नर्वस, अपरिपक्व !!
भूल जाता हूँ कि चाबियां कहां रखी, चश्मा कहाँ है, जूते कहां उतारे थे। गुस्सा होता हूँ, चीख लेता हूँ, चप्पलों को घसीटकर चलता हूँ। थमता नही, डरता नही, जो दिल मे है वो कहता हूँ, बातें नही बनाता।
मैं अपरिपक्व हूँ.. 1/8
भूल जाता हूँ कि चाबियां कहां रखी, चश्मा कहाँ है, जूते कहां उतारे थे। गुस्सा होता हूँ, चीख लेता हूँ, चप्पलों को घसीटकर चलता हूँ। थमता नही, डरता नही, जो दिल मे है वो कहता हूँ, बातें नही बनाता।
मैं अपरिपक्व हूँ.. 1/8
आसपास सबको हंसाना चाहता हूँ, खुशी के बीच रहने को दिल करता है सो किसी का दिल दुखाना बुरा लगता है। कोई चोट किसी को पहुंचा जाऊं, तो उतनी ही बराबर की चोट, इधर.. भीतर लगती है।
मैं अपरिपक्व हूँ।
मुझे धोखे, छल, प्रवंचना और बतोलेबाजी से नफरत है। बर्दाश्त नही होता। 2/8
मैं अपरिपक्व हूँ।
मुझे धोखे, छल, प्रवंचना और बतोलेबाजी से नफरत है। बर्दाश्त नही होता। 2/8
मैं सीधी बात कहता हूं, चोरी नही करता, झूठ नही बोलता। कभी कोई स्मार्टनेस पकड़ी जाए तो शरमा जाता हूँ।
मैं अपरिपक्व हूँ..
दिमाग मे बहुतेरी बातें एक साथ चलती हैं। भीड़ में चुप रहता हूँ। जुबान फिसल जाती है। हंसकर माफी मांग लेता हूँ। सलाह मांगने, गलती मानने में हिचकता नही। 3/8
मैं अपरिपक्व हूँ..
दिमाग मे बहुतेरी बातें एक साथ चलती हैं। भीड़ में चुप रहता हूँ। जुबान फिसल जाती है। हंसकर माफी मांग लेता हूँ। सलाह मांगने, गलती मानने में हिचकता नही। 3/8
मैं अपरिपक्व हूँ
तो मैं अपने जैसो को खोज लेता हूँ। मेरे आसपास सारे अपरिपक्व लोग हैं इसलिए कि वे सादे हैं, सरल है, ईमानदार, मेहनतकश और लाजदार है। झूठ, फरेब, कत्ल और कुटिलता की परिपक्व मशीनों से दूर यह मेरी इंसानी दुनिया है। यहां प्रवेश की इजाजत सिर्फ उनको है, जो अपरिपक्व हैं। 4/8
तो मैं अपने जैसो को खोज लेता हूँ। मेरे आसपास सारे अपरिपक्व लोग हैं इसलिए कि वे सादे हैं, सरल है, ईमानदार, मेहनतकश और लाजदार है। झूठ, फरेब, कत्ल और कुटिलता की परिपक्व मशीनों से दूर यह मेरी इंसानी दुनिया है। यहां प्रवेश की इजाजत सिर्फ उनको है, जो अपरिपक्व हैं। 4/8
तो जब सुनता हूँ कि कोई अपरिपक्व है, एक स्वाभाविक सम्वेदना होती है। सुना कि राहुल अपरिपक्व है। असल मे मेरा भी यही आकलन है। तो शुक्रिया #BarrackObama यह बताने को कि राहुल मेरी तरह है। वह खुद को साबित करने के लिए उद्यत एक छात्र की तरह है।
ईश्वर करे यह अपरिपक्वता बरकरार रहे। 5/8
ईश्वर करे यह अपरिपक्वता बरकरार रहे। 5/8
इसलिए कि मुझे पता है कि परिपक्वता इंसान की मौत है। वह ठंडी है, कुटिल है। परिपक्वता जिंदा धड़कते सीनों और कटी हुई क्षत विक्षत लाशों में फर्क नही जानती। परिपक्वता इंसान नही गिनती, सर गिनती है। वह खून की नदी में बैठकर वोटो का हिसाब करती है। 6/8
परिपक्वता पैसे गिनती है जनाब, वह कीमत गिनती है। मुनाफा, पावर, बैंक बैलेंस, वोट, समर्थन.. गिनती है। मुझे भी अपने स्तर पर इन सबकी चाहत है, मगर अपनी भीतरी मासूमियत को मारकर नही। जब तक अपरिपक्व हूँ, इंसान हूँ। अपने इंसान होने पर गर्व है, मुझे अपनी अपरिपक्वता से प्यार है। 7/8