भारत से हिंदुस्तान और इंडिया तक :

हिंदुस्तान : सिन्धु = हिंदू + स्थान = हिंदुस्थान = हिंदुस्तान

सर्वप्रथम, हिंदू शब्द की उत्पत्ति पर विचार करें तो यह शब्द ‘सिंधु‘ से आया है। सिंधु अथवा सिंध शब्द को हिंदू या हिन्द भी भारतीयों ने ही कहना शुरू किया।

१/१६
आज भी गुजरात में ‘स’ को ‘ह’ उच्चारित किया जाता है, सकारात्मक को हकारात्मक कहा जाता है।

प्राचीन समय में लोगों का उत्तम निवास वही स्थान होता था जहां पानी की उपलब्धता हो और जगह कृषि के लिए भी उत्तम हो।

२/१६
ध्यान दें तो पाएंगे कि गंगा के क्षेत्र का इतिहास (काशी, प्रयाग आदि क्षेत्र) प्राचीनतम है।

आधुनिक विज्ञान के अनुसार मध्य में नर्मदा के किनारे मिले मानव खोपड़ी के जीवाश्म लाखों वर्ष प्राचीन हैं वहीं भीमबैठका की गुफाओं में मिले

३/१६
शैलचित्र पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के माने जाते हैं।

इसी प्रकार सिंधु के किनारे हड़प्पा की सभ्यता का प्रमाण हमें मिल ही चुका है। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन काल में सिंधु नदी का क्षेत्र एक भूमि चिन्ह (Land Mark) के रूप में प्रयोग किया जाता रहा होगा।

४/१६
प्राचीन समय में जो भी भारत आया उनमें से अधिकतर सिंधु को पार कर आये, उन्होंने सिंधु पार के लोगों को हिंदू कहना प्रारंभ कर दिया और यह स्थान हिंदुस्थान कहा गया। कालांतर में यही हिंदुस्थान हिंदुस्तान बना।

५/१६
इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम पारसियों ने ‘दासातीर’ नामक ग्रंथ में किया ज्ञातव्य है कि पारसी भी ‘स’ को ‘ह’ उच्चारित करते थे। जरथुस्त्र के ग्रंथ में भी हिंदुस्तान शब्द आया है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारत राष्ट्र के लिए यह शब्द प्राचीन नहीं है क्योंकि

६/१६
सिंधु की सीमा प्राचीन अखण्ड भारत का अर्धभाग ही है।

तब सभी लोग जो इस क्षेत्र में निवास करते थे वह हिंदू ही कहे गए, हालांकि तब उनमें सनातनधर्मियों के अतिरिक्त कोई था ही नहीं अतः संबोधन सभी के लिए था।

७/१६
बाद के समय में बहुत से विद्वानों ने इसे माना और कहा कि यह सम्बोधन इस क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों के लिए है।

वीर सावरकर के अनुसार :

आसिन्धुसिन्धुपर्यन्ता यस्य भारतभूमिकाः।
पितृभूपुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितिस्मृतः ॥

८/१६
अर्थ: प्रत्येक व्यक्ति जो सिन्धु से समुद्र तक फैली भारतभूमि को साधिकार अपनी पितृभूमि एवं पुण्यभूमि मानता है, वह हिंदू है।

इंडिया : सिंध = हिन्द = इण्ड = इंडिया

प्राच्यां तदेरियानाप्रान्तात्प्रत्यग्गिरेः सुलेमानात्।
प्रान्तोऽयमिण्डियाख्यः कथितोऽनार्य्यैः स आर्य्यवसतित्वात॥

९/१६
एरियाना से पूर्व में सुलेमान पर्वत से पश्चिम का भाग आर्यों का निवास होने के कारण अनार्यों द्वारा ‘इंडिया’ कही गई।

मार्गीयाना (मेरु) के नीचे की ओर हिन्दकुश पर्वत के दक्षिण से निकल कर पश्चिम, पूर्व व उत्तर में शरीफि पर्वत के पश्चिम से सटी हुई जो नदी बहती है

१०/१६
जिसे आज लोग ‘सरयू नदी’ कहते हैं, इसी सरयू नदी के दक्षिण प्रान्त को अनार्यों द्वारा ‘एरियाना’ नाम दिया गया था।

इस शब्द की उत्पत्ति भी मूल सिंधु शब्द से ही हुई। जब अंग्रेज आये तब सिंध हिन्द कहा जाता है। अंग्रेज HIND शब्द में H (ह) का उच्चारण ठीक से नहीं कर पाते थे,

११/१६
अतः उन्होंने इण्ड कहना प्रारम्भ कर दिया और इस क्षेत्र को इंडिया कहने लगे।

एक प्रश्न यहां और आता है कि आर्य किसे कहा गया?

आर्य एक वैदिक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘श्रेष्ठ’।

ऋग्वेद ९/६३/५ के अनुसार :

इंद्रम् वर्धन्तो अप्तुर: कृण्वन्तो विश्वमार्यम् ।
अपघ्नन्तो अराव्ण: ॥

१२/१६
(इन्द्रम्) आत्मा को (वर्धन्तः) बढ़ाते हुए, दिव्य गुणों से अलंकृत करते हुए (अप्तुरः) तत्परता के साथ कार्य करते हुए (अराव्णः) अदानशीलता को, ईर्ष्या-द्वेष-द्रोह की भावनाओं को, शत्रुओें को, (अपघ्नन्तः) परे हटाते हुए (विश्‍वम्) सम्पूर्ण विश्‍व को समस्त संसार को

१३/१६
(आर्यम्) आर्य अर्थात श्रेष्ठ (कृण्वन्तः) बनाते हुए हम सर्वत्र विचरें।

उस काल में सरयू नदी के किनारे रहने वाले लोग श्रेष्ठ अर्थात आर्य ही थे इस बात का भी प्रमाण ऋग्वेद में ही मिल जाता है।

१४/१६
ऋग्वेद के चौथे मंडल के ३०वें सूक्त की १८वीं ऋचा कहती है : “उ॒त त्या स॒द्य आर्या॑ स॒रयो॑रिन्द्र पा॒रतः॑। अर्णा॑चि॒त्रर॑थावधीः ॥”

इस बात से इस मान्यता का भी खण्डन स्वतः ही हो जाता है जिसके अनुसार आर्यों को भारत से बाहर का आया हुआ बताया गया।

१५/१६
You can follow @sambhashan_in.
Tip: mention @twtextapp on a Twitter thread with the keyword “unroll” to get a link to it.

Latest Threads Unrolled:

By continuing to use the site, you are consenting to the use of cookies as explained in our Cookie Policy to improve your experience.