लेखाना सुंदरी (Lekhana Sundari ) ईश्वर मंदिर की बाहरी दीवारों पर नक्काशी की गई अप्सरा की एक मूर्ति है। आज से 900 साल पहले जब वे सारे लोग लिखने के लिए पारम्परिक तरीका इस्तेमाल कर रहे थे, तब भारत🇮🇳 में लिखने के लिए पेन का इस्तेमाल होता था। #Thread 1/5
2/5 लेखना सुंदरी, अप्सरा एक स्लेट की तरह आयताकार वस्तु रखती है, जो बुर्जवा पत्र का प्रतिनिधित्व करती है, जो लिखने के लिए उपयोग किया जाता है। इसका सुंदर रूप से प्रतिपादन किया गया है और वह इसे अपने बाएं हाथ में रखती है, अपना चेहरा ऊपर करके एक पेन से स्लेट पर लिखती है।
जैसे हम सब को कुछ लिख कर दिखा रही हो। कलाकार ने इस तरह के अनुग्रह और विवरण के साथ मूर्तिकला को उकेरा है। अप्सरा की खड़ी मुद्रा, विशेष रूप से उसके पेट के ऊपर का मोड़, उल्लेखनीय है। अप्सरा ने पुरानी कन्नड़ लिपि में कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं- यह राजा विक्रमादित्य VI का स्तवन है, 3/5
जिसके पास विष्णुवर्धन भी थे। लिपी कहती है___

"सप्तद्वीपप्रीति भुतम् भुतलम स्वकारिशयति चालुक्य विक्रमादित्य सप्तमो विष्णुवर्धनः"
(चालुक्य वंश के विक्रमादित्य ने सात समुद्रों के बीच की भूमि पर शासन किया)। 4/5
ये मूर्ति कर्नाटक के जलसंगवी जिले के ईश्वर मंदिर में स्थित हैं । इस मंदिर का निर्माण साल 1100 के आस पास चालुक्य राजवंश ने क्या था। ईश्वर मंदिर को अन्य नामों से भी जाना जाता है जिन्हें कमलीश्वर मंदिर, कमलेश्वर मंदिर, कालेश्वर मंदिर, ईश्वर मंदिर कहा जाता है। 5/5
📷 The New Indian Express
Note: According to Wikipedia, pens were invented in the 1800 century.
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