खफा होते हैं जाने दो, घर के मेहमान थोड़ी हैं!
जहां भर से लताडे जा चुके, उनका नाम थोड़े है!
यह कृष्णा और राम की धरती है, यहां सजदा करना ही होगा !
मेरा वतन यह मेरी मां है, लूट का सामान थोड़ी है!
मैं जानती हूं घर में बन चुके सैकड़ों भेदी,
जो सिक्कों में बिक जाए वह मेरा ईमान थोड़ी
जहां भर से लताडे जा चुके, उनका नाम थोड़े है!
यह कृष्णा और राम की धरती है, यहां सजदा करना ही होगा !
मेरा वतन यह मेरी मां है, लूट का सामान थोड़ी है!
मैं जानती हूं घर में बन चुके सैकड़ों भेदी,
जो सिक्कों में बिक जाए वह मेरा ईमान थोड़ी
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मेरे पुरखों ने सिचा है, लहू के कतरे कतरे से!
बहुत बांटा मगर अब बस खैरात थोड़े हैं,
जो रहजन थे, उन्हें हकीम बनाकर उम्र भर पूजा! मगर अब हम भी सच्चाई से अनजान थोड़े ही हैं!
मेरे पुरखों ने सिचा है, लहू के कतरे कतरे से!
बहुत बांटा मगर अब बस खैरात थोड़े हैं,
जो रहजन थे, उन्हें हकीम बनाकर उम्र भर पूजा! मगर अब हम भी सच्चाई से अनजान थोड़े ही हैं!
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बहुत लूटा फिरंगी ने, कभी बाबर के पुतो ने,
यह मेरा घर है मेरी जान है, मुफ्त की सराय थोड़े ही है,
बिरले में मिलते हैं, सच्चे मुसलमान दुनिया में,
हर कोई अब्दुल कलाम थोड़ी ही है ,
कुछ तो अपने भी शामिल है, वतन तोड़ने में अब यह कन्हैया और रवीश मुसलमान थोड़े ही हैं !!
बहुत लूटा फिरंगी ने, कभी बाबर के पुतो ने,
यह मेरा घर है मेरी जान है, मुफ्त की सराय थोड़े ही है,
बिरले में मिलते हैं, सच्चे मुसलमान दुनिया में,
हर कोई अब्दुल कलाम थोड़ी ही है ,
कुछ तो अपने भी शामिल है, वतन तोड़ने में अब यह कन्हैया और रवीश मुसलमान थोड़े ही हैं !!
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अरे देश की संपत्ति जलाने वालों,
नहीं शामिल है तुम्हारा खून की मिट्टी में,
यह तुम्हारे बाप का हिंदुस्तान थोड़ी ही है!!
ले चुके तुम्हारे अब्बा पाकिस्तान अब उनका हिंदुस्तान थोड़ी ही है!!



अरे देश की संपत्ति जलाने वालों,
नहीं शामिल है तुम्हारा खून की मिट्टी में,
यह तुम्हारे बाप का हिंदुस्तान थोड़ी ही है!!
ले चुके तुम्हारे अब्बा पाकिस्तान अब उनका हिंदुस्तान थोड़ी ही है!!



