भाजपा जानती है कि किसानों के साथ जो अन्याय उन्होंने किया है उससे किसान वोट अब उनके हाथों से निकल चुका है ।
मिडल क्लास का वोट थामे रखने के लिए मीडिया और दीप सिद्धू जैसे दलाल का उपयोग कर किसानों को विलेन बनाने की कोशिश करी गयी ।
ये सब मिडल क्लास को बहकाने के लिए किया गया ।
मिडल क्लास का वोट थामे रखने के लिए मीडिया और दीप सिद्धू जैसे दलाल का उपयोग कर किसानों को विलेन बनाने की कोशिश करी गयी ।
ये सब मिडल क्लास को बहकाने के लिए किया गया ।
मिडल क्लास को बहकाना सबसे आसान है क्यूँकि उनकी प्रगति चाहे रुकी हो, वो भूके नहीं मर रहे ।
दूसरा, वो संगठित नहीं हैं ।
तीसरा, tv और IT सेल, WhatsApp के जाल में फँसे हैं ।
भाजपा की स्ट्रैटेजी - इन्हें राष्ट्रवाद के नाम पर नए नए झुनझुने थमाते रहो ।
दूसरा, वो संगठित नहीं हैं ।
तीसरा, tv और IT सेल, WhatsApp के जाल में फँसे हैं ।
भाजपा की स्ट्रैटेजी - इन्हें राष्ट्रवाद के नाम पर नए नए झुनझुने थमाते रहो ।
मोदी सरकार को लगा कि किसान आंदोलन मिडल क्लास को भी प्रभावित करने लगा है ।
उनकी भी अंतरात्मा जाग रही है , इसीलिए किसान को - उपद्रवी, आतंकवादी, ख़ालिस्तानी बता दो ।
26 जनवरी को भाजपा द्वारा कराए और गोदी मीडिया पर चलाए ड्रामे से मिडल क्लास फिर कन्फ़्यूज़ हो गयी ।
उनकी भी अंतरात्मा जाग रही है , इसीलिए किसान को - उपद्रवी, आतंकवादी, ख़ालिस्तानी बता दो ।
26 जनवरी को भाजपा द्वारा कराए और गोदी मीडिया पर चलाए ड्रामे से मिडल क्लास फिर कन्फ़्यूज़ हो गयी ।
फिर मिडल क्लास को समझाया गया कि देश अब किसानों के ख़िलाफ़ हो गया है ।
फ़ोर्स को tv पर दिखा दिखा इम्प्रेस किया गया ।
बताया गया कि किसान तो ख़ुद बॉर्डर छोड़ कर जा रहा है ।
लेकिन इस सब प्रपंच में एक ग़लती कर दी ।
एक चौधरी को आँसू बहाने पर मजबूर कर दिया ।
फ़ोर्स को tv पर दिखा दिखा इम्प्रेस किया गया ।
बताया गया कि किसान तो ख़ुद बॉर्डर छोड़ कर जा रहा है ।
लेकिन इस सब प्रपंच में एक ग़लती कर दी ।
एक चौधरी को आँसू बहाने पर मजबूर कर दिया ।
टिकैत साहब के आँसू सिर्फ़ किसानों के दिल पर नहीं लगे बल्कि गाँव और खेत से दूर हो चुकी मिडल क्लास की अंतरात्मा पर भी लगे हैं ।
वह फिर जाग रही है।
अब सोना नहीं है।
अंधभक्त नहीं बनना।
झुनझुना नहीं पकड़ना।
किसानों से सीखना है कि संगठित कैसे हुआ जाता है, हक़ के लिए कैसे लड़ा जाता है।
वह फिर जाग रही है।
अब सोना नहीं है।
अंधभक्त नहीं बनना।
झुनझुना नहीं पकड़ना।
किसानों से सीखना है कि संगठित कैसे हुआ जाता है, हक़ के लिए कैसे लड़ा जाता है।
एक बार मिडल क्लास जाग जाए , अपने और देश के साथ हो रहे खेल को समझ जाए तो फिर सरकार और कोई जनविरोधी फ़ैसला नहीं ले पाएगी ।
उसे पूँजीपतियों का हाथ छोड़ जनता के साथ आना पड़ेगा ।
इस सरकार को बस इस ही बात का डर है ।
उसे पूँजीपतियों का हाथ छोड़ जनता के साथ आना पड़ेगा ।
इस सरकार को बस इस ही बात का डर है ।