आजकल तथाकथित किसान आंदोलन चल रहा नए कृषि से सम्बंधित तीन काले कानूनों के खिलाफ,आये दिन वहॉ से वीडिओज़ आते है ,कभी मोदी को मारने की बाते तो कभी हिन्दू घृणा से सने हुए ज़हरीले वक्तव्य और कभी सिक्खों के लिए खलिस्तान की बाते,अभी साल नही बीता है पर ऐसा ही कुछ इस 2020 की शुरुआत में
में भी देखने को मिला था शाहीनबाग में CAA के विरोध के नाम पर,जैसा आज देखने को मिल रहा ठीक वैसा ही तब भी हुआ था ,वहॉ भी ऐसे ही फ्री की बिरयानी मिलती थी,500 रुपये रोज पर "धरनाकर्मी" आते थे,वही योगेंद्र यादव वहॉ भी थे,वही सिख मुस्लिम एकता भी थी,लगभग सब कुछ तो वैसा ही है ना
वहां भी ठीक वैसे ही लोग है जिन्हें नए कानूनों का abcd तक नही पता, जानकारी छोड़िए उन्हें तो नाम तक नही पता,याद है फरहान अख्तर.... और वो स्वरा भास्कर जिसने कहा था कि NRC का भी ड्राफ्ट है,याद तो होगा न वो जीशान अय्यूब,ये सब तो अब वहॉ भी है ना,कुछ भी तो नया नही है ,सब वैसा ही है
पर आपको लगता है कि ये सब कुछ शाहीनबाग से शुरू हुआ,हा ये एक रणनीति है जैसा कि आप भी समझ रहे,देश मे अफरातफरी फैलाने की,देश को अस्तव्यस्त करने की,क्योंकि वो जानते है वो चुनाव में जीत नही पाएंगे और लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती और कमजोरी भी यही है कि यहाँ अभिव्यक्ति की स्वन्त्रता के
नाम पर कुछ भी कहा किया और दिखाया जा सकता है,चंद लोग मिल कर सारे तंत्र को पंगु बना सकते है ,जैसा कि आपने शाहीनबाग और अभी कथित किसान आंदोलन में देख रहे,आम जनता को परेशान किया जा सकता है जो बस अपनी रोज की जिंदगी के बारे में सोचती है और ...
और आम जन की तकलीफ को दूर करने के प्रयास के लिए ऐसे कथित आंदोलन का विरोध करने वाले को @KapilMishra_IND भाई जैसा कथित आरोपी बना दिया जाता है,पर ऐसा पहले भी हुआ है,बहुत ज्यादा पीछे जाने की जरूरत नही ,बस 2016 का मथुरा का जवाहर बाग कांड याद कीजिये ,हा अखिलेश सरकार थी
सोचिये एक आदमी मार्च 2014 में एक अनाम सा संगठन बना कर सागर ,मध्यप्रदेश से मथुरा के 280 एकड़ के जवाहर बाग आता है ,जो कि ग़ाज़ीपुर के ही किसी गांव का रहने वाला था, उसका नाम रामवृक्ष यादव था,वो आता है सत्याग्रह के नाम पर और चंद दिन के लिए अनुमति लेता है और फिर 2 साल तक उस जगह कब्जा
जमा कर उसे देश के अंदर एक एक देश जैसा बना देता है,स्वयं की सत्ता स्थापित करता है,वहॉ वो भारत के संविधान को धता बता कर स्वयं की सत्ता स्थापित करता है,वो स्वयं की सेना तैयार करता है ,वो स्वयं की न्याय व्यवस्था तक बना लेता है और ये सब मार्च 2014 अब जून 2016 तक चलता हैज
जब तक कोर्ट हस्तक्षेप नही करती ,और जब कोर्ट हस्तक्षेप करती है तब वहां खूनी संघर्ष होता है,29 लोग मारे जाते है,जिनमे तत्कालीन sp city और थानाध्यक्ष भी थे,अजीब बात ये थी कि राज्य सरकार 2 साल तक सोती रहती है और कोई कार्यवाही नही करती है उस व्यक्ति/संगठन के विरुद्ध, क्या ये मान ले कि
उसे राज्य सरकार का मौन सहमति व संरक्षण प्राप्त था,खैर क्या हु कहूँ, कहते है कि वो व्यक्ति रामवृक्ष यादव वहॉ लगी आग में जल कर मर गया था,पर उसके शव से उसके पुत्र का DNA भी मैच नही हुआ,ये तो एक अलग सी बात है पर असल बात ये है कि बिना किसी राज्य सरकार के संरक्षण और सहमति के
ये कैसे संभव हो पाया,कोई व्यक्ति राज्य में समानांतर सत्ता कैसे चला सकता है भला ? वैसे इस कांड के बारे में आपको ढूंढने पर भी बहुत ज्यादा कुछ नही मिलेगा, क्यों नही मिलेगा वो आप ऐसे समझिए कि जैसे मुजफ्फरनगर दंगों पर भी आपने कोई वीडियो ,कोई खबर न्यूज़ चैनल पर देखी थी क्या ?
जा कर पढिये एक बार जवाहरबाग कांड को ,आप सिहर जाएंगे ,और फिर शाहीनबाग और वर्तमान किसान आन्दोलन की तरफ देखिए,कई समानताएं नजर आएंगी,चाहे वो दिल्ली से उठा एन्टी CAA प्रोटेस्ट वाला शाहीनबाग हो या फिर पंजाब से शुरू हुआ ये नए कृषि कानूनों के विरोध में ये कथित किसान आंदोलन
और हाँ एक बात और समझिए कि सब कुछ सिर्फ सरकार के हाथ मे नही हैं,हम और आप को भी लोकतंत्र की ब्लैकमेलिंग के खिलाफ अपनी आवाज़ उठानी ही पड़ेगी,वरना 2024 तक हमारी चुनी हुई बहुमत की सरकार को ब्लैकमेल करने के लिए ऐसे तथाकथित आन्दोलन और देखने को मिलेंगे
जय श्री राम
जय श्री राम


वैसे जवाहरबाग पर काफी कुछ लिख सकता था,पर वो आपके विवेक पर छोड़ दिया कि आप वो जानना भी चाहते है या नही ,एक बार खोज कर पढिये उसके बारे में भी
ये निवेदन है सबसे
