उच्च शिक्षा, आर्थिक आत्मनिर्भरता, सामाजिक जगरण ने आधुनिक नारी को अपने अधिकारों एवं स्वतंत्रता का अनुभव कराया परन्तु स्वतंत्रता के नाम पर कहीं-कहीं स्वच्छंदता बढ़ती जा रही है। स्वछन्द नारी स्वयं को पुरुष की पूरक नहीं परन्तु प्रतिद्वंद्वी मानने लगी है, फलवरूप परिवार टूटने लगे हैं।
एसी स्त्रियाँ बच्चों के भविष्य की भी कोई परवाह नहीं करती है। कई स्त्रियाँ तो धन कमाने के लिए अनुचित साधन भी अपनाती हैं। दूसरे अर्थों में सादगी, सरलता, पवित्रता, त्याग, सहिष्णुता, आत्मसंयम जैसे आन्तरिक सौंदर्य बढ़ाने वाले बहुमूल्य गुणों का नारी में नितांत अभाव देखने में आ रहा है।
अश्लीलता, मर्यादाहीनता का यह विष समाज में तीव्र गति से फैल रहा है।विज्ञापनों में नारी के अर्ध्द नग्न चित्र सभी टीवी चैनल, सोशल मीडिया, इंटरनेट पर बार-बार दिखाये जाते हैं।
आज इस बात की आवश्यकता है कि नारी अपनी सच्ची स्वतंत्रता को पहचाने, अपने चरित्र को उज्ज्वल बनाये। सादा जीवन, उच्च सकारात्मक विचारों एवं अध्यात्मिकता का पालन ही उसे भोग्या से पूज्या और अबला से शक्तिसम्पन्न देवी बना सकता है।