*ये एक कहानी है ...*
... जो शुरू होती है भूषण पावर एण्ड स्टील (BPSL) के दिवालिया होने के पश्चात्। दिवालिया घोषित होने के पश्चात् आप ऐसी कम्पनियों से पैसा वसूल नहीं कर सकते। हिन्दुस्तान में कोई ऐसा कानून ही नहीं था कि कोई दिवालिया हो गया तो उससे पैसे कैसे ++
... जो शुरू होती है भूषण पावर एण्ड स्टील (BPSL) के दिवालिया होने के पश्चात्। दिवालिया घोषित होने के पश्चात् आप ऐसी कम्पनियों से पैसा वसूल नहीं कर सकते। हिन्दुस्तान में कोई ऐसा कानून ही नहीं था कि कोई दिवालिया हो गया तो उससे पैसे कैसे ++
वसूल किये जाएँ ? ? ?
अब तक ऐसा ही चलता था। 2014 में आयी मोदी सरकार और बनाया गया NCLT (National Company Law Tribunal)।
अब जो भी कम्पनी दिवालिया होगी उसे NCLT में जाना पड़ेगा। वहां बोली लगेगी। कम्पनी नीलाम की जाएगी और पैसे वसूल करके प्रमोटर्स, जैसे कि बैंकों को ++
अब तक ऐसा ही चलता था। 2014 में आयी मोदी सरकार और बनाया गया NCLT (National Company Law Tribunal)।
अब जो भी कम्पनी दिवालिया होगी उसे NCLT में जाना पड़ेगा। वहां बोली लगेगी। कम्पनी नीलाम की जाएगी और पैसे वसूल करके प्रमोटर्स, जैसे कि बैंकों को ++
दिए जायेंगे जिससे बैंकों का NPA बढ़ता न रहे।
अब बात BPSL और उसके मालिक संजय सिंघल की। इनकी कंपनी 18 महीने पहले दिवालिया घोषित हो गई। इनके ऊपर PNB बैंक का 47000 करोड़ रुपया बकाया था। नीलामी की बोली शुरू हो गई तो टाटा स्टील, जिंदल और UK लिबर्टी हाउस ने बोली लगाई। अब ++
अब बात BPSL और उसके मालिक संजय सिंघल की। इनकी कंपनी 18 महीने पहले दिवालिया घोषित हो गई। इनके ऊपर PNB बैंक का 47000 करोड़ रुपया बकाया था। नीलामी की बोली शुरू हो गई तो टाटा स्टील, जिंदल और UK लिबर्टी हाउस ने बोली लगाई। अब ++
NCLT कोर्ट से फैसला आना है कि किस कम्पनी की बोली स्वीकार की गई है। फिर उसी कम्पनी को BPSL दे दिया जायेगा और बैंक का ऋण भी चुकता किया जायेगा।
अब क्लाइमेक्स आया है। जब भूषण स्टील एण्ड पावर के मालिक ने NCLT के सामने एक ऑफर रखा है कि हम बैंकों का 47000 करोड़ का ऋण ++

चुका देंगे। आप हमारी कम्पनी नीलाम मत करिये।
अब जनता को ये सोचना है कि ऐसे कितने उद्योगपतियों ने बैंकों का पैसा खाकर और दिवालिया होकर ऐश काटी है, पिछली एक खास परिवार की सरकारों के समय में।
अब उन्हें लोन चुकाना ही होगा और ये सब मोदी सरकार के बनाये क़ानून और NCLT ++


जैसी संस्था बनाने से संभव हुआ। इसीलिए जब मोदीजी कहते हैं कि मैंने खानरेस के समय के Loop Holes (गड्ढे) भरे हैं तो बिल्कुल अतिशयोक्ति नहीं लगती है।
लगभग यही कहानी रुइया ब्रदर्स, एस्सार स्टील वालों की भी है। उनका भी बैंक ऋण चुकाने का मन नहीं था। दिवालिए हो गए। NCLT ++

में लक्ष्मी मित्तल, मित्तल स्टील्स ने बोली लगा रखी है पर अब रुइया ब्रदर्स के पास 54000 करोड़ आ गया है और विनती कर रहे हैं कि हमारी कम्पनी को हम ही खरीद लेते हैं। उसे नीलाम मत करो और 54000 करोड़ भी हमसे ले लो।
अब आये हैं ये ऊँट पहाड़ के नीचे। अब तक इन्होंने स्वयं भी ++
अब आये हैं ये ऊँट पहाड़ के नीचे। अब तक इन्होंने स्वयं भी ++
देश के पैसे पर बहुत ऐश की और अपने आकाओं (खानदानी सरकार यानी खानरेस) को भी ऐश कराई। कोई समस्या आई तो फिर उन्हें डर काहे का जब उनके सैंया भये कोतवाल। लेकिन अब ये 'चौकीदार' की सरकार है और इसके एक आह्वान पर पूरे देश भर में चौकीदारों की लम्बी लाइन खड़ी हो चुकी है। ऐसे देशविरोधी++
तत्वों को अब डरना ही होगा।
*ये है प्रधान चौकीदार मोदी को सत्ता देने का फायदा। निर्णय आपको करना है कि देश को फिर से लुटेरों को या चौकीदार को सौंपना है।*







जय हिंद। जय भारत।। वन्देमातरम।।।




*ये है प्रधान चौकीदार मोदी को सत्ता देने का फायदा। निर्णय आपको करना है कि देश को फिर से लुटेरों को या चौकीदार को सौंपना है।*







जय हिंद। जय भारत।। वन्देमातरम।।।




