१ क्या है रोशनी एक्ट?

भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर का रोशनी एक्ट खत्म कर दिया है। सोचिए आज तक किसी मीडिया ने हम लोगों को रोशनी एक्ट के बारे में बताया ही नहीं ।

मीडिया क्यूं शांत रही?

यह रोशनी एक्ट कश्मीर छोड़कर भाग गए हिंदुओं के मकान दुकान और जमीन और खेत मुस्लिमो को देने का फारुख अब्दुल्ला द्वारा बनाया गया एक षड्यंत्र था जिसमें कांग्रेसी भी शामिल थी।

1990 के दशक में जितने भी हिंदू कश्मीर से भागे उन्हें पाकिस्तान के मुसलमानों ने मार कर नहीं भगाया बल्कि उनके ही पड़ोसी जिनके साथ वह बचपन में सेवई खाते थे त्यौहार मनाते थे चाय पीते थे उन्हीं पड़ोसियों अब्दुल असलम गफ्फार ने मार मार कर भगाया ।

क्या आप इस बात से अवगत थे?

उसके बाद जब पूरा कश्मीर घाटी हिंदुओं से खाली हो गया तब फारुख अब्दुल्ला के पास कुछ मुस्लिम गए और बोले कि हिंदुओं के इन मकानों दुकानों जमीनों खेतों खलिहानो को मुसलमानों को देने के लिए आप कुछ नियम बनाइए ।

और वो था रोशनी एक्ट।

तब फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया और इस रोशनी एक्ट के द्वारा सिर्फ ₹101 में किसी भी हिंदू की जमीन खेत मकान या दुकान एक मुसलमान की हो जाती थी।

क्या ये सुनियोजित साजिश नहीं था?

शगुफा यह छोड़ा गया कि मुसलमानों के घरों के आसपास के घर जो हिंदुओं के थे वह नहीं है बिजली का कनेक्शन काट देने की वजह से उनके आसपास अंधेरा रहता है जिससे उनके लिए खतरा हो सकता है इसलिए ऐसे घरों को रोशन करना जरूरी है।

इस तरह रोशनी एक्ट का ताना-बाना बना।

चुकी हिंदू जब अपना सब कुछ छोड़ कर भाग गए तब बिजली का बिल नहीं चुका पाने की वजह से उनके खेतों के ट्यूबेल का या दुकानों का या घर का बिजली का कनेक्शन काट दिया गया।

फिर फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया ।

फारुख अब्दुल्ला के रोशनी एक्ट के द्वारा मात्र ₹101 फीस भरकर कोई भी मुसलमान अपने नाम से उस हिंदू के खेत खलिहान मकान दुकान के लिए बिजली का कनेक्शन लेने का आवेदन भर सकता था। इस तरह पहले उस मुसलमान के नाम बिजली का बिल जनरेट कर दिया जाता था ।

साजिश की शुरुवात!

मुसलमान के नाम बिजली का बिल जनरेट करने के बाद कुछ ही सालों में हिंदू की मकान दुकान या खेत का पूरा मालिकाना हक उस मुसलमान को दे दिया गया।

इस तरह इस रोशनी एक्ट द्वारा फारुख अब्दुल्ला ने कश्मीर घाटी के हजारों हिंदुओं की बेशकीमती प्रॉपर्टी मुसलमानों को मात्र 101 रुपये में दे दी।
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फारुख अब्दुल्ला की जालिम रोशनी एक्ट के बारे में भारत कि वामपंथी मीडिया ने कभी बात नहीं करी।
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