Mother Earth 7
Silicon / Silica
धरती, चांद और अन्य ग्रहों की ऊपरी ठोस सतह सिलिकॉन से बनी है। मात्रा के आधार पर यह ब्राहमंड और धरती पर पाया जाने वाला आठवां तत्त्व है। धूल, मिटटी, पत्थर, पर्वत सभी मुखयतर सिलिकॉन से बने है जिसे हम सिलिका भी कहते हैं।
(1/31)
हम धूल से जनम लेते हैं और धूल में ही मिट जाते हैं। हम धूल का ही दिया खाते है और धुल से ही निर्वाह करते हैं।
यह रेत, धूल और मिटटी सिलिकॉन डाइऑक्साइड (सिलिका) है। कांच भी सिलिका ही है। कांच विशुद्ध नदी के किनारों की धूल को भट्टियों में पिघला कर बनता (2/31)
है।
धरती पर सिलिकॉन विशुद रूप में नहीं मिलती। सभी प्राणियों के शरीरों को सिलिकॉन की कुछ न कुछ आवश्कता रहती ही है। ताजुब तो इस बात का है की हम सिलिकॉन में ही पैदा होते हैं और सिलिकॉन में ही समाप्त होते हैं और फिर भी कभी हमारे शरीरों में इसकी कमी हो जाने (3/31)
पर हमें नुकसान होने लगता है। हमारी हड्डियों, धमनियों और मांसपेशियों की की मजबूती और लचक सिलिका की मात्रा पर निर्भर करती है। उच्च कोटि के मल्टीविटामीनों में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (रेत का चुरा) भी रहता है।
कभी कभी भोजन में कोई कंकर अगर आपके मुँह में आ (4/31)
जाये तो इसका कोई नुकसान नहीं है अपितु फायदा ही है। सिलिकॉन डाइऑक्साइड एक दवा भी है जो इसकी कमी पर मरीज़ को दी जाती है।
सिलिका होमियोपैथी की दस मुख्यतम दवाओं में से एक है। मैं इस दवा को खुद बनाया करता हूँ और इससे कई चमत्कार होते देखे हैं। किसी भी नदी (5/31)
की रेत को सिलिका कहते हैं। समुन्द्र के किनारे की रेत या रेगिस्तान की रेत भी सिलिका है। मीठे पानी की नदी की रेत विशुद्धतम सिलिका है जिसे लैटिन भाषा में Silica Terra कहते हैं। Terra का अर्थ है धरती। रेगिस्तानों और समुन्द्रों की रेत में अन्य खनिज भी (6/31)
मिले रहते हैं मगर नदी की रेत शाश्वत रूप में धुल कर विशुद्ध होती है।
पर्वतीय नदियों का पानी पीने से शरीर के कई विकार दूर होते हैं। शरीर के पोरों या रोओं में सालों से अटके हुए बालतोड़, फोड़े फुंसियां जल्दी से पक्क्कर अंदर फंसा हानिकारक पदार्थ निकल कर बाहर (7/31)
आ जाता है। अक्सर नहरों या नदियों के किनारे पर पानी के हैंडपम्पों का पानी स्वास्थ्यप्रद माना जाता है क्योकि इसमें सिलिका की मात्रा अधिक रहती है।
होमियोपैथी में सिलिका शरीर में अटके फंसे हुए हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकलने का काम करती है। कई (8/31)
लोगों की अक्सर नाखूनों के किनारे की चमड़ी अक्सर सूज जाती है, सिलिका की एक ही डोज़ उस सूजन को घंटों में ही पकाकर समाप्त कर देती है। अटके हुए या लम्बे चलने वाले भयंकर दर्दकारक फोड़े, फुंसियां और बालतोड़ भी सिलिका घंटों में ही पकाकर अंदर फंसे पदार्थों को निकलकर (9/31)
बाहर करती है। पुराने जख्मों को यह फिर से हरा करके जल्दी से ठीक करती है। जख्मों से या खरोचों के उभरे हुए निशान या विकृत चर्म को भी सिलिका सही करने में सहायक है। जिनको अपने जख्मों के निशानों को कम करना है या मिटाना है तो सिलिका ही उनकी दवा है। किसी को कभी (10/31)
इंजेक्शन लगा हो और वहां पर सदा के लिए दर्द या सूजन रहती हो।
सिलिका का मरीज अड़ियल स्वभाव का होता है जिसे चुभने वाली वस्तुओं से बहुत डर रहता है। वो मरीज इंजेक्शन लगवाने से कतराता है। वो चुभने वाली वस्तुओं से सावधान रहता है और सदा ही पहले उनकी खोज करता (11/31)
