#बिहार में राजा-रजवाड़ों या महंतों ने भले ही उद्योग स्थापित करने या अस्पताल बनवाने में कुछ खास दिलचस्पी न दिखाई हो लेकिन उन्होंने मंदिरों के निर्माण में खूब उदारता दिखाई। इन्हीं में एक बेगूसराय शहर में स्थित प्रसिद्ध #नौलखा_मंदिर राम-सीता जी को समर्पित हिंदू मंदिर है।
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मंदिर का आकार और सजावट दोनो ही काफ़ी सुंदर है। पूरे मंदिर को अंदर और बाहर दोनो तरफ़ से छोटे छोटे अद्भुत, रंगीन और बिभिन्न आकार् के शीशे से सजाया गया है। इसके दर्शन मत्र से आपको ये अंदाजा भी हो जयेगा। मंदिर का द्वार आपको प्राचीन काल की याद दिला देगी।
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मंदिर के अंदर का माहौल काफ़ी शांत और भक्तिमय है, यहाँ आकर आपको भक्ति और शांति का अनुभव ज़रूर होगा। मंदिर के चरो तरफ़ की हरियाली बेशक मनमोहक है। फ़ूल-पत्तियोँ और पेड़-पौधों से सजा हुआ ये मन्दिर आपको दुबारा यहाँ खिंच लायेगी। ये बेगुसराय के अच्छे पिकनिक स्थल में से एक है।
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भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण ने बेगूसराय जिले में सबसे पुराने स्थान के रूप में इस जगह को परिभाषित किया। यहाँ विदेशों से भी लोग आते हैं लेकिन हालत अच्छा नहीं हैं। भव्य प्रवेशद्वार, साधु-संतों व सुरक्षाकर्मियों के ठहरने के लिए तथा भंडारे के लिए भवन बनाए गए।
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मंदिर का निर्माण 1953 में संत महावीर दास ने करवाया था। स्थापना के समय साफ लिखा गया कि इसकी संपत्ति बेचने का अधिकार किसी को नहीं है लेकिन आज कई लोग पूर्व के महंतों से जमीन खरीदने का दावा कर रहे हैं। आज भी कागजों में मंदिर के पास 200 एकड़ जमीन है लेकिन कब्जे में मात्र 35 एकड़ ह।5/6
उपेक्षा का शिकार बेगूसराय का नौलखा मंदिर। आजादी के तुरंत बाद बनाए गए इस मंदिर पर उस समय नौ लाख रुपए खर्च हुए थे और मंदिर प्रबंधन का दावा है कि यह देश का इकलौता मंदिर है जिसमें शीशे की इतनी आकर्षक कलाकृतियाँ लगी हैं। 6/6
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