सभी सनातनियों को #गीता_जयंती की हार्दिक बधाइयां,
आइये जानते हैं गीता के बारे में,
गीता दुनिया का सबसे बड़ा मॉटिवेशन ग्रन्थ है जिसमें किसी भगवान के मेसेन्जर ने नहीं अपितु स्वयं श्री कृष्णा ने ज्ञान दिया था।
18 अध्याय के 700 श्लोकों से अर्जुन का पूरा कायापलट ही कर दिया श्री हरि ने।
गीतोपदेश के पहले अर्जुन की स्थिति ये थी कि वो युद्ध क्या गांडीव उठाने के लायक न था और गीतोपदेश के बाद न केवल उसने गांडीव उठाया अपितु युद्ध को जीता भी।
गीता यूं तो महाभारत का ही एक अंश है परन्तु गीता को महाभारत से अलग "श्री अंगपाद" जी ने किया था।
#गीता_जयंती
#GitaJayanti2020
गीता की शुरूआत धृतराष्ट्र से होती है जहां धृतराष्ट्र संजय से पूछते हैं।
ॐ धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय
गीता में धृतराष्ट्र केवल एक बार ही बोले हैं और वो पहला श्लोक ही है जिसमें धृतराष्ट्र बोले हैं।
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किसी भी विद्यालय में जायें आप तो वहां पर आपको पढना सिखाया जाता,बोलना सिखाया जाता एवम् लिखना सिखाया जाता परन्तु सुनना कैसे है ये नहीं सिखाया जाता,
प्रथम अध्याय में प्रभू केवल अर्जुन को सुने हैं और उसके बाद 17 अध्याय में प्रभू केवल समाधान दिये हैं।
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यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि आपने लोगों को सहानुभूति देते हुये तो अमूमन देखा होगा लेकिन सहानुभूति क्षणिक होती है,
प्रभू श्री हरि ने गीता में परानुभूति दिखायी है,
परानुभूति - पर + अनुभूति
अर्थात् उस व्यक्ति की जगह खुद को ही रख लेना।
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गीता दुनिया का इकलौता ऐसा ग्रन्थ है जिसमें कर्म को प्रधानता दी गयी है अर्थात् यहां कर्म प्रधान है
श्री हरि कहते हैं -
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
अर्थात् तू केवल कर्म कर फल की इच्छा मत कर।
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गीता में एक अवस्था बतायी गयी है जो कि है "स्थितप्रज्ञ" इस अवस्था में स्थित व्यक्ति को न तो सुख होने पर खुशी होती और न ही दुख होने पर कोई गम।
श्री हरि समझाते हैं
दुःखेष्वद्विग्नमना: सुखेषु विगतस्पृह:।
वीतरागभयक्रोध स्थितधीक्षैनिरुच्यते।।
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कृष्ण कहते हैं - पार्थ! दु:ख भोगते हुए भी जिसके मन में उद्वेग नहीं होता और ना ही जो सुख की लालसा रखता है तथा जिसके हृदय में क्रोध,मोह,भय आदि विकारों के लिए कोई स्थान नहीं होता। वो मनुष्य स्थित प्रज्ञ है।
इसके दूसरे मायने में यही मुक्ति है।
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चूंकि आज 25 दिसम्बर है एवम् कालजयी भारत रत्न स्व श्री #अटल_बिहारी_वाजपेयी_जयंती भी है तो उनकी भी एक रचना इसी ओर ध्यानाकर्षण करती है। यहां अटल जी भी गीता की भांति स्थित प्रज्ञ होने को बोल रहे हैं।
#तुलसी_पूजन_दिवस
#AtalBihariVajpayeebirthday
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यहां गीता के प्रत्येक अध्याय का संक्षिप्त वर्णन:-

प्रथम अध्याय :-
अर्जुनविषादयोगः Observing the Armies on the Battlefield of Kuruksetra: 46 verses 
इस अध्याय में अर्जुन विषादावस्था में हैं इसमें कुल 46 श्लोक हैं।
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@anshula
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द्वितीय अध्याय :-
साङ्ख्ययोगः Contents of the Gita Summarized :72 verses

