दोस्तो, आज मैं आपको उस स्मारक की सैर कराता हूँ जो उत्तर फ़्रांस में प्रथम विश्व युद्ध के भारतीय सैनिकों एवं श्रमिकों की स्मृति में बनाया गया।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत ने 1,40,000 से अधिक सिपाहियों और मज़दूरों को पश्चिमी मोर्चे पर भेजा। लड़ाकों में से 8,550 से अधिक की मौत हुई और मृतकों में से लगभग 5,000 की अंत्येष्टि नहीं हो पाई।
उन्हीं मृत सैनिकों व मज़दूरों की स्मृति में 1927 में उत्तर फ़्रांस के नवशापैल नामक किसी छोटे गाँव में एक शानदार स्मारक का उद्घाटन किया गया।
यदि उसकी वास्तुकला परिचित-सी लगती है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं: उसका डिज़ाइन प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार सर हर्बर्ट बेकर द्वारा किया गया जो दिल्ली के संसद भवन एवं केन्द्रीय सचिवालय के लिए भी मशहूर हैं।
स्मारक की परिपत्र दीवार पर उन हजारों भारतीय जवानों के नाम लिखे हैं जिनका दफ़न या अंतिम संस्कार नहीं हो पाया था। शायद इसलिए कि मैदान-ए जंग में उनकी लाशें भी नहीं मिल पाईं।
दिलचस्प बात यह भी है कि अलग-अलग रेजिमेंटों के सैनिकों के साथ-साथ सैकड़ों मज़दूरों, कुलियों, ख़च्चर हाँकनेवालों आदि के नाम भी शामिल हैं: कालू, वीरप्पा, हाफ़िज़ुल्लाह, एंथोनी…
स्मारक के रखरखाव की जिम्मेदारी @CWGC संभालता है। भारतीय दूतावास @Indian_Embassy के अधिकारी वार्षिक श्रद्धांजलि समारोह में भाग लेते हैं। https://twitter.com/Indian_Embassy/status/1058729360126066689?s=20
अगर आपको लगता है कि मृतकों में से आपका कोई पूर्वज हो सकता है तो @CWGC की वेबसाइट पर पूरी सूची प्रदर्शित की जा सकती है।
https://www.cwgc.org/find-records/find-war-dead/search-results/?CemeteryExact=true&Cemetery=NEUVE-CHAPELLE%20MEMORIAL
