My Reply to Ravish Kumar of @ndtvindia on facebook
Detailed text in thread 1/9
@theicai
Facebook Link: https://www.facebook.com/RavishKaPage/posts/1633570530174421
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रविश जी, करोना का प्रभाव हैं मानते हैं। पर क्या करोना रहते बाक़ी आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को क्या रोक दिया गया हैं? नहीं ना। यथा उचित बचाव करते हुए दुनिया आगे बढ़ रही हैं। हैं के नहीं?
करोना हो या कोई विश्वयुद्ध समय को कोई रोक नहीं सकता और नाहीं इंसान के आगे बढ़ने और तरक़्क़ी करके के जज़्बे को!
फिर विद्यार्थियों की क्या गलती हैं? क्या उन्हें इम्तिहान देकर, उत्तीर्ण होकर आगे बढ़नेका हक़ नहीं? क्या उनपर पास होकर अपनी और अपने परिवारकी जिम्मेदारी उठाने का हक़ नहीं?
फिर विद्यार्थियों की क्या गलती हैं? क्या उन्हें इम्तिहान देकर, उत्तीर्ण होकर आगे बढ़नेका हक़ नहीं? क्या उनपर पास होकर अपनी और अपने परिवारकी जिम्मेदारी उठाने का हक़ नहीं?
ऐसे लाखों विद्यार्थी हैं जो पिछले एक साल से बस पढ़ायी कर रहे हैं पर उन्हें परीक्षा देना का मौक़ा नहीं मिल रहा। उनके टूटते बिखरते सपने और अरमानों के बारे में क्या आपने सोचा हैं? परीक्षा देना विद्यार्थी का ना सिर्फ़ कर्तव्य हैं बल्कि अधिकार भी हैं।
क्या विद्यार्थी को परीक्षा से वंचित रखना उस से उसका अधिकार छिनने के बराबर नहीं?
मैं आपका और आपकी पत्रकरीता का हमेशा फ़ैन रहा हूँ। पर सीए परीक्षा के मामले में आपका अभ्यास इसबार तनिक कम हैं।
आईसीएआई ने किसी को परीक्षा देने के लिए बाध्य नहीं किया हैं।
मैं आपका और आपकी पत्रकरीता का हमेशा फ़ैन रहा हूँ। पर सीए परीक्षा के मामले में आपका अभ्यास इसबार तनिक कम हैं।
आईसीएआई ने किसी को परीक्षा देने के लिए बाध्य नहीं किया हैं।
ओप्टआउट का ऑप्शन हैं, जिसका मतलब हैं अगर किसी भी कारण वश आप नवम्बर में परीक्षा में नहीं बैठ पाते या नहीं बैठना चाहते तो आप २ महीने बाद जनवरी या फ़रवरी में फिर से परीक्षा दे पायेंगे, तब भी नहीं तो अगले मई में दे पाएँगे, वो भी बिना किसी अतिरिक्त आर्थिक भार के।
अब इसमें ग़लत क्या हैं? विद्यार्थियों के दो गुट हैं। एक चाहता हैं परीक्षा होनी चाहिए। दूसरा गुट चाहता हैं की किसी की परीक्षा ना ली जाए और सीधे सीधे अगले जनवरी में सबकी परीक्षा हो।
आप सोचिए अगर जनवरी में भी स्थिति ऐसी ही बनी रही तो कैसे सम्भव हैं की जनवरी में सबकी परीक्षा हो?
आप सोचिए अगर जनवरी में भी स्थिति ऐसी ही बनी रही तो कैसे सम्भव हैं की जनवरी में सबकी परीक्षा हो?
और अगर यही स्थिति अगले एक या दो साल बनी रही तो क्या? क्या कभी परीक्षा ही ना हो?
जो परीक्षा नहीं देना चाहते या नहीं दे पाएँगे उनके लिए तो जनवरी या मई का रास्ता खुला हैं।
जो परीक्षा नहीं देना चाहते या नहीं दे पाएँगे उनके लिए तो जनवरी या मई का रास्ता खुला हैं।
परंतु जो परीक्षा देना चाहते हैं, अपनी सुरक्षा का ख़याल रखकर परीक्षा देना चाहते हैं जिसमें छोटे शहरों से भी लाखों विद्यार्थी हैं, उनके साथ कैसे न्याय होगा?
रविश जी, आप सोचकर अपनी राय रख सकते हैं। आपके जवाब का इंतेज़ार रहेगा
रविश जी, आप सोचकर अपनी राय रख सकते हैं। आपके जवाब का इंतेज़ार रहेगा
