हमारे पूर्वज कितने महान थे और हमें क्यूं अपनी संस्कृति पर गर्व है ये इस लेख से आपको ज्ञात होगा हमारी भाषा से लेकर हमारा श्रृंगार तक सब कुछ विज्ञान पर आधारित है आज तो ये बड़े बड़े वैज्ञानिक भी मान चुके हैं
हमारे पूर्वजों ने श्रृंगार को पति की उम्र से जोड़ा लेकिन वास्तविकता में
ये स्त्री स्वास्थ्य के लिए था अब सबको समझाना मुश्किल था इसीलिए उसे धर्म से मंताओं से जोड़ दिया
बिंदी और मांग - माथे के बीचों बीच एकाग्रता का केंद्र है तंत्रिकाओं और रक्त वाहिकाओं का
संचरण होता है यहां इसीलिए पहले कुमकुम की बिंदी लगाई जाती थी जिससे मन शांत एकाग्र अनिद्रा मुक्ति
और सिर दर्द से राहत
चेहरे गर्दन पीठ की ऊपरी मासपेशियों को आराम मिलता है लेकिन आजकल की प्लास्टिक की बिंदी से नहीं।
सिंदूर ब्रह्मरंध्र को मस्तिष्क की सबसे महत्वपूर्ण और संवेदन शील ग्रंथि होती है तक लगाया जाता है इसमें उपस्थित पारा औषधि का कार्य करती है मन शांत तनाव दूर रक्तचाप
सही रखता है प्यूटरी ग्रंथि स्थिर रहती है
कमर से ऊपर सोने के और कमर से नीचे चांदी के आभूषणों का अपना महत्व है सोना गर्म अा और चांदी ठंडी होती है जिससे दोनों का शरीर में संतुलन बना रहता है
मंगलसूत्र वक्ष स्थल को और रक्तचाप को ठीक रखता है।सोने का पेंडेंट स्वर्ण भस्म जैसे कार्य करता
है।काले मोतियों से होकर निकलने वाली वायु रोगों से लडने व प्रतिरोध तंत्र को मजबूत बनाती है।
पीला धागा मां पार्वती और काला शिवजी का प्रतीक होता है

बिछुए वाली उंगली की एक विशेष नस गर्भाशय से जुड़ी होती है मासिक चक्र नियमित रहता है
चांदी विद्युत संचालक होने से पृथ्वी से उठा खींचकर पूरे शरीर को तरोताजा रखती है पायल नकारात्मक ऊर्जा दूर करके पैरों की हड्डियां मजबूत बनाती है।
कलाई के गहने या चूड़ी हृदय और श्वास रोग रोग में लाभ पहुंचाती है।
लाल हरे का विशेष लाभ होता है
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