महाराणा प्रताप को चेतक कैसे मिला ---
महाराणा प्रताप के समक्ष अरबी नस्ल का घोडा एक अरब व्यापारी लेकर आया जिनका नाम अटक था,
व्यापारी ने द्वारपाल से कहॉ कि यह घोडा महाराणा के काम का है कृपया एक बार उन्हे सूचित करे,
महाराणा को सूचना दी गयी
महाराणा आये और एक सूडौल घोडे को देखा
और व्यापारी से पूछा की क्या खास बात है इसमे?
व्यापारी बोला कि एक बार इस घोडे को अपना स्वामी बता देने पर यह अपनी जान की परवाह किये बगैर भी अपने स्वामी की आज्ञा का पालन करता है,
प्रताप ने कहॉ इसकी परीक्षा ली जाये
अटक घोडे के आगे के पैर बडे बडे कीलो से बॉधकर कीलो को जमीन मे गाढ दिया
फिर व्यापारी ने घोडे से कहॉ की आज से महाराणा तुम्हारे स्वामी है
महाराणा बंधे हुए घोडे से लगभग 100 फिट दूर खडे हो गये, और घोडे को आज्ञा दी कि दौडकर मेरे पास आये
घोडे ने हिनहिनाकर जोर से झटका दिया जिससे उसके आगे के दोनो खुर उसके पैर से अलग हो गये और वह पैर की हड्डीयो पर दौडता हुआ
प्रताप के पास पहुंचा
प्रताप उसकी स्वामी भक्ति से बहुत खुश हुए लेकिन यह घोडा तो अब उनके काम का नही रहा तो उन्होने व्यापारी से कहॉ की बिल्कुल इसके जैसा एक और घोडा मिलेगा क्या?
तब व्यापारी अटक के भाई चेतक महाराणा प्रताप को सौपा व एक घोडा छोटे भाई शक्ति सिंह के लिए भी सौपा
उसके बाद चेतक इतिहास मे अमर हो गया
जब जब महाराणा प्रताप को याद किया जाता है तब तब चेतक को याद किया जायेगा
जय महाराणा
© - कुंवर सुनील जादौन
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