इस अध्याय में गीता का उद्देश्य निहित है,
व इसमें कुल 72 श्लोक हैं।
तृतीय अध्याय:-
कर्मयोगः Virtue Of Actions 43: verses

इस अध्याय में कर्म पर बल दिया गया है।
व इसमें कुस 43 श्लोक हैं।
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चतुर्थ अध्याय :-
ज्ञानकर्मसन्यासयोगः Transcendental Knowledge: 42 verses
पंचम अध्याय:-
कर्मसन्यासयोगः Action in Krsna Consciousness 29 verses
षष्टम अध्याय:-
ध्यानयोगः Self-Restraint: 47 verses
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सप्तम अध्याय:-
ज्ञानविज्ञानयोगः Knowledge of the Absolute: 30 verses
अष्टम अध्याय:-
अक्षरब्रह्मयोगः Attaining the Supreme: 28 verses
नवम् अध्याय:-
राजविद्याराजगुह्ययोगः The Most Confidential Knowledge: 34 verses
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दशम् अध्याय:-
विभूतिविस्तारयोगः The Opulence of the Absolute: 42 verses

एकादशम् अध्याय:-
विश्वरुपदर्शनयोगः The Universal Form: 55 verses

द्वादशम् अध्याय:-
भक्तियोगः Devotional Service: 35 verses

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त्रयोदशम् अध्याय:-
क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग: Nature, the Enjoyer, and Consciousness: 35 verses

चतुर्दशम् अध्याय:-
गुणत्रयविभागयोगः The Three Modes of Material Nature: 27 verses

पञ्चदशम् अध्याय:-
पुरुषोत्तमयोगः The Yoga of the Supreme Person: 20 verses

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षोडशम् अध्याय:-
दैवसुरसम्पत्विभागयोग: The Divine and Demoniac Natures: 24 verses

सप्तदशम् अध्याय:-
त्रयविभागयोगः The Divisions of Faith: 28 verses

अष्टादशम् अध्याय:-
मोक्षसन्यासयोगः Conclusion-The Perfection of Renunciation: 78 verses
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गीता का अन्तिम श्लोक संजय कहते हैं जो इस प्रकार है -

यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।18.78।

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अर्थ:-
समस्त योग और उनके बीज उन्हींसे उत्पन्न हुए हैं? जिस पक्षमें सब योगोंके ईश्वर श्रीकृष्ण हैं तथा जिस पक्षमें गाण्डीव धनुर्धारी पृथापुत्र अर्जुन है? उस पाण्डवोंके पक्षमें ही श्री? उसीमें विजय? उसीमें विभूति अर्थात् लक्ष्मीका विशेष विस्तार और वहीं अचल नीति है
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गीता केवल भारत का ही नहीं अपितु पूरे विश्व का ग्रन्थ है जर्मनी जो कि इन्जीनियरिंग हब है वहां 1400 से ज्यादा यूनिवर्सिटी में गीता पाठ होता है,
ओपेनहाइमर से लेकर आइन्स्टाइन,कलाम,स्रोडिंगर जैसे वैज्ञानिक भी गीता का पाठ करते थे परन्तु भारत मेॆ गीता का पाठन कम देखने को मिलता है।
परमाणु बम के जनक रॉबर्ट जे ऑपनहाइमर गीता को शुद्ध रूप में जानने के लिये 1933 में संस्कृत को सीखे थे और अपने पहले परीक्षण के समय गीता को ही क्योट किये थे।
"Now I am become death, The destroyer of the world"
July 16 1945.
https://timesofindia.indiatimes.com/india/When-Oppenheimer-the-father-of-the-atomic-bomb-quoted-the-Bhagwad-Gita/articleshow/
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तमाम किताबें You can win वगैरह पढने का कोई जरूरत ही नहीं है जब आपके पास गीता के रूप में सभी मॉटिवेशन का बाप है,
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#तुलसी_पूजन_दिवस
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#Atalji के जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां।
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