" #वेशभूषा" और " #पहनावे" से कुछ नहीं होता!
महिला दिवस के दिन मोहल्ले में महिला सभा का आयोजन किया गया, सभा स्थल पर महिलाओं की संख्या अधिक और पुरुषों की कम थी।मंच पर तकरीबन पच्चीस वर्षीय खुबसूरत युवती, आधुनिक वस्त्रों से सुसज्जित, माइक थामें कोस रही थी पुरुष समाज को
@khusboomishra1
वही पुराना आलाप..कम और छोटे कपड़ों को जायज,और कुछ भी पहनने की स्वतंत्रता का बचाव करते हुए, पुरुषों की गन्दी सोच और खोटी नीयत का दोष बतला रही थी।
तभी अचानक सभा स्थल से..तीस बत्तीस वर्षीय सभ्य, शालीन और आकर्षक से दिखते नवयुवक ने खड़े होकर अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति मांगी।
👇
अनुमति स्वीकार कर अनुरोध माइक उसके हाथों मे सौप दिया गया हाथों में माइक आते ही उसने बोलना शुरु किया....
"माताओं, बहनों और भाइयों, मैं आप सबको नही जानता और आप सभी मुझे नहीं जानते कि आखिर मैं कैसा इंसान हूं? लेकिन पहनावे और शक्ल सूरत से मैं आपको कैसा लगता हूँ बदमाश या शरीफ?"
👇
सभास्थल से कई आवाजें गूंज उठीं... पहनावे और बातचीत से तो आप शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो....
बस यहि सुनकर, अचानक ही उसने अजीबोगरीब हरकत कर डाली... सिर्फ हाफ पैंट टाइप की अपनी अंडरवियर छोड़ कर के बांकि सारे कपड़े मंच पर ही उतार दिये। ये देख कर .पूरा सभा
👇
स्थल आक्रोश से गूंज उठा, मारो मारो गुंडा है, बदमाश है, बेशर्म है, शर्म नाम की चीज नहीं है इसमें.... मां बहन का लिहाज नहीं है इसको, नीच इंसान है, ये छोड़ना मत इसको....
ये आक्रोशित शोर सुनकर... अचानक वो माइक पर गरज उठा...
"रुको... पहले मेरी बात सुन लो, फिर मार भी लेना चाहे तो
👇
जिंदा जला भी देना मुझको। अभी अभी तो....ये बहन जी कम कपड़े , तंग और बदन नुमाया छोटे छोटे कपड़ों की पक्ष के साथ साथ स्वतंत्रता की दुहाई देकर गुहार लगाकर.
"नीयत और सोच में खोट" बतला रही थी..
तब तो आप सभी तालियां बजा-बजाकर सहमति जतला रहे थे। फिर मैंने क्या किया है? सिर्फ कपड़ों
👇
की स्वतंत्रता ही तो दिखलायी है।
"नीयत और सोच" की खोट तो नहीं ना और फिर मैने तो, आप लोगों को...मां बहन और भाई भी कहकर ही संबोधित किया था। फिर मेरे अर्द्ध नग्न होते ही..आप में से किसी को भी मुझमें "भाई और बेटा" क्यों नहीं नजर आया?? मेरी नीयत में आप लोगों को खोट कैसे नजर आ गया?
👇
मुझमें आपको सिर्फ "मर्द" ही क्यों नजर आया? भाई, बेटा, दोस्त क्यों नहीं नजर आया? आप में से तो किसी की "सोच और नीयत" भी खोटी नहीं थी... फिर ऐसा क्यों?? "
सच तो यही है कि...झूठ बोलते हैं लोग कि...
"वेशभूषा" और "पहनावे" से कोई फर्क नहीं पड़ता
हकीकत तो यही है कि मानवीय स्वभाव है
👇
कि किसी को सरेआम बिना "आवरण" के देखे लें तो कामुकता जागती है मन में...
रूप, रस, शब्द, गन्ध, स्पर्श ये बहुत प्रभावशाली कारक हैं इनके प्रभाव से विस्वामित्र जैसे मुनि के मस्तिष्क में विकार पैदा हो गया था। जबकि उन्हें सिर्फ रूप कारक के दर्शन किये! आम मनुष्यों की विसात कहाँ।
👇
रस रूप गंध शब्द स्पर्श इन विषयों का अनुभव करते समय योगिनी देवी रक्षा करें तथा सत्वगुण,रजोगुण,तमोगुण की रक्षा नारायणी देवी करें
अब बताइए, हम भारतीय हिन्दु महिलाओं को "हिन्दु संस्कार" में रहने को समझाएं तो स्त्रियों की कौन-सी "स्वतंत्रता" छीन रहे हैं???
संभालिए अपने आप और समाज
👇
को, क्योंकि भारतीय समाज और संस्कृति का आधार नारीशक्ति है और धर्म विरोधी, अधर्मी, चांडाल (बॉलीवुड, वामपंथी, इसे मिशनरी) ये हमारे समाज के आधार को तोड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं ।
You can follow @Banarsi_Pandit.
Tip: mention @twtextapp on a Twitter thread with the keyword “unroll” to get a link to it.

Latest Threads Unrolled:

By continuing to use the site, you are consenting to the use of cookies as explained in our Cookie Policy to improve your experience.