तमसो मा ज्योतिर्गमय की यात्रा में दीपावली एक ऐसे समय पर आती है जब आप बाह्य जगत में positive planetary alignment की वजह से अपने अंदर के अंधेरे को मिटा सकते हैं। यह तीन दिन साधना के दिन हैं। कुण्डलिनी शक्ति के जागरण का उपयुक्त समय है। अपने इष्ट अथवा गुरु का स्मरण और ध्यान कीजिए
सुप्त कुण्डलिनी साढ़े तीन फेरे ले कर मूलाधार पर स्थित होती है।कुछ क्रिया प्राणायाम इस कुंडलिनी को उठा/ जगा देते हैं।
उत्तिष्ठ जागृत प्राप्य वरान्निबोधत
पहले उठना पड़ेगा(मूलाधार से और अनाहत तक की यात्रा से पहले जागृति नहीं होगी)
धार्मिक जीवन और ब्रह्मचर्य के प्रभाव से कुण्डलिनी
ऊपर उठती है पर अनाहत चक्र तक यदि नहीं पहुंची तो वापस अपने स्थान पर गिर जाती है। अनाहत चक्र के activate होने पर कुण्डलिनी की स्थिति दृढ़ हो जाती है और साधक को अपने अंतर का अनाहत नाद सुनाई देता है। यहां से आपकी प्रकाश यात्रा का आरम्भ होता है।
अपने घर को आलोकित करने के लिए आप हजार
दिए जलाएंगे पर अपने अंतर को आलोकित करने की चाहत और दृढ़ निश्चय क्या है आपमें
एक ही जीवन है आपके पास जिसमे से थोड़ा बेकार की दुनियादारी में आप खर्च भी कर चुके
इस दुनियां से अपने लिए ले जाने लायक क्या कमाया है आपने?
सोचिएगा अवश्य
दीपावली शुभ हो 🙏🙏💐
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