@dharmicverangna @Mehulso69950237
किसान बिल के नए रिफार्म्स की जड़ क्या है? और, राजनेता इससे क्यों चिंतित हैं?
इसे सही ढंग से समझने के लिए, इस विश्लेषण को पढ़ें:
नई प्रणाली में, कृषि उपज के व्यापारियों को, केंद्रीय प्राधिकरण(Central Agency) के साथ अपना PAN NO.पंजीकृत करना होगा।
किसान बिल के नए रिफार्म्स की जड़ क्या है? और, राजनेता इससे क्यों चिंतित हैं?
इसे सही ढंग से समझने के लिए, इस विश्लेषण को पढ़ें:
नई प्रणाली में, कृषि उपज के व्यापारियों को, केंद्रीय प्राधिकरण(Central Agency) के साथ अपना PAN NO.पंजीकृत करना होगा।
*प्रथम स्तर का लेनदेन (जो किसान और व्यापारी के बीच होगा), जीएसटी प्रणाली के दायरे से बाहर होगा।यहां तक कोई समस्या नहीं है।*
धीरे-धीरे, कृषि व्यापार कर रहे पंजीकृत व्यापारियों को, जीएसटी प्रणाली के दायरे मे लाया जाएगा। कृषि उपज की बिक्री और पूरी आय, सरकार के रिकॉर्ड में मिल जाएगी।
धीरे-धीरे, कृषि व्यापार कर रहे पंजीकृत व्यापारियों को, जीएसटी प्रणाली के दायरे मे लाया जाएगा। कृषि उपज की बिक्री और पूरी आय, सरकार के रिकॉर्ड में मिल जाएगी।
*GAME यहाँ से शुरू होगा। किसान तो हमेशा आयकर और जीएसटी प्रणाली से मुक्त रहेंगे; लेकिन, जो ट्रेडर्स (पंजीकृत व्यापारी) इन एग्रीकल्चर प्रोडक्ट को आगे अप-स्ट्रीम मे बेचते हैं, उन्हें जीएसटी और इनकम टैक्स के दायरे में लाया जाएगा। उन्हें टैक्स का भुगतान करना होगा।*
इसे यहाँ आसानी से समझने के लिए एक उदाहरण:
*अगर सुप्रिया सुले और पी. चिदंबरम को, अपने अंगूर और गोभी व्यापारियों को 500 करोड़ रुपये में बेचना है; तो, उन्हें आयकर से छूट रहेगी, लेकिन उन्हें अपने आईटीआर में जिस व्यापारी को माल बेचा है, उसका PAN NO. बतलाना होगा।*
*अगर सुप्रिया सुले और पी. चिदंबरम को, अपने अंगूर और गोभी व्यापारियों को 500 करोड़ रुपये में बेचना है; तो, उन्हें आयकर से छूट रहेगी, लेकिन उन्हें अपने आईटीआर में जिस व्यापारी को माल बेचा है, उसका PAN NO. बतलाना होगा।*
ट्रेडर को अप-स्ट्रीम में माल को बेचकर, अपनी आय के 500 करोड़ रुपये पर, आयकर और जीएसटी का भुगतान करना होगा।
*कल्पना कीजिए कि, यदि कोई अंगूर और गोभी है ही नहीं (सिर्फ भ्रष्टाचार का पैसा है) तो स्वाभाविक रूप से, माल खरीदने वाला व्यापारी सुप्रिया सुले (शरद पवार की सुपुत्री) या
*कल्पना कीजिए कि, यदि कोई अंगूर और गोभी है ही नहीं (सिर्फ भ्रष्टाचार का पैसा है) तो स्वाभाविक रूप से, माल खरीदने वाला व्यापारी सुप्रिया सुले (शरद पवार की सुपुत्री) या
चिदंबरम जैसे लोगों से जीएसटी और आयकर वसूल करेगा। भाई, वो व्यापारी भला क्यों अपना नुकसान करके माल खरीदेगा, जिस पर उसे GST देना पड़े।*
*इसलिए, सुले, चिदंबरम, सुखबीर सिंह बादल आदि, भ्रष्ट नेताओं को, जो कमीशन एजेंट और दलाल हैं, उन्हें अपनी कृषि आय दिखाने के लिए अब एक बड़ी रकम का भुगतान इनकम टैक्स और GST के रूप में करना होगा।*
ये रकम करोड़ों में नही बल्कि अरबों में है।
ये रकम करोड़ों में नही बल्कि अरबों में है।
ईमानदार किसान, जिनके पास वास्तव में कृषि उपज होगी, वे इस दायरे से मुक्त रहेंगे।
*यही इस मामले कि जड़ है। इसलिए तो सारे भ्रष्टाचारी बिलबिला रहे हैं। यदि ये बिल लागू हुआ तो उनके भ्रष्टाचार से कमाए ख़ज़ाने में छेद हो जायेगा।*
*यही इस मामले कि जड़ है। इसलिए तो सारे भ्रष्टाचारी बिलबिला रहे हैं। यदि ये बिल लागू हुआ तो उनके भ्रष्टाचार से कमाए ख़ज़ाने में छेद हो जायेगा।*
*पंजाब और महाराष्ट्र में कृषिगत भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा है। साथ ही राबर्ट वाड्रा के साम्राज्य का बड़ा हिस्सा हरियाणा में है। इसलिए, विरोध भी वहीं से आ रहा है!*
यदि कल को अम्बानी या अडानी इन किसानों से माल खरीदते हैं तो उन्हें भी उस खरीद पर सरकार को GST और टैक्स देना होगा
यदि कल को अम्बानी या अडानी इन किसानों से माल खरीदते हैं तो उन्हें भी उस खरीद पर सरकार को GST और टैक्स देना होगा
जो कि अब तक टैक्स से बचे हुए थे।
अब आप समझ सकते हैं कि सारे विपक्षी राजनेता, आंदोलनकारियों की भीड़ इकट्ठा करने में इतना भारी धन क्यों खर्च रहे हैं।
भारत से भ्रष्टाचार को खत्म करना है, तो इस बिल के पीछे छुपी राष्ट्र निर्माण की सही मंशा को समझना होगा।इस बिल का समर्थन भी करना होगा।
अब आप समझ सकते हैं कि सारे विपक्षी राजनेता, आंदोलनकारियों की भीड़ इकट्ठा करने में इतना भारी धन क्यों खर्च रहे हैं।
भारत से भ्रष्टाचार को खत्म करना है, तो इस बिल के पीछे छुपी राष्ट्र निर्माण की सही मंशा को समझना होगा।इस बिल का समर्थन भी करना होगा।