कुछ लोगों ने मनुस्मृति को लेकर बहुत सी भ्रांतियाँ फैला रखी हैं एवं इसे स्त्री विरोधी घोषित कर दिया है
ये वही लोग है जिन्होंने कभी मनुस्मृति को पढ़ा भी नही होगा ।
मनुस्मृति में स्त्रियों को सर्वोच्च स्थान दिया गया है । इस thread में मैं प्रमाण के साथ ये बातें प्रस्तुत कर रहा हूँ
ये वही लोग है जिन्होंने कभी मनुस्मृति को पढ़ा भी नही होगा ।
मनुस्मृति में स्त्रियों को सर्वोच्च स्थान दिया गया है । इस thread में मैं प्रमाण के साथ ये बातें प्रस्तुत कर रहा हूँ
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।
-मनुस्मृति ३/५६
जिस कुल में नारियों का सत्कार होता है उस कुल में देवताओं का वास होता है, और जिस कुल में स्त्रियों की पूजा नहीं होती है वहां उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।
-मनुस्मृति ३/५६
जिस कुल में नारियों का सत्कार होता है उस कुल में देवताओं का वास होता है, और जिस कुल में स्त्रियों की पूजा नहीं होती है वहां उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।
शोचन्ति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तत्कुलम् ।
न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा
-मनुस्मृति ३/५७
जिस कुल में पारिवारिक स्त्रियां दुर्व्यवहार के कारण दुःखी रहती हैं उस कुल का शीघ्र ही विनाश हो जाता है, इसके विपरीत जहाँ स्त्रियां प्रसन्नचित्त रहती हैं, वह कुल प्रगति करता है
न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा
-मनुस्मृति ३/५७
जिस कुल में पारिवारिक स्त्रियां दुर्व्यवहार के कारण दुःखी रहती हैं उस कुल का शीघ्र ही विनाश हो जाता है, इसके विपरीत जहाँ स्त्रियां प्रसन्नचित्त रहती हैं, वह कुल प्रगति करता है
जामयो यानि गेहानि शपन्त्यप्रतिपूजिताः।
तानि कृत्याहतानीव विनश्यन्ति समन्ततः ३/५८
जिन घरों में पारिवारिक स्त्रियां निरादर के कारण असंतुष्ट रहते हुए शाप देती हैं, यानी परिवार की अवनति के भाव उनके मन में उपजते हैं, वे घर कृत्याओं के द्वारा सभी प्रकार से बरबाद से हो जाते हैं।
तानि कृत्याहतानीव विनश्यन्ति समन्ततः ३/५८
जिन घरों में पारिवारिक स्त्रियां निरादर के कारण असंतुष्ट रहते हुए शाप देती हैं, यानी परिवार की अवनति के भाव उनके मन में उपजते हैं, वे घर कृत्याओं के द्वारा सभी प्रकार से बरबाद से हो जाते हैं।
तस्मादेताः सदा पूज्या भूषणाच्छादनाशनैः । भूतिकामैर्नरैर्नित्यं सत्करेषूत्सवेषु च ।५९
ऐश्वर्य की इच्छा करने वाले पुरूषों को चाहिए कि स्त्रियों को सत्कार के अवसरों और उत्सवों में भूषण, वस्त्र, खान – पान आदि से सदा पूजा अर्थात् सत्कारयुक्त प्रसन्न रखें।
ऐश्वर्य की इच्छा करने वाले पुरूषों को चाहिए कि स्त्रियों को सत्कार के अवसरों और उत्सवों में भूषण, वस्त्र, खान – पान आदि से सदा पूजा अर्थात् सत्कारयुक्त प्रसन्न रखें।
पितृभिर्भ्रातृभिश्चैताः पतिभिर्देवरैस्तथा ।
पूज्या भूषयितव्याश्च बहुकल्याणं ईप्सुभिः ।।
पिता, भ्राता, पति और देवर को अपनी कन्या, बहन, स्त्री और भाभी आदि स्त्रियों की सदा पूजा करें अर्थात् यथायोग्य मधुरभाषण, भोजन, वस्त्र, आभूषण आदि से प्रसन्न रक्खें ।
पूज्या भूषयितव्याश्च बहुकल्याणं ईप्सुभिः ।।
पिता, भ्राता, पति और देवर को अपनी कन्या, बहन, स्त्री और भाभी आदि स्त्रियों की सदा पूजा करें अर्थात् यथायोग्य मधुरभाषण, भोजन, वस्त्र, आभूषण आदि से प्रसन्न रक्खें ।
मनुस्मृति को अपमानित करना हिन्दू धर्म के ख़िलाफ़ चल रहे षड्यंत्र का ही एक हिस्सा है । हमें इस षड्यंत्र को कामयाब नही होने देना है ।
जय सनातन धर्म
जय सनातन धर्म

