"गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छाय गवां कोटिप्रदो भव।"
लेख :-
गोवर्धन पूजा / मार्गपाली पूजा :-
हम सब जानते हैं कि दिवाली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। इसे 'पड़वा' भी कहते हैं। उत्तर भारत में इसका.
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विष्णुबाहु कृतोच्छाय गवां कोटिप्रदो भव।"
लेख :-
गोवर्धन पूजा / मार्गपाली पूजा :-
हम सब जानते हैं कि दिवाली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। इसे 'पड़वा' भी कहते हैं। उत्तर भारत में इसका.
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.प्रचलन है लेकिन दक्षिण भारत में बालि और मार्गपाली पूजा का प्रचलन है।
गोवर्धन पूजा :-
सनातन धर्म के लोगों के लिए गोवर्धन पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है क्योंकि इसमें गाय माता की पूजा की जाती है। साथ ही कई अन्य जगहों पर यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि..
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गोवर्धन पूजा :-
सनातन धर्म के लोगों के लिए गोवर्धन पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है क्योंकि इसमें गाय माता की पूजा की जाती है। साथ ही कई अन्य जगहों पर यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि..
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अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना के लिए भी की जाती है। पूजा में कान्हा का अच्छे से साज-श्रृंगार करके शुभ मुहूर्त देखकर उनकी पूजा-आराधना की जाती है।दिवाली के अगले दिन यानी कि आज हर जगह गोवर्धन पूजा की जा रही है। इसमें भगवान कृष्ण,गौवर्धन और गायों की पूजा का विधान है।
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यही नहीं इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को उनका भोग लगाया जाता है। इन पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहा जाता है। मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा कर रखा था....
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जिससे गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह पर्व अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा..
गोवर्धन पूजा से जुड़ी कथाएं :-
कथा फोटु 1 , विधि फोटु 2 देखे..
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गोवर्धन पूजा से जुड़ी कथाएं :-
कथा फोटु 1 , विधि फोटु 2 देखे..
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मार्गपाली पूजा:-
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा यानी कि दीपावली के दूसरे दिन दक्षिण भारत में पहले मार्गपाली पूजा की जाती है और उसके बाद संध्या में राजा बलि की पूजा करने की पंरपरा है। इस पूजा में घर के मार्ग और द्वार को अच्छे से परंपरागत तरीके से सजाया जाता है।
फोटु 1 देखे....
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कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा यानी कि दीपावली के दूसरे दिन दक्षिण भारत में पहले मार्गपाली पूजा की जाती है और उसके बाद संध्या में राजा बलि की पूजा करने की पंरपरा है। इस पूजा में घर के मार्ग और द्वार को अच्छे से परंपरागत तरीके से सजाया जाता है।
फोटु 1 देखे....
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उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक इन त्योहारों का रौनक देखने को मिलता है.."कबीर" के अनुसार हमारे देवी देवताओं के बारे में जो वर्णन किया गया है..वो निम्न है..
कबीर, गोवर्धन कृष्ण जी उठाया, द्रोणागिरि हनुमंत।
शेष नाग सब सृष्टी उठाई, इनमें को भगवंत।
धन्यवाद्
#गोवर्धन_पूजा
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कबीर, गोवर्धन कृष्ण जी उठाया, द्रोणागिरि हनुमंत।
शेष नाग सब सृष्टी उठाई, इनमें को भगवंत।
धन्यवाद्

#गोवर्धन_पूजा
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