आश्चर्य है। तब तो अल्टा् साउंड वगैरह भी नहीं थे। हजारों साल पहले कैसे जान गये मनीषी?
डाक्टर अब कहते हैं कि गर्भस्थ शिशु का विकास ऐसे ही होता है।
डाक्टर अब कहते हैं कि गर्भस्थ शिशु का विकास ऐसे ही होता है।
शुक्रस्य सहरक्तस्य एकाहात्कलिलं भवेत्।
पंचरात्रेण कलिले बुद्बुत्वं ततो भवेत।।
मासंत्व मासमात्रेण पंचधा जायते पुन:।
ग्रीवा शिरश्च स्कंधस्च पृष्ठवंशस्तथोदरम् ।।
पाणिपादौ तथा पार्श्वौ कटिगात्रं तथैव च।
मासद्वयेन पर्वाणि क्रमश: सम्भवन्ति च।।
पंचरात्रेण कलिले बुद्बुत्वं ततो भवेत।।
मासंत्व मासमात्रेण पंचधा जायते पुन:।
ग्रीवा शिरश्च स्कंधस्च पृष्ठवंशस्तथोदरम् ।।
पाणिपादौ तथा पार्श्वौ कटिगात्रं तथैव च।
मासद्वयेन पर्वाणि क्रमश: सम्भवन्ति च।।
त्रिर्भिमासै: प्रजायन्ते सर्वे ह्यकुंरसंधय:।
मासैश्चतुर्भिजायन्ते अंग्ल्यादि यथाक्रमम्।।
मुखं नासा च कर्णौ च मासैर्जायन्ति पंचभि:।
दंतपंक्तिस्तथा जिह्वा जायते तु नखा : पुन:।। . . . .
मासैश्चतुर्भिजायन्ते अंग्ल्यादि यथाक्रमम्।।
मुखं नासा च कर्णौ च मासैर्जायन्ति पंचभि:।
दंतपंक्तिस्तथा जिह्वा जायते तु नखा : पुन:।। . . . .
एक ही दिन रक्त- रज मिश्रित शक्र का कलिल हो जाता है और पांच रात्रियों में कलिल बुदबुद बन जाता है। महीने भर में वह मांस का रूप धारण करता है और फिर गर्दन, सिर, कंधे, पीठ और पेट - इन पांच भागों में विभाजित हो जाता है।
वैसे ही हाथ ,पैर बगल, कमर आदि अंग हो जाते हैं। दो महीने में अंगों की संधियां उत्पन्न हो जाती हैं।
तीन महीनों में सभी शाखा- प्रशाखाओं की संधियां उत्पन्न हो जाती हैं और चार महीनों अंगुली आदि अवयव हो जाते हैं।
तीन महीनों में सभी शाखा- प्रशाखाओं की संधियां उत्पन्न हो जाती हैं और चार महीनों अंगुली आदि अवयव हो जाते हैं।
पांच महीनों में मुख, नाक, कान हो जाते हैं और दंतावलि, जीभ , नाखून आदि भी हो जाते हैं। छह महीनों में दोनों कानों दिद्र हो जाते हैं और उपस्थ व जननांग भी हो जाते हैं। सात महीनों में सिर के बाल आदि अंग-प्रत्यंग सम्पूर्ण हो जाते हैं।
आठवें महीने में स्पष्ट विभाजित हुए अंगों वाला हो जाता और पंच महाभूतों से युक्त परिपक्व होकर तैयार हो जाता है।
फिर भी हम अपने पुर्वजो को ना देखकर हर खोज के लिये पश्चिमी देशो की तरफ देखते है
..गर्व करो की हम सनातनी हिन्दू विश्वगुरु है....
फिर भी हम अपने पुर्वजो को ना देखकर हर खोज के लिये पश्चिमी देशो की तरफ देखते है
..गर्व करो की हम सनातनी हिन्दू विश्वगुरु है....