1/ 23: अधीर होकर काम करने से न तो काम बनता है और न ही इच्छानुसार परिणाम प्राप्त होते हैं। जनता है। गुस्सा होती है। गुस्सा होकर चाहती है कि फलाँ पार्टी ने धोखा किया तो BJP सीधा उसके घर पर रेड डलवा दे, उसे जेल में ठूँस दे और उसे रातोंरात नेस्तनाबूत कर दे। संयोग से,...
2/ ...लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता है। और कभी-कभार हो भी जाता है तो चलता है लेकिन बराबर होने लगे तो यही जनता फिर गाली देने लगती है, जो ऐसा करने बोल रही थी। इसके लिए 2 ऐसे लोग हमने बिठा रखे हैं, जो समझता है कि कैसे करना है।
3/ साथ चुनाव लड़ के शिवसेना ने धोखा दिया। फिर विरोधियों कॉन्ग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बना कर सबसे ज्यादा सीटों वाली पार्टी को विपक्ष में बैठने को मजबूर कर दिया। फड़नवीस ने तड़के सुबह शपथ ली, उसमें बेइज्जती हुई सो अलग। दशकों से PM बनने के सपने देख रहे एक से बढ़ कर एक घाघ...
4/ ...नेता लालू, नीतीश, मुलायम, नायडू और मायावती जैसों को अप्रासंगिक कर कुर्सी पर जो बैठा हुआ है और जो उसका सहयोगी है, उसने इस धोखे को क्या हल्के में लिया होगा? सोचिए।
5/ पालघर में दो साधुओं और एक ड्राइवर की मॉब लॉन्चिंग हुई। ये ऐसी घटना थी, जिसे आसानी से दबाया जा सकता था। दबाने वाले सफल भी हो गए थे लेकिन अचानक से वीडियो सामने आता है, लोगों का विरोध होता है और महाराष्ट्र पुलिस की पोल खुलती है। कई गिरफ्तार होते हैं, जिनमें अधिकतर...
6/ ...छूट जाते हैं। लेकिन, नक्सल-आदिवासी नेक्सस की एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश होता है। मीडिया में ये बड़ा मुद्दा बनता है और न्याय की माँग होती है। कई हिंदूवादी संगठन लगे हुए हैं। हाल ही में 'विवेक विचार मंच' की जाँच रिपोर्ट आई है।
7/ इसके बाद सुशांत सिंह राजपूत की मौत होती है। क्षणिक आउटरेज के बाद सब शांत होता दिखता है लेकिन अचानक से उनके पिता नीतीश से मिलते हैं और FIR दर्ज होती है, उन्हें न्याय का आश्वासन मिलता है। फिर CBI, NCB और ID जाँच शुरू करती है। ये सब इतना आसान था क्या? जहाँ जनभावनाओं...
8/ ...का कोई सम्मान ही नहीं है, वहाँ इस मामले को दबाने में क्या ही मुसीबत थी। लेकिन, वो मोदी-शाह और उनकी पार्टी ही थी, जिसने लोगों की भावनाओं को समझ कर पालघर कर सुशांत को ज़िंदा रखा, क्योंकि जितनी चर्चा होगी उतनी ही शासन-सरकार की पोल खुलेगी और न्याय की उम्मीद जगेगी।
9/ रणनीति क्या है? मोदी-शाह वाली BJP की रणनीति है कि जनता के बीच मुद्दों को ले जाकर किसी की लगातार पोल खोलते रहो और उसके असली चेहरे को इतना बेनकाब कर दो कि कल को न तो उसकी कोई इज्जत बचे और न प्रासंगिकता। यही उद्धव के साथ किया जा रहा है। अपनी ही पार्टी में नवजोत सिंह...
10/ ...सिद्धू, उदित राज, शत्रुघ्न सिन्हा, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के साथ थी हुआ। अब सुब्रमण्यन स्वामी के साथ होगा। लेकिन, अपनी पार्टी के लोगों के साथ नरमी से होता है, विपक्षियों के साथ Brutally किया जा रहा है।
11/ मान लीजिए भाजपा पालघर आउर सुशांत के बाद अधीरता से काम ले ले। तुरन्त केंद्रीय एजेंसियाँ जाँच बिठाए, कुछ न कुछ निकल ही आएगा और उद्धव को जेल में ठूँस दे। कल को मुम्बई जलने लगे, मराठे सड़क पर उतर आएँ और सारे विपक्षी दल आग में घी डालने का काम करें। तब यही लोग कहेंगे कि...
