पहले लाइसेंस जारी करो, दिवाली से पहले जब सभी विक्रेता अपनी सारी जमा पूँजी लगाकर पटाखे खरीद लें तो प्रतिबंध लगा दो।

कोरोना कॉल में एक एक रुपए को मोहताज इन गरीबों को ऐसे पीटा गया जैसे ये आतंकवादी हों और बम बना रहे हों। बेटी पुलिस की जीप पर सिर पटकती रह गयी।

बुलंदशहर का वीडियो।
पटाखों पर नीति स्पष्ट क्यूँ नहीं करती सरकारें? फैसले आख़िरी समय में लिए गए हैं तो दुकानदार क्या करें? कहाँ जाएँ? या तो खरीद और बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध एक वर्ष पहले लगा दीजिए अगर पटाखे पर्यावरण के लिए इतना बड़ा खतरा है तो।

दुकानें सजने के बाद कार्यवाही क्यूँ? हर्जाना कौन देगा?
वीडियो आया तो पुलिस घर गयी और दिवाली की मिठाई दे आयी। पर इससे क्या बदला? हज़ारों की संख्या में पटाखा विक्रेताओं पर कार्यवाही अभी भी हो रही है, कई जिलों में पटाखे जलाने पर भी सजा का प्रावधान है। राज्य के साथ मेरा विचार नहीं बदलता, ये तथ्यहीन और आधारहीन फैसला है, स्पष्ट नीति बने।
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