बिहार की दलित महिलाओं के बारे में मैंने जो ऑब्जर्व किया-
1. अमूमन इन्हें अपनी उम्र का नहीं पता होता है.
2. साफगोई से अपनी बात रखती हैं, घुमा फिराकर बात करना इन्हें नहीं आता है.
3. सवर्ण महिलाओं के मुकाबले ज्यादा आजाद हैं लेकिन कम उम्र में मर जाती है, एक वजह कुपोषण भी है. (1/1)
1. अमूमन इन्हें अपनी उम्र का नहीं पता होता है.
2. साफगोई से अपनी बात रखती हैं, घुमा फिराकर बात करना इन्हें नहीं आता है.
3. सवर्ण महिलाओं के मुकाबले ज्यादा आजाद हैं लेकिन कम उम्र में मर जाती है, एक वजह कुपोषण भी है. (1/1)
4. तमाम तकलीफों के बावजूद, किसी से कोई शिकायत नहीं, भेदभाव वाली व्यवस्था को ही अपनी नियति मान बैठी हैं.
5. ज्यादा बच्चे होने के बावजूद जीविकोपार्जन के काम में लगी रहती हैं.
6. घूंघट प्रथा और धार्मिक कर्मकांड कम है. पुरुष जो काम करते हैं वे सारे काम ये भी करती हैं. (1/2)
5. ज्यादा बच्चे होने के बावजूद जीविकोपार्जन के काम में लगी रहती हैं.
6. घूंघट प्रथा और धार्मिक कर्मकांड कम है. पुरुष जो काम करते हैं वे सारे काम ये भी करती हैं. (1/2)
7. अमूमन इनकी कोई सवर्ण सहेली नहीं होती हैं. सवर्ण महिलाएं भी इनसे नफरत करती हैं और जातिसूचक शब्दों से बुलाती हैं. इनके लिए मन में कोई दया नहीं.
8. ज्यादातर दलित महिलाएं सावित्रीबाई फुले को नहीं जानती हैं. बाबा साहेब से भी अपरिचित हैं. देवी-देवताओं के नाम पता हैं. (1/3)
8. ज्यादातर दलित महिलाएं सावित्रीबाई फुले को नहीं जानती हैं. बाबा साहेब से भी अपरिचित हैं. देवी-देवताओं के नाम पता हैं. (1/3)
9. अपने अधिकारों के बारे में बिल्कुल भी इन्हें जानकारी नहीं है. इन्हें यह नहीं पता है कि जातिसूचक शब्दों से बुलाने पर SC/ST एक्ट के तहत मुकदमा हो सकता है.
10. पुलिस-प्रशासन से कोई उम्मीद नहीं, लेकिन इसका भय इनके मन में है. बड़का जाति और गांववालों से भी कोई उम्मीद नहीं. (1/4)
10. पुलिस-प्रशासन से कोई उम्मीद नहीं, लेकिन इसका भय इनके मन में है. बड़का जाति और गांववालों से भी कोई उम्मीद नहीं. (1/4)
11. अमूमन तमाम नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इन्हें ठगा है लेकिन ये सब बातें इनके लिए चर्चा का विषय नहीं.
12. कई दलित महिलाओं ने मुझे पर्सनली बताया कि जाति पर गाली देने वाले छेड़खानी भी करते हैं लेकिन हम पुलिस में नहीं जाते हैं क्योंकि हमें ही उल्टा फंसा दिया जाएगा. (1/5)
12. कई दलित महिलाओं ने मुझे पर्सनली बताया कि जाति पर गाली देने वाले छेड़खानी भी करते हैं लेकिन हम पुलिस में नहीं जाते हैं क्योंकि हमें ही उल्टा फंसा दिया जाएगा. (1/5)
13. ये ज्यादातर भूमिहीन हैं. कोई सामाजिक और आर्थिक सूरक्षा नहीं है.
14. चमारिन, डोमिन जैसे जातिसूचक शब्द इनके लिए आम हो गया है. इन शब्दों को इन्होंने नियति मान ली है.
15. छोटी उम्र में शादी कर दी जाती है. यहां भी इन्हे बच्चे पैदा करने का मशीन बना दिया गया है. (1/6)
14. चमारिन, डोमिन जैसे जातिसूचक शब्द इनके लिए आम हो गया है. इन शब्दों को इन्होंने नियति मान ली है.
15. छोटी उम्र में शादी कर दी जाती है. यहां भी इन्हे बच्चे पैदा करने का मशीन बना दिया गया है. (1/6)
16. संविधान, आरक्षण, SC/ST एक्ट जैसी चीजों से भी ये अनभिज्ञ हैं. दलित या अनुसूचित जाति शब्द से भी अनभिज्ञ हैं.
17. शिक्षा की पहुंच कोसों दूर है, कईयों के पास कोई पहचान पत्र या दस्तावेज नहीं है.
18. शौचालय और सिलेंडर भी कईयों के घर में नहीं है. (1/7)
17. शिक्षा की पहुंच कोसों दूर है, कईयों के पास कोई पहचान पत्र या दस्तावेज नहीं है.
18. शौचालय और सिलेंडर भी कईयों के घर में नहीं है. (1/7)
19. शौच के लिए कई दलित महिलाएं रोड किनारे जाती हैं. दिन में शौच आने पर वे शाम का इंतजार करती हैं ताकि अंधेरे में शौच करने जा सकें. रोड किनारे गाड़ी आने पर गाड़ी की विपरीत दिशा में मुंह करके खड़ी हो जाती हैं ताकि कोई देख न सके.
20. इनके दुख और संघर्ष का कोई अंत नहीं है.
20. इनके दुख और संघर्ष का कोई अंत नहीं है.
