठकर चल दिए लेकिन बृजमंगल राय (मंत्रीजी) की प्रसन्न निगाहें लड़के की तरफ टिक गई थी। लड़के के पास आकर बोले, ' वाह बेटा! तबियत खुश कर दिया। इतना निडर, बोलता लड़का अपने गाँव-जवार में कहाँ दिखाई दे रहा है।'
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बृजमंगल जी उस वक्त जिला कांग्रेस कमेटी गाजीपुर(यूपी) के अध्यक्ष थे तथा बाद में मंडल कांग्रेस कमेटी के महामंत्री भी रहे। उक्त घटना के करीब 7 साल बाद भी उनके प्रबंधन में चल रहे एक महाविद्यालय में शिक्षक पद के लिए नारा लगाने वाला लड़का साक्षात्कार देने पहुँचा।
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साक्षात्कार के बाद कई लोगों ने बृजमंगल जी को याद दिलाया कि ये वही लड़का है, जो आप लोगों के खिलाफ नारा लगाता रहता है। इस पर उन्होंने कहा कि, 'कम से कम बोलत बा नऽ,डिग्री कॉलेज में बोले वाला ही चाही'। लड़का महाविद्यालय में नियुक्त हुआ। वो लड़का और कोई नहीं, मैं ही था। 
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