12/ ...अरे देखो BJP ने सब बेकार कर दिया, हैंडल नहीं कर पाए। फिर चुनाव में उद्धव की पत्नी-बेटा घूमने लगे और सहानुभूति लहर में और मजबूत हो जाए। इसीलिए, समय लगता है। धीमे-धीमे मौत होती है तो लोग भी मरने देते हैं।
13/ और क्या ऐसे तिकड़म फेल नहीं हुए हैं? खुद गुजरात मे मोदी के साथ ऐसा हुआ, वो और मजबूत हुए। बंगाल में ममता ने ऐसे ही सहानुभूति बटोरी। बिहार में लालू सालों ऐसे ही डर दिखा कर जीतता रहा। 2004 में व्यक्तिगत हमलों के बाद सोनिया और मजबूत हुईं। हिंदी न जानने वाली राजनीति...
14/ ...में नई-नई आई महिला ने वाजपेयी जैसे 5 दशक पुराने नेता को सत्ता से बेदखल कर दिया। जेल जाने के बाद जयललिता सत्ता में लौट आईं। ऐसे में दिखना नहीं चाहिए कि सीधी कार्रवाई हो रही है, वरना पब्लिक कब पाला बदल ले- ये कहा नहीं जा सकता। इसके लिए सहानुभूति कार्ड इस्तेमाल...
15/ ...किया जाता है।
16/ इसीलिए, लोकतंत्र हो या राजतंत्र- तख्तापलट जब जनता की मर्जी से और जनता के आंदोलन के बाद हुए हैं, तभी तानाशाहों को हटाया जा सका है। इसीलिए, किसी को भी अप्रासंगिक बनाने के बाद उसका कुछ भी किया जा सकता है। आज भीमा-कोरेगाँव मामले में 15 ऐसे अर्बन-नक्सल जेल में बंद...
17/ ...हैं, जिनके एक इशारे पर पूरा लिबरल जमात हंगामे पर उतारू हो जाता था लेकिन आज वो जेल में सड़ रहे हैं, बुढ़ापे में कोरोना हो रहा है लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है। अब तो उनकी खबरें भी नहीं आती। ऐसे काम करती है आज की भाजपा।
18/ और राजनीतिक दल है तो उसे चुनावी लाभ तो चाहिए क्योंकि इसके बिना सब सूना है, एक NGO से ज्यादा उसकी कोई औकात रह नहीं जाएगी। जो सरकार 70 साल पहले हुए ब्लंडर को ठीक कर के जम्मू कश्मीर को मुक्त कर सकती है, 400 साल बाद राम मंदिर को वापस ला सकती है और पाकिस्तान-चीन को...
19/ ...नेस्तनाबूत कर सकती है, वो उद्धव ठाकरे को छोड़ देगी, ये आपने कैसे सोच लिया? निर्मम बनने का एक समय होता है, लेकिन वो समय आता नहीं बल्कि उसे लाना पड़ता है। फिर उस निर्ममता को जनसमर्थन मिला होता है या कोई ध्यान ही नहीं देता
20/ अरे, शाहीन बाग को ही देखिए न। दिल्ली ने वोट नहीं दिया तो भाजपा को भी लगा कि इन्हें यही शाहीन बाग चाहिए। देश भर में दंगे हुए, दंगाइयों को कपड़ों से पहचाना जाने लगा और इस पर लिखी पुस्तकों को पब्लिश होने से रोका गया। कोरोना आया, कुछेक पुलिसवाले आए और शाहीन बाग का...
21/ ...तंबू उखाड़ फेंका। कितना आसान लगा न? इसे आसान बनाया गया। तभी आज ताहिर हुसैन और शरजील इमाम अप्रासंगिक हो चुके हैं, उन्हें मिल रहे समर्थन की कोई वैल्यू नहीं और एक के बाद एक गिरफ्तारियाँ हुईं। तो स्ट्रेटेजी है- लगातार Expose करो, फिर वार करो।
22/ और इन्होंने तो ब्लंडरों की सीरीज खड़ी कर दी है। पालघर और सुशांत तो बस चर्चा में हैं। दो गलतियों को ढकने के लिए सौ गलतियाँ की हैं, हजार और करेंगे ये। पूर्व नौसेना अधिकारी की आँख फोड़ दी। सरकार के खिलाफ लिखने वाले लोगों को प्रताड़ित किया। पत्रकारों को जेल भेज दिया।...
23/ ...विवेक अग्निहोत्री के घर में घुस गए। कंगना रनौत का दफ्तर तोड़ डाला। एक चैनल का प्रसारण रोकने की कोशिश कर रहे। कोर्ट में डाँट सुन रहे। जनता के पास एक-एक मुद्दे को मजबूती से लेकर जाना ही राजनीति है और मोदी-शाह इसके सिद्धहस्त।