क्या हमारे लिए दूध आवश्यक है? सामने आ रहे हैं तरह तरह के शोध और सबके अपने तर्क। और इनके सामने है हज़ारों वर्षों से भारतीय भोजन की परम्परा। पढ़िए मेरे विचार इस रोचक शृंखला में, और अपने विचार लिखिए।
समय समय पर खाने से सम्बंधित नए नए मुद्दे उठते रहते हैं, प्रोटीन, शाकाहार, वीगन जीवन और अब यह नया विषय है- दूध!

कुछ शोध के अनुसार किसी भी इंसान को दूध की जरूरत नहीं होती। नयी शोध के अनुसार माँ के दूध के बाद बच्चे को भी दूध चाहिए ही नहीं।
दूध में मुख्य रूप से प्रोटीन, कार्बोहड्रेट, कुछ ख़ास खनिज जैसे कि कैल्शियम, फोस्फोरस आदि और सभी ९ अमीनो एसिड्स होते हैं जो मुख्य रूप से मांसाहार में ही होते हैं। शाकाहार में यह सिर्फ किन्वा, कुट्टू आदि में ही होते हैं।
दूध में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है जिसे हड्डियों के लिए आवश्यक बताया गया है इसीलिए भी दूध को आवश्यक बताया जाता रहा है।
दूध पर इतनी शोध, विवाद, और इसके प्रयोग पर विरोध की कुछ मुख्य वजह हैं? प्राकृतिक रूप से जरूरतों की परिभाषा अब बदल गयी है जब हम प्रकृति से दूर हो रहे हैं। क्योंकि अधिकतर शोध की शुरुआत अमेरिका या फिर यूरोप से ही शुरू होती हैं तो अमेरिका के सन्दर्भ में ही बात करते हैं।
अमेरिका और पश्चिमी देशों में दूध सुपर मार्केट में फ्रीजर सेक्शन में रखा होता है। यह दूध लगभग १ से डेढ़ महीने तक फ्रिज में ख़राब नहीं होता। दूध के दुहने, पैक होने और सुपर मार्केट के आने और उसके बाद ग्राहक के इस्तेमाल करने तक लगभग ढाई से तीन महीने का समय हो गया।
दूध हफ्तों तक डिब्बे में बंद रहता है और डब्बे के अन्दर की कोटिंग प्लास्टिक की होती है जो दूध के साथ क्रिया करती रहती है।
आजकल सभी खेत खलिहान, चारा, घास फूस आदि में कीटनाशकों और रासायनिक खादों की भरमार है जिससे गाय बहुत कैमिकल खा रही हैं। गाय जल्दी बड़ी हों इसके लिए इन्हें हारमोन दिए जाते हैं। गाय जल्दी बच्चे पैदा करें इसके लिए फिर दवाइयां दी जाती हैं।
तो ऊपर से नीचे तक यहाँ कैमिकल, प्लास्टिक, और तमाम प्रकार के अप्राकृतिक कृत्य किये गए दूध के उत्पादन के लिए और ग्राहक तक पहुँचाने के लिए।
प्रकृति तो हमने बदल दी अपनी सुविधानुसार। इसी लिए आजकल दूध से होने वाली एलर्जी बढ़ गयी हैं और कई लोग दूध को नहीं पचा पा रहे हैं। अमेरिका में कई गंभीर बीमारियों की वजह दूध को बताया जा रहा है जिसमें से एक कैंसर भी है। इसी वजह से कई प्रकार की शोध को अंजाम दिया जा रहा है।
दूध के आवश्यक पोषक तत्वों के विकल्प भी हैं और सबका पाचन तंत्र अलग काम करता है इसीलिए एक बात सब पर लागू नहीं होती। तो दूध जरूरी है भी और नहीं भी।हवा/ पानी को छोड़ दें तो कुछ जरूरी नहीं, हर चीज का विकल्प है। बाबा रामदेव जी ने बरसों तक अनाज नहीं खाया है लेकिन मजे में चल रहे हैं।
भारत में पहले देसी गाय का दूध ज्यादा होता था जिसमें A2 प्रोटीन होता था जिसे स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है, फिर विदेशी जर्सी गाय आ गयीं। पहले सुबह शाम ताजा दूध दुहा जाता था और घंटे भर के अन्दर ही उसे बाँट दिया जाता था। अब वक्त के साथ भारत में भी चीजें बदल गयीं हैं।
तो आप स्वविवेक से निर्णय लें कि दूध आपके लिए अच्छा है या नहीं।
You can follow @ChezShuchi.
Tip: mention @twtextapp on a Twitter thread with the keyword “unroll” to get a link to it.

Latest Threads Unrolled:

By continuing to use the site, you are consenting to the use of cookies as explained in our Cookie Policy to improve your experience.