1.एक जमाना था, तन ढकने को कपड़े कम थे,*
*फिर भी लोग तन ढकने का प्रयास करते थे।*
*आज कपड़ों के भंडार हैं,*
*फिर भी तन दिखा ने का प्रयास करते है ।*
●हम समझदार जो हो गए हैं ।
*फिर भी लोग तन ढकने का प्रयास करते थे।*
*आज कपड़ों के भंडार हैं,*
*फिर भी तन दिखा ने का प्रयास करते है ।*
●हम समझदार जो हो गए हैं ।
2.एक जमाना था,*
*आवागमन के साधन कम थे।*
*फिर भी लोग सुख दुःख में परिजनों से मिलने जाते थे।*
*आज आवागमन के साधनों की भरमार है,*
*फिर भी लोग न आ सकने के बहाने बताते है।*
●हम समझदार जो हो गए हैं ।
*आवागमन के साधन कम थे।*
*फिर भी लोग सुख दुःख में परिजनों से मिलने जाते थे।*
*आज आवागमन के साधनों की भरमार है,*
*फिर भी लोग न आ सकने के बहाने बताते है।*
●हम समझदार जो हो गए हैं ।
3.एक जमाना था,
गाँव की बेटी का सब ख्याल रखते थे।
आज पड़ोसी की बेटी को भी उठा ले जाते है।
4.एक जमाना था,
लोग नगर-मौहल्ले के बुजुर्गों का हालचाल पूछते थे।
आज माँ-बाप तक को वृद्धाश्रम मे छोड़ आते है,
और सुबह से शाम तक शब्दों से अपमानित करते हैं
हम समझदार जो हो गए हैं
गाँव की बेटी का सब ख्याल रखते थे।
आज पड़ोसी की बेटी को भी उठा ले जाते है।
4.एक जमाना था,
लोग नगर-मौहल्ले के बुजुर्गों का हालचाल पूछते थे।
आज माँ-बाप तक को वृद्धाश्रम मे छोड़ आते है,
और सुबह से शाम तक शब्दों से अपमानित करते हैं
हम समझदार जो हो गए हैं
5.एक जमाना था,*
*खिलौनों की कमी थी।*
*फिर भी मौहल्ले भर के बच्चे साथ खेला करते थे।*
*आज खिलौनों की भरमार है,*
*पर घर-द्वार तक बंद हैं।*
●हम समझदार जो हो गए हैं ।
*खिलौनों की कमी थी।*
*फिर भी मौहल्ले भर के बच्चे साथ खेला करते थे।*
*आज खिलौनों की भरमार है,*
*पर घर-द्वार तक बंद हैं।*
●हम समझदार जो हो गए हैं ।
6.एक जमाना था,*
*गली-मौहल्ले के जानवर तक को रोटी दी जाती थी ।*
*आज पड़ोसी के बच्चे भी भूखे सो जाते हैं , हमें मालूम ही नहीं पड पाता हैं।*
●हम समझदार जो हो गए हैं ।
*गली-मौहल्ले के जानवर तक को रोटी दी जाती थी ।*
*आज पड़ोसी के बच्चे भी भूखे सो जाते हैं , हमें मालूम ही नहीं पड पाता हैं।*
●हम समझदार जो हो गए हैं ।