लाहौर सेंट्रल जेल 23 मार्च 1931 को जेल में हलबली मची ।। नाई ने सबको इतला किया।।भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को फांसी दिया जाने वाला था ।।
उन अंतिम क्षणों। में भी भगत सिंह किताब पढ़ना चाहते थे । उनके अंतिम ख्वाहिश थी कि 1 चैप्टर पढ़े
उनके अंतिम 2 शब्द थे साम्राज्यवाद मुर्दाबाद इंकलाब जिंदाबाद
तीनों ने सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है जब गाया तो पूरा जेल गा उठा।।सबकी आखै।नम।थी।
तीनों ने सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है जब गाया तो पूरा जेल गा उठा।।सबकी आखै।नम।थी।
उनके मारने के बाद जेल।के अंदर ही उनका अंतिम संस्कार करने जा रहे थे पर जेल।का माहौल बिगड़ चुका था फिर उन्है जेल।की दीवार तोड़ के सतलज के किनारे जला दिया गया ।।
उनके अंतिम 10 घंटे ।।।
उनके अंतिम 10 घंटे ।।।