रहता है कि उसे ना चुभें।
अड़ियल और ढीठ बच्चों की यह दवा है। यह उन लोगों की भी दवा है जो किसी विचार पर अटल खड़े हो जाते है, कोई ज्यादा सोचवान नहीं होते। अड़ियल और ढीठ होते हैं और कोई काम अपने ही तरीके से करते हैं चाहे उम्र भर गलत करते रहे हों।
शरीर में कहीं भी (12/31)
पस एकत्र हो रही हो, दर्द और सूजन हो तो सिलिका दवा है। शरीर में कुछ भी दबा या धंसा हुआ है। कोई नया या पुराना कांटा चुभ कर अंदर धंसा हुआ है तो सिलिका उसे बाहर निकालने में सहायता करेगी। यह कब्ज़ की भी दवा है। शरीर में फंसा मल और मूत्र भी त्याग करने में यह मदद (13/31)
करती है।
सिलिका की कमी के विकार आजकल अधिक हैं। पहले ज़माने में आटा और मसाले पत्थर की चक्कियों में पिस्ते थे। यह पत्थर खुद भी घिसते रहते थे और हमारे भोजन में पत्थरों का चुरा भी रहता था इसलिए सिलिका की कमीं नहीं थी शरीरों में। जानवरों में इसकी कमीं नहीं रहती (14/31)
क्योकि वो धूल मिटटी भी खाते हैं। आजकल हमारा जीवन अत्यधिक स्वच्छ होने के कुछ हानिकारक प्रभाव भी हैं।
एक बच्चे “चिरपी/ऋषि” के सर के एक्जिमा के इलाज के लिए मैं होमियोपैथी का अध्यन करने लगा था और फिर कुछ लोगों का इलाज भी करने लग गया था। चिरपी के इंग्लैंड और (15/31)
अमेरिका के वीसा के लिए बहुत विध्न थे इसलिए मुझे उसके साथ एक साल भटिंडा में रहना पड़ा था। होमियोपैथी का जानकर होते ही मेरी ख्याति बढ़ने लगी और हर रोज सैंकड़ों मरीज़ आने लगे थे। कुछ अख़बारों ने भी मुझपर लेख लिखे थे और सरकार की और से मुझे अपनी बिना लाइसेंस की प्रैक्टिस (16/31)
बंद करने के नोटिस आने लगे थे। जो अफसर मुझे अधिकृत नोटिस देने आते थे वो शाम को मुझसे इलाज भी करवाने आते थे।
तो सिलिका भी होमियोपैथी की एक दवा थी, थ्योरी में ही सही मगर इसका चमत्कार मैंने कनाड़ा में ब्रिटिश कोलंबिया में देखा था।
हम चार दोस्त थे, ब्रिटिश कोलंबिया, (17/31)
कनाडा के ऊंचे पहाड़ों पर बियावान में डेरा डाले हुए थे। हमारे बगल में एक नदी थी, जो एक शोर के साथ आकाश से नीचे गिर रही थी, यह हमारे ऊपर एक ग्लेशियर से आ रही थी। नदी के वेग से धरती थर्रा रही थी, भयानक शोर था और ऊपर से पानी के साथ आती चट्टानों के लुड़कने और चटकने के पटाखे (18/31)
और धमाके भी हो रहे थे। उफनते, गरजते हुए पानी का रंग मटमैला था। यानि पानी में रॉक (चट्टान) का पाउडर था। ऊपर पर्वत पर ठोस चट्टानें थीं, मिटटी नहीं थी। घना बियावान जंगल हमारे पड़ाव से ही शुरू होता था।
हम अपनी जरूरतों के लिए उसी पत्थर पिसे पानी पर निर्भर थे। हमने उस (19/31)
पानी को बाल्टी में भर दिया और 10 घंटे बाद भी पानी साफ नहीं था लेकिन वैसे भी हम सीधे नदी से ही पानी लेकर इस्तेमाल कर रहे थे।
हम में से एक के माथे, नाक और गाल पर निशान थे। वह हमेशा उन निशानों को लेकर चिंतित रहता था। तीसरे या चौथे दिन हम में से किसी ने देखा कि उसके निशान (20/31)
लुप्त हो रहे थे। निशान के साथ हमारा दोस्त खुद के बारे में इतना सचेत हो गया कि उसने उन्हें गौर देखना शुरू कर दिया। एक मित्र के मुँह पर बचपन के मुहांसों के निशान थे। उसके मुहांसे फिर से वापिस आने लगे थे।
हम में से एक के हाथों पर चोट के बाद के टांकों के निशान थे। कुछ साल (21/31)
