में लुधियाना जिला के एक कस्बे माछीवाड़ा से आता हूँ , सर्दियों की एक रात को जब गुरु गोबिंद सिंह के बड़े बेटे चमकौर की लड़ाई में शहीद हो गए थे तो गुरु जी अकेले हमारे कस्बे में आये। उस रात वो एक पेड़ के नीचे सो गए।
जब सुबहे हमारे कस्बे के दो मुसलमान भाइयों को पता लगा की गुरु जी हमारे कस्बे में आए हुए हैं, वह उन्हें अपने घर में ले गए। कुछ ही समय के बाद औरंगज़ेब की फौज ने लोगों के घरों की तलाशी शुरू कर दी।
उन दो भाईओं ने गुरु जी को बचाने के लिए अपनी लड़की के साथ एक कमरे में बंद कर दिया और जब उनके घर की तलाशी शुरू हुई, उन्हों ने सूबेदार को बोला कि इस कमरे में हमारी बेटी और उसके पति आराम कर रहे हैं , बस वो दरवाज़ा मत खोलना।
औरंगज़ेब कि फौज बाक़ी घर कि तलाशी लेकर चली गयी और गुरु जी फौज कि पकड़ में नहीं आ। अब समस्या थी कि गुरु जी को माछीवाड़ा से कैसे सही सलामत निकला जाए, तो उन दो मुसलमान भाइयों ने गुरु जी के कपड़ों को नीले रंग में रंगा
और उन्हें एक पीर का रूप देके अपने कन्धों पे बिठा के सही सलामत कस्बे से बहार तक छोड़ के आए और उन्हें अपनी तरफ से तलवार भेंट की। आज उन दो मुसलमान भाइयों के नाम पे गुरुदवारा है। उस गुरुदवारे का नाम गनी खान, नबी खान हैं। वहां लोग जाते हैं उनकी मज़ार पे प्राथना करते हैं।
ऐसे बहुत से मुसलमान हैं जिनो ने हमारे गुरुओं की मदद की। बीजेपी का आईटी सेल यह बात जान ले की मुसलमान सिख एक दूसरे के दुश्मन नहीं है , इसको सिख, मुसलमान का रंग देके अपना वक़्त ख़राब न करे।
This thread is about how various muslim helped sikh's Guru(our gurujis).kindly spread this thread
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