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निजीकरण को आसन भाषा में समझते हैं।
निजी बैंक में अच्छी सर्विस मिलती है, चलो मान लिया।
तो कुछ सवालों के जवाब दीजिए।
प्रश्न १: अच्छी सेवा होने के बाद भी, पीएसबी की तुलना में निजी बैंक में इतने कम ग्राहक क्यूँ हैं?
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निजीकरण को आसन भाषा में समझते हैं।
निजी बैंक में अच्छी सर्विस मिलती है, चलो मान लिया।
तो कुछ सवालों के जवाब दीजिए।
प्रश्न १: अच्छी सेवा होने के बाद भी, पीएसबी की तुलना में निजी बैंक में इतने कम ग्राहक क्यूँ हैं?
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प्रश्न २: क्या सरकारी बैंक को बंद कर के, सभी ग्राहकों का खाता निजी बैंक में खुल जाए तो भी आपको अच्छी सेवा निजी बैंक दे पायेंगे?
प्रश्न ३: क्या आपका खाता निजी बैंक में है?
चलिए अब उतर तलाशते हैं।यदि आपका उत्तर मेरे उत्तर से भिन्न हैं तो कोमेंट में अपना प्रतिक्रिया दे सकते हैं२/n
प्रश्न ३: क्या आपका खाता निजी बैंक में है?
चलिए अब उतर तलाशते हैं।यदि आपका उत्तर मेरे उत्तर से भिन्न हैं तो कोमेंट में अपना प्रतिक्रिया दे सकते हैं२/n
उत्तर १: अच्छी सेवा होने के बावजूद निजी बैंक में पीएसबी क़े तुलना में ग्राहक इसलिए कम हैं, क्यूँकि उनकी सेवाएँ महँगी है। जो आम आदमी अफ़ोर्ड नहीं कर पाते हैं, और इसीलिए निजी बैंक में नहीं जा पाते हैं।
उत्तर २: यदि सरकारी बैंक बंद कर के सभी ग्राहक का खाता निजी बैंकों में
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उत्तर २: यदि सरकारी बैंक बंद कर के सभी ग्राहक का खाता निजी बैंकों में
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खोल दिए जायें, तो वहाँ भी आपको वही भिड़ भाड़ वली स्थिति मिलेगी जो की आपको सरकारी बैंकों में देखने को मिलती है। इससे निजी बैंकों की भी सेवाएँ प्रभावित होंगी।
उत्तर ३: यदि आपका खाता निजी बैंक मैं है, और वो आपका सैलरी अकाउंट नहीं है तो फिर आपकी आर्थिक स्थिति अवश्य ही अच्छी है ४/n
उत्तर ३: यदि आपका खाता निजी बैंक मैं है, और वो आपका सैलरी अकाउंट नहीं है तो फिर आपकी आर्थिक स्थिति अवश्य ही अच्छी है ४/n
लेकिन अगर आपका खाता नहीं है, तो इसके दो कारण हैं, या तो आप निजी बैंक की सेवा लेने और मिनिमम एवरेज बैलेंस रखने में सक्षम नहीं हैं और यदि सक्षम हैं तो आपके क्षेत्र में निजी बैंक नहीं है।
इन सब सवाल जवाब का क्या निष्कर्ष निकलता है।
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इन सब सवाल जवाब का क्या निष्कर्ष निकलता है।
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निष्कर्ष ये है की:
निजी बैंक इसलिए अच्छी सेवा देना में सक्षम हैं, क्यूँकि उनके पास ग्राहकों की संख्या कम है।
सेवाएँ महँगी होने के कारण सीमित व्यक्ति ही निजी बैंक जाते हैं और सेवाएँ पाते हैं।
आम आदमी का निजी बैंक में खाता होना सम्भव नहीं।
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तो फिर आप निजीकरण से क्यूँ खुश हैं?
ना आप निजी बैंक में जा पायेंगे और ना ही निजी ट्रेन में। ना आप निजी अस्पताल में जा पायेंगे और ना ही आपके बच्चे निजी आईआईटी और आईटीआई में।
तो फिर आप सरकार से सवाल क्यूँ नहीं करते? किसके लिए हो रहा है ये निजीकरण? किसको फ़ायदा पहुँच रहा है? ७/n
ना आप निजी बैंक में जा पायेंगे और ना ही निजी ट्रेन में। ना आप निजी अस्पताल में जा पायेंगे और ना ही आपके बच्चे निजी आईआईटी और आईटीआई में।
तो फिर आप सरकार से सवाल क्यूँ नहीं करते? किसके लिए हो रहा है ये निजीकरण? किसको फ़ायदा पहुँच रहा है? ७/n
यदि आप इतने सरल भाषा में भी आपके साथ होने वाले अन्याय को नहीं समझ सकते, तो फिर आपके साथ ये नाइंसाफ़ी जायज़ है।
बन जाइए भिड़ का हिस्सा, लगा दीजिए नारे। लेकिन आपके बच्चे बड़े होकर सवाल ज़रूर पूछेंगे, जब देश बिक रहा था तो आप क्या कर रहे थे?
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बन जाइए भिड़ का हिस्सा, लगा दीजिए नारे। लेकिन आपके बच्चे बड़े होकर सवाल ज़रूर पूछेंगे, जब देश बिक रहा था तो आप क्या कर रहे थे?
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मैं तो कह पाऊँगा, मैं लोगों को जगा रहा था। मैं लड़ रहा था।
आप अगली पीढ़ी से नज़र मिला पायेंगे?
हे कलयुग के राम उठो, मैं तुम्हें जगाने आया हूँ।
@dr_chayanika @HansrajMeena @Swamy39 @ShashiTharoor @Bankers_United
आप अगली पीढ़ी से नज़र मिला पायेंगे?
हे कलयुग के राम उठो, मैं तुम्हें जगाने आया हूँ।
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