मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की शामगढ़ तहसील में स्थित धर्मराजेश्वर मंदिर देश के आलौकिक मंदिरों में से एक है। 8वीं शताब्दी में निर्मित इस मन्दिर की तुलना सुप्रसिद्ध एलोरा के कैलाश मंदिर से की जाती है। कैलाश मंदिर के समान ही एकाश्म शैली में बनाया गया है। #IncredibleIndia 1/6
गुर्जर प्रतिहार कालिन धर्मराजेश्वर मंदिर है, जिसकी कलाकृति गुर्जर प्रतिहारो के बाकी मंदिरों के समान ही है। यह 54 मीटर लम्बी, 20 मीटर चौड़ी और 9 मीटर गहरी चट्टान को तराशकर बनाया गया हैं। मन्दिर में द्वार-मण्डप, गर्भगृह और शिखर आदि निर्मित हैं। मध्य में एक बड़ा मन्दिर हैं, 2/6
जिसकी लम्बाई 1453 मीटर तथा चौड़ाई 10 मीटर हैं।
मुख्य मंदिर सात छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है जो विभिन्न देवताओं जैसे भगवान भैरव, देवी काली, गरुड़ और देवी पार्वती को समर्पित हैं। मुख्य मंदिर में भगवान विष्णु की एक मूर्ति के साथ एक विशाल शिव लिंग है। 3/6
मुख्य मंदिर सात छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है जो विभिन्न देवताओं जैसे भगवान भैरव, देवी काली, गरुड़ और देवी पार्वती को समर्पित हैं। मुख्य मंदिर में भगवान विष्णु की एक मूर्ति के साथ एक विशाल शिव लिंग है। 3/6
प्रवेश द्वार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की उत्कीर्ण छवियों को प्रदर्शित करता है।
मंदिर की गुफाओं का जीर्णोद्धार के बाद जर्जर हो चुकी गुफाएं निखर गई हैं। यहां पुरातत्व विभाग ने एक बगीचा बनाया है। इस मंदिर को हिन्दू और बौद्ध दोनों धर्म के प्रतिक के रूप में भी देखा जाता है। 4/6
मंदिर की गुफाओं का जीर्णोद्धार के बाद जर्जर हो चुकी गुफाएं निखर गई हैं। यहां पुरातत्व विभाग ने एक बगीचा बनाया है। इस मंदिर को हिन्दू और बौद्ध दोनों धर्म के प्रतिक के रूप में भी देखा जाता है। 4/6
इस स्थल पर 170 गुफाएँ हैं जो जैन संस्कृति से संबंधित हैं। गुफाओं के अंदर, पाँच मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं, जिनकी पहचान जैन तीर्थंकरों जैसे ऋषभ देव, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, शांतिनाथ और महावीर के रूप में की गई थी। स्थानीय लोग उन्हें पांडवों की प्रतिमा मानते हैं। 5/6
दैनिक पूजा और अनुष्ठानों के अलावा, महा शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में एक भव्य मेला लगता है। 6/6