मुगल काल के दौरान तलवार देखकर गुजरात के हजारों राजपूतों ने इस्लाम कुबूल किया था जिन्हें मोहरेइस्लाम गरासिया कहते हैं
मोहरे इस्लाम का मतलब ऊपर से इस्लाम का मुहर लगा है (pk wala ठप्पा) लेकिन वह दिल से हिंदू हैं और घरों में नमाज की जगह अपनी कुलदेवी की पूजा करते हैं
मोहरे इस्लाम का मतलब ऊपर से इस्लाम का मुहर लगा है (pk wala ठप्पा) लेकिन वह दिल से हिंदू हैं और घरों में नमाज की जगह अपनी कुलदेवी की पूजा करते हैं
गुजरात के 4.50 लाख इस्लाम कबूल कर चुके राजपूतों को एक बड़े धर्म परिवर्तन शिविर के द्वारा वापस हिंदू धर्म में लाया जा रहा है और उन्हें राजपूत समाज में समाहित किया जाएगा इस मामले में गुजरात राजपूत समाज की बड़ी बैठक हुई जिसमें कई महामंडलेश्वर भी उपस्थित हुए और साडे चार लाख मुस्लिमों
ने हिंदू धर्म में वापस आने की इच्छा जताई है
अगर इस तरह का धर्म परिवर्तन किया जाए तो बहुत अच्छी बात है क्योंकि औरंगजेब के समय में अलाउद्दीन खिलजी के समय में बहुत से जाट गुर्जर राजपूत ब्राम्हण दलित समुदाय के लोगों ने डर की वजह से इस्लाम कुबूल किया था!
अगर इस तरह का धर्म परिवर्तन किया जाए तो बहुत अच्छी बात है क्योंकि औरंगजेब के समय में अलाउद्दीन खिलजी के समय में बहुत से जाट गुर्जर राजपूत ब्राम्हण दलित समुदाय के लोगों ने डर की वजह से इस्लाम कुबूल किया था!
उत्तर प्रदेश में ही २.५% मुस्लिम राजपूत हैं।
मैं चाहूंगा कि सभी आगे बढकर वर्तमान समय की मांग के अनुसार सभी ठप्पाधारियों की घर वापसी करायें इस से पहले वो ७२ के चक्कर में पड़े।
नोट :- जरुरी नहीं है सब डर कर बने हुए हैं, 50% को धोखा देकर भी बनाया गया है।
मैं चाहूंगा कि सभी आगे बढकर वर्तमान समय की मांग के अनुसार सभी ठप्पाधारियों की घर वापसी करायें इस से पहले वो ७२ के चक्कर में पड़े।
नोट :- जरुरी नहीं है सब डर कर बने हुए हैं, 50% को धोखा देकर भी बनाया गया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जैसे कई गांव के कुओं मे गाय का खून डालने की अफवाहें उड़ा दी जाती थीं।
जिससे आस पडोस के लोग उनका बहिष्कार कर देते थे।
उस समय मुस्लिम के हाथ का छूआ खाने वाले का भी बहिष्कार कर दिया जाता था।
अतः सब कायर नहीं हैं खास करके आम जनता व किसान परिवार।
जिससे आस पडोस के लोग उनका बहिष्कार कर देते थे।
उस समय मुस्लिम के हाथ का छूआ खाने वाले का भी बहिष्कार कर दिया जाता था।
अतः सब कायर नहीं हैं खास करके आम जनता व किसान परिवार।