1
गुरु-शिष्य परम्परा सनातनी है, वैदिक है,
भागवत को भगवान श्रीकृष्णका विग्रह माना गया,
वह भगवान की वाणी है, मने गुरु-वाणी है
गुरु-शिष्य परम्परा सनातनी है, वैदिक है,
भागवत को भगवान श्रीकृष्णका विग्रह माना गया,
वह भगवान की वाणी है, मने गुरु-वाणी है
2
बोले वहाँ जगतगुरु कृष्ण हैं और उनके 12 शिष्य हैं
स्वयम्भुर्नारद:शम्भु कुमार: कपिलोमनु:प्रह्लादोजनको भीष्मो बलिर्व्यासोयम:
स्वयंभू, शंभु, नारद, सनत कुमार, कपिल, मनु,प्रह्लाद, जनक, भीष्म, बलि, व्यास, और यमराज।
बोले वहाँ जगतगुरु कृष्ण हैं और उनके 12 शिष्य हैं
स्वयम्भुर्नारद:शम्भु कुमार: कपिलोमनु:प्रह्लादोजनको भीष्मो बलिर्व्यासोयम:
स्वयंभू, शंभु, नारद, सनत कुमार, कपिल, मनु,प्रह्लाद, जनक, भीष्म, बलि, व्यास, और यमराज।
3
यही सूत्र गुरुग्रंथ साहिब में भी अनुस्यूत है,
इधर शास्त्र-प्रमाण/ साक्ष्य मानते हैं,
उसी साक्ष्य को साक्षी से साखी कहा गया,
यही सूत्र गुरुग्रंथ साहिब में भी अनुस्यूत है,
इधर शास्त्र-प्रमाण/ साक्ष्य मानते हैं,
उसी साक्ष्य को साक्षी से साखी कहा गया,
4
शब्द-ब्रह्म 'सबद' हो गया,
गुरु-शिष्य परम्परा का अपभ्रंश वाहे गुरु और शिष्य > शिष् से सिख !!
ख़ाली स्थान , खल-स्थान और खलीफा-स्थान वालों का कोई स्थल है ही नहीं यहाँ ।
जय श्री कृष्ण
वाहे गुरुजी का खालसा
वाहे गुरुजी की फतह.
शब्द-ब्रह्म 'सबद' हो गया,
गुरु-शिष्य परम्परा का अपभ्रंश वाहे गुरु और शिष्य > शिष् से सिख !!
ख़ाली स्थान , खल-स्थान और खलीफा-स्थान वालों का कोई स्थल है ही नहीं यहाँ ।
जय श्री कृष्ण
वाहे गुरुजी का खालसा
वाहे गुरुजी की फतह.