सामाजिक न्याय को मजबूत करता आर्थिक पिछड़ी जातियों/धर्म को आरक्षण। मेरे विचार #Tweet4Bharat @iidlpgp

1.आरक्षण क्यों आवश्यक था?
-आरक्षण को जिन उद्देश्यो के लिए बनाया गया था वो पिछले कुछ दशकों में भटक रहा था,समाज के एक वर्ग में असंतोष था,आर्थिक रूप से अक्षम उच्च वर्ग समाज से 1/n
खुद को अलग थलग महसूस कर रहा था, शिक्षा ,स्वास्थ्य और रोजगार की मूलभूत आवश्यकता के अधिकार से खुद को वंचित महसूस कर रहा था..आर्थिक पिछड़े वर्ग को आरक्षण ने न केवल गरीब वर्ग को समान अवसर दिए बल्कि उस गरीब वर्ग के विद्रोही बनकर सामाजिक ताना बाना ध्वस्त करने की संभावना को भी कम किया
2.समाज के दूसरे वर्गों पर प्रभाव ?
-सामाजिक समरसता मजबूत करने की दिशा में ये कदम क्रांतिकारी इसलिए भी था क्योंकि न केवल इसमें एक दरिद्र वर्ग को समान अवसरों की बात थी बल्कि दूसरे वर्गों के अधिकारों पर आघात किये बिना प्रथम वर्ग को समान अवसर प्रदान किये नए थे ..पिछड़ा, अन्य पिछड़ा
और दूसरे पिछड़ी जातियों के अधिकारों का हनन किये बिना गरीब व शोषित वर्ग को अधिकार दिलाना सामाजिक समरसता के लिए एक क्रांतिकारी कदम था

3.सिर्फ जातियों नही धर्म का भी ध्यान !!
- विविधता में एकता भारतीय समाज की विशेषता है,आजादी के 70 साल बाद और मजबूत हुई इस व्यवस्था में दूसरे धर्मों
का ना केवल समाज मे प्रतिनिधित्व बढ़ा है बल्कि उनकी जनसंख्या में भी वृद्धि हुई है, अतः सिर्फ जातियों के आधार पर आरक्षण अब बेमानी हो गया है ,आर्थिक रूप से पिछड़े समस्त गैर आरक्षित धर्मो को भी इसमें अधिकार देकर न केवल सामाजिक और धार्मिक समरसता का ताना बाना मजबूत किया गया है
4. समाज के सक्षम वर्ग से अन्याय ?
- शायद नही ! आर्थिक रूप से सक्षम वर्ग नौकरी और अन्य कार्यो के लिए आरक्षण पर निर्भर नही , तथा समाज मे उनकी जनसंख्या के हिसाब से भागीदारी के हिसाब से पर्याप्त अवसर है जिन्हें वह मेरिट पर पा सकते है

5. जीवन भर के लिए आरक्षण का लाभ?
-नवोन्नत वर्ग हर
वर्ष इससे अलग होता रहेगा और नए लोग जो आर्थिक रूप से पिछड़े है वो इसके लाभ के भागीदार बनते रहेंगे ,मतलब एक वर्ष आप निर्धन है इसका मतलब ये नही जीवन पर्यन्त आप इसका लाभ लेते रहेंगे ,सामाजिक न्याय के लिए इससे अधिक संतोषपूर्ण व्यवस्था क्या होगी

- आर्थिक पिछड़ा आरक्षण और सामाजिक न्याय
अंतिम तुलनात्मक समीक्षा

-एक स्वस्थ समाज बनता है स्वस्थ सामाजिक व्यवस्था से ,आजादी के बाद से लेकर आज तक हमने सामाजिक मुद्दों पर ध्यान दिया है परंतु एक वर्ग को आगे बढ़ा देना और दूसरे वर्ग को वहीं छोड़ देना कभी भी एक स्वस्थ समाज का निर्माण नही कर सकते ,एक संपूर्ण समाज का निर्माण
तभी संभव है जब हम समाज के सही वर्गों को साथ लेकर चले ,एक वर्ग के उत्थान में मदद करे दूसरे वर्ग के अधिकारों को क्षति पहुंचाए बिना,अत्यधिक समाजवादी सोच,अफसरशाही एवम लालफीताशाही, राजनीतिक वोटबैंक की प्रतिस्पर्धा ने हमेशा सामाजिक मूल्यों का ह्रास ही किया है ,आजादी के 70 साल बाद
भी हम समाज को साथ लेकर चलना नही सीख पाए है , समाज के एक वर्ग का ध्यान अपने उत्थान की और ना रहकर दूसरो का उत्थान क्यों हो रहा है इसपर ज्यादा रहता है ...ऐसे सामाजिक माहौल में ईबीएस आरक्षण बिना व्यवधान पास होना ,समाज के सभी वर्गों द्वारा स्वीकार किया जाना ना केवल अविश्वनीय है
बल्कि सामाजिक समरसता की और बढ़ाया एक अभूतपूर्व कदम भी है ,आने वाले वर्षों में यह एक परीक्षण अध्ययन का विषय हो सकता है कि अगर समाज के प्रत्येक वर्ग का ध्यान रखकर नीतियां बनाई जाए तो समाज उसे जरूर स्वीकार करेगा और यही सामाजिक समरसता को मजबूत कर स्वस्थ समाज के निर्माण मे योगदान देगा
Ews आरक्षण शायद सामाजिक समरसता विषय पर ऊपरी तौर पर जुड़ा हुआ ना लगे ,पर एक अति आक्रामक समाज का कुशल नेतृत्व और प्रभावशाली नीतियों द्वारा कैसे निर्माण व विकास किया जा सकता है ,कैसे कठिन से कठिन निर्णय सामाजिक समरसता को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल हो सकते है का कुशल उदाहरण और भारतीय
समाज के बढ़ते सामंजस्य का सर्वोत्तम उदाहरण है , सामाजिक समरसता एक उन्नत देश बनाने के लिए आवश्यक है ,और अब शायद हम उस दिशा में सही मायनों में बढ़ रहे है #Tweet4Bharat @iidlpgp
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