टीपू के दरबार में 15 नवयुवक ब्राह्मण लिपिक थे। जिनमें से 14 के दाहिने हाथ के अंगूठे और तर्जनी अंगुली कटी हुई थी। जो 15वा युवक था वह बाएं हत्था था तो उसकी बाएं हाथ का अंगूठा और बाएं हाथ की तर्जनी काटी गई थी।

किसी भी छोटी लिपिक त्रुटि पर यह दंड दिया जाता था मुख्यतः ब्राह्मणों को
यदि किसी ब्राह्मण को समृद्ध होने की सूचना लग जाती थी तो उसे श्रीरंगपटनम बुलाया जाता था। वहां उससे एक रकम की मांग की जाती थी जो कि सुल्तान की सेवा में जानी होती थी यदि ब्राह्मण मान जाता था तो उसका सम्मान होता था।
परंतु यदि वह देने में असमर्थ होता था तो उसको भयंकर यातना दी जाती थी।
टीपू द्वारा प्रथम यातना जो ब्राह्मण को दी जाती थी उसे piqueting कहते हैं।
Piqueting कुछ उस प्रकार की सज़ा होती है। इसमें ब्राह्मण को एक पतले से स्थान पर घंटो खड़ा कर के प्रताड़ित किया जाता था।
यदि ब्राह्मण दंड किसी तरह झेल जाता तब उसे चाबुकों से पीटा जाता था।
यदि कोड़े भी ब्राह्मण झेल जाता तो उसपर सूइयां चुभाई जाती।
यदि फिर भी ब्राह्मण से वो कुबूल न करवा पाते कि धन कहाँ है तो उसे एक पिंजरे में सड़ने देते थोड़े से चावल और नमक के साथ बिना पानी के जब तक मृत्यु न हो जाए
पृष्ठ संख्या 114 से 117
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