पहले किसी दुर्घटना में उनकी कलाई में कट लग गया था। वहां उसके टांकों के निशान सूज गए थे और खून व मवाद बहने लगा। मुहांसे वाले मित्र का चेहरा फिर से मुहांसों से भर गया था। एक बार दोस्त की भौंहों पर एक सख्त गांठ सी थी और उसे हमेशा एक छोटा सा उभार महसूस होता था, लेकिन भौंहें (22/31)
सामान्य थीं और यह गांठ बालों के नीचे छिपी हुई थी, इसलिए यह कभी दिखाई नहीं देता था। अचानक वह उबाल सक्रिय हो गया और एक फोड़े में बदल गया था।
हमें वहां पर और भी बहुत से अनुभव हुए थे थे लेकिन मैं केवल निशान और त्वचा से संबंधित अनुभव लिख रहा हूं। हमने वहां 12 दिन बिताए थे।
कुछ (23/31)
समय बाद भोहों पर गांठ वाले दोस्त ने रिपोर्ट किया कि वो गांठ हमेशा के लिए चली गयी है, टांकों के निशान वाले दोस्त ने बताया कि उसक निशान भी बेहतर हैं। लेकिन मुँहासों के निशान वाले दोस्त ने बताया कि उसके निशान फिर से मुहांसों में बदल गए हैं। मैंने उसे Silica-200C दवा भेजी (24/31)
उनके मुहांसे ठीक हो गए और निशान फिर से मुरझाने लगे और कुछ ही महीनों में वह दाग आधे रह गए और वे अब तक कभी वापस नहीं आए।

कृपया धयान रहे, यह पोस्ट Low Potency Silicea/Silica पर आधारित है। घर पर बनी सिलिका करीब 3X पोटेंसी की या हद 4X पोटेंसी की बनेगी। उच्च पोटेंसी की सिलिका (25/31)
Low पोटेंसी की सिलिका से उल्टा असर करेगी। अगर Low पोटेंसी शरीर में घुसे हानिकारक पदार्थों को अंदर से बाहर धकेलती है तो हाई पोटेंसी की सिलिका बाहर चर्म से अंदर चूसने का प्रयास करेगी। बेहतर है हम हानिकारक अटके हुए घटकों को शरीर से बाहर करें बजाए की शरीर इन्हें वापिस गहरे (26/31)
में खींचने का प्रयास करे।
घर पर सिलिका कैसे बनायें:
Here is the method to make Silica.
Make Silica at a dry day (No rain and low humidity)
Find some natural rock pebbles (You can find it in sands to make cement concrete mix). Or you can pick it up from rail line tracks.
(27/31)
Try to identify the rock pebble (small piece of rock) which is semi transparent) if you cannot find it then any other natural rock will do the job.
Heat up the stones to expel the moisture.
Stones should be about 20 grams.
Now put the stones on a clean metal surface and (28/31)
beat the stone with hammer. In other way you beat up the rock real fine.
When you think you cannot beat up the rock any more you stop.
Put the powder in a one litter mineral water bottle.
Shake it and let it settle for 10 minutes.
After 10 minutes heavier rock will (29/31)
settle down at the bottom but water will be still murky because of the micro silica particles.
Remove top 1/3 of the liquid without shaking the bottle.
That is your medicine. Use two drops three times a day just like any homeopathy medicine. You may see the (30/31)
results in just two days. (31/31)
You can follow @modified_hindu.
Tip: mention @twtextapp on a Twitter thread with the keyword “unroll” to get a link to it.

Latest Threads Unrolled:

By continuing to use the site, you are consenting to the use of cookies as explained in our Cookie Policy to improve your experience.