#जोगीलीला
•पुष्टिमार्ग में कुशग्रहणी अमावस्या जोगी-लीला के लिए प्रसिद्द है।
•इस दिन भगवान शंकर भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप दर्शन के लिए पधारे थे।

शंकर जी जब साकार ब्रह्म के दर्शन के लिए आए और मैया यशोदा को पता चला कि कोई साधु द्वार पर भिक्षा लेने के लिए खड़े हैं, तो उन्होंने...
दासी को साधु को फल देने की आज्ञा दी। दासी ने हाथ जोड़कर साधु को भिक्षा लेने व बालकृष्ण को आशीर्वाद देने को कहा।

शंकरजी ने दासी से कहा कि -"मेरे गुरू ने मुझसे कहा है कि गोकुल में यशोदा जी के घर परमात्मा प्रकट हुए हैं। इससे मैं उनके दर्शन के लिए आया हूँ।
मुझे लाला के दर्शन करने हैं।"

•ब्रज में छोटे बालकों को लाला कहते हैं, व शैव साधुओं को जोगी कहा जाता है।

दासी ने भीतर जाकर मैया यशोदा को सब बात बतायी, यशोदा जी को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने खिड़की से बाहर झाँककर देखा कि एक साधु खड़े हैं, जिन्होंने बाघम्बर पहना है,...
गले में सर्प हैं, भव्य जटायें हैं, और हाथ में त्रिशूल है।

मैया यशोदा ने साधु को बारम्बार प्रणाम करते हुए कहा कि - "महाराज आप महान पुरुष लगते हैं। क्या भिक्षा कम लग रही है?
आप माँगिये तो, मैं आपको वही दूँगी पर मैं लाला को बाहर नहीं लाऊँगी।
हमने अनेक मनौतियाँ मानी हैं तब वृद्धावस्था में यह पुत्र हुआ है। यह मुझे प्राणों से भी प्रिय है, और आपके गले में सर्प है, और मेरा लाला अति कोमल है, वह उसे देखकर डर जाएगा।"

जोगी वेषधारी शंकर जी ने कहा -"मैया, आपका पुत्र देवों का देव है, वह काल का भी काल है और...
संतों का तो सर्वस्व है। उल्टा, वह मुझे देखकर प्रसन्न होगा। माँ, मैं लाला के दर्शन के बिना पानी भी नहीं पीऊँगा। आपके आँगन में ही समाधी लगाकर बैठ जाऊँगा।"

ऐसा कहकर वे वहीं नंदभवन के बाहर ध्यान लगा कर बैठ गए।

•आज भी नन्दगाँव में नन्दभवन के बाहर आशेश्वर महादेव का मंदिर है।
...जहां भगवान शंकर प्रभु श्रीकृष्ण के दर्शन की आशा में बैठे हैं।

भगवान शंकर ध्यान करते हुए मग्न हुए तब बालकृष्णलाल उनके हृदय में पधारे और बालकृष्ण ने अपनी लीला की। अचानक बालकृष्ण ने ज़ोर-ज़ोर से रोना शुरु कर दिया।

मैया यशोदा ने उन्हें दूध-माखन, फल-फूल, खिलौने आदि देकर...
चुप कराने की बहुत कोशिश की पर वह चुप ही नहीं हो रहे थे।

एक गोपी ने मैया यशोदा से कहा कि आँगन में जो साधु बैठे हैं उन्होंने ही लाला पर कोई मन्त्र फेर दिया है।

तब मैया यशोदा ने शांडिल्य ऋषि को लाला की नजर उतारने के लिए बुलवाया।
शांडिल्य ऋषि समझ गए कि भगवान शंकर ही कृष्णजी के बाल स्वरूप के दर्शन के लिए आए हैं।

उन्होंने मैया यशोदा से कहा -"मैया, आँगन में जो साधु बैठे हैं, उनका लाला से जन्म-जन्म का सम्बन्ध है। उन्हें लाला का दर्शन करवाइये, तभी बालकृष्ण चुप होंगे।"

मैया यशोदा ने लाला का...
सुन्दर श्रृंगार किया, बालकृष्ण को पीताम्बर पहनाया, लाला को नजर न लगे इसलिए गले में बाघ के सुवर्ण जड़ित नख को पहनाया।

साधू (जोगी) से लाला को एकटक देखने से मना कर दिया कि कहीं लाला को उनकी नजर न लग जाये। तब मैया यशोदा ने शंकरजी को भवन भीतर बुलाया।
•नन्दगाँव में नन्दभवन के अन्दर आज भी नंदीश्वर महादेव विराजित हैं।

इस प्रसंग का अद्भुत पद सूरदासजी ने गाया है जिसे पढ कर भाव से आनंद लेने का प्रयास करें। 🙏

•राग : आसावरी ~

आयो है अवधूत जोगी द्वारे, कन्हैया दिखलावै हो माई॥
एक हाथ त्रिशूल दूजे कर डमरू, सिंगीनाद बजावै।
जटा जूट में गंग बिराजै, गुन मुकुंद के गावै हो माई॥
भुजंग कौ भूषण भस्म कौ लेपन, और सोहै रुण्डमाला।
अर्द्धचंद्र ललाट बिराजै, ओढ़न कों मृगछाला॥
संग सुंदरी परम मनोहर, वामभाग एक नारी।
कहै हम आये काशीपुरी तें, वृषभ कियें असवारी॥
कहै यशोदा सुनौ सखीयौ, इन भीतर जिन लाऔ।
जो मांगै सो दीजो इनकों, बालक मती दिखाऔ॥
अंतरयामी सदाशिव जान्यौ, रुदन कियौ अति गाढौ।
हाथ फिरावन लाई यशोदा, अंतरपट दै आड़ौ॥
हाथ जोरि शिव स्तुति करत हैं, लालन बदन उघारयो।
'सूरदास' स्वामी के ऊपर, शंकर सर्वस वारयो॥

हरे कृष्णा, हरे कृष्णा! कृष्णा, कृष्णा हरे, हरे!! 🙏🙏
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