अल्पविराम, या कॉमा, के प्रयोग की गलती बहुत सामान्य है। कहीं-कहीं न भी प्रयोग करें तो भी काम चल जाता है। मुख्यतः, इसका प्रयोग अपनी बात को ठीक से कहने के लिए होता है, जब हम लम्बे वाक्य, एक ही तरह के शब्दों का, वाक्य के बीच में किसी उपवाक्य को अलग दिखाने आदि के लिए करते हैं।
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बोलने में तो सिर्फ विराम लिया जाता है, लेकिन लिखने में दिखाना पड़ता है ताकि पढ़ने वाले को आसानी हो। आप में से बहुत इस ख़यालात के होंगे कि क्या फ़र्क़ पड़ता है, कॉमा या कोई भी व्याकरण का चिह्न आदि छूट ही गया तो क्या हो जाएगा। होगा कुछ नहीं।
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भाषा का एक उद्देश्य बात करना होता, वो उद्देश्य आप सिर्फ शब्द बोलकर भी पा सकते हैं। जैसे कि आप फ्राँस में हैं और खाने के लिए इशारे से या फ़्रेंच के शब्द बोलकर काम चला रहे हैं।
लेकिन भाषा का उपयोग इससे परे भी है। ये कोई जघन्य अपराध नहीं, लेकिन सीख ही लें तो क्या दिक्कत है!
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लेकिन भाषा का उपयोग इससे परे भी है। ये कोई जघन्य अपराध नहीं, लेकिन सीख ही लें तो क्या दिक्कत है!
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चलिए आज अल्पविराम यानि कि कॉमा (,) की बात करते हैं:
1. वाक्य या वाक्य के छोटे हिस्से में तीन या उससे अधिक शब्दों को अलग करने के लिए। जैसे: परम्परा, प्रतिष्ठा और अनुशासन इस गुरुकुल के तीन स्तम्भ हैं। आम, लीची, कटहल और ताड़फल गर्मियों में मिलते हैं।
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1. वाक्य या वाक्य के छोटे हिस्से में तीन या उससे अधिक शब्दों को अलग करने के लिए। जैसे: परम्परा, प्रतिष्ठा और अनुशासन इस गुरुकुल के तीन स्तम्भ हैं। आम, लीची, कटहल और ताड़फल गर्मियों में मिलते हैं।
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नोटः ये ध्यान रखें कि ऐसा अंतिम शब्द जब भी आएगा तो उसके पहले अल्पविराम की जगह 'और' लगता है। आप ये नहीं लिखिए कि 'सचिन, द्रविड़, गांगुली अच्छे खिलाड़ी हैं'। यहाँ 'सचिन, द्रविड़ और गांगुली, लिखना सही है।
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2. एक ही तरह के कई पदबंधों, उपवाक्यों का जब एक साथ प्रयोग होता है, तब भी कॉमा लगाया करिए। यहाँ भी अंतिम पदबंध या उपवाक्य के पहले अल्पविराम की जगह 'और' लगाएँ। जैसे: उसकी सुंदर आँखें, मोहक अदाएँ, घुँघराले बाल और कमानीदार भवें दिल चुरा लेती हैं।
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3. वैसे उपवाक्य को अलग करने के लिए जिसके ना होने से भी वाक्य के अर्थ में अंतर ना आए। जैसे: उसकी तैयारी खराब थी तो वो, जैसा मैंने कहा था, फेल हो गया।
4. जहाँ आप 'हाँ' और 'नहीं' जैसे सकारात्मक या नकारात्मक शब्दों से सहमति या असहमति आदि जता रहे हों।
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4. जहाँ आप 'हाँ' और 'नहीं' जैसे सकारात्मक या नकारात्मक शब्दों से सहमति या असहमति आदि जता रहे हों।
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जैसे: हाँ, मैं आ जाऊँगा। ना, ना, ना! मुझे नहीं खाना! नहीं, बस करो अब।
5. कुछ ऐसे शब्द हैं, जिनसे अगर वाक्य शुरु होते हैं तो उनके बाद अल्पविराम लगता है। वे शब्द हैं: बस, सचमुच, वास्तव में, ख़ैर, अच्छा आदि। जैसे: ख़ैर, तुम चलो, मैं आता हूँ। वास्तव में, तुम बेहतरीन गायक हो।
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5. कुछ ऐसे शब्द हैं, जिनसे अगर वाक्य शुरु होते हैं तो उनके बाद अल्पविराम लगता है। वे शब्द हैं: बस, सचमुच, वास्तव में, ख़ैर, अच्छा आदि। जैसे: ख़ैर, तुम चलो, मैं आता हूँ। वास्तव में, तुम बेहतरीन गायक हो।
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6. उद्धरण यानि किसी को कोट करने से पहले। जैसे: कृष्ण ने कहा, "हे पार्थ! इस त्रैलोक्य में ऐसा क्या है जो मैं पा नहीं सकता, फिर भी कर्म तो कर ही रहा हूँ ना।"
7. संबोधन के बाद भी अल्पविराम लगता है। जैसे: सोना बिटिया, उठ जाओ, कॉलेज में देर हो जाएगी।
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7. संबोधन के बाद भी अल्पविराम लगता है। जैसे: सोना बिटिया, उठ जाओ, कॉलेज में देर हो जाएगी।
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8. लम्बे वाक्यों में, जिनमें दो या अधिक उपवाक्य होते हैं, जो किंतु, परंतु, लेकिन, क्योंकि, पर, अतः आदि समुच्चयबोधक से प्रारंभ होते हैं, इन शब्दों से पहले अल्पविराम लगता है। जैसे: मैं तो आ ही जाता, पर चंदन ने टिकट लेने में देर कर दी। वो लम्बा था, तो अमरूद चुराने वो ही चढ़ा।
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9. किसी भाव के प्रबल होने पर लगातार किसी शब्द पर बल देने हेतु। जैसे: भागो, भागो, प्रिंसिपल आ गया! बचाओ, बचाओ, कोई डूब रहा है!
10. शोक, दुःख, हर्ष आदि विस्मयादिबोधक शब्दों के बाद। जैसे: हाय, मैं लुट गया, बर्बाद हो गया! लानत है, तुम उसकी गाय खोलकर ले गए!
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10. शोक, दुःख, हर्ष आदि विस्मयादिबोधक शब्दों के बाद। जैसे: हाय, मैं लुट गया, बर्बाद हो गया! लानत है, तुम उसकी गाय खोलकर ले गए!
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11. कई बार कुछ शब्दों (जैसे तब, वह, वो, तो, कि आदि) के स्थान पर भी अल्पविराम लगता है। लेकिन वहीं, जहाँ वो संयोजक के रूप में आए हों, और उनके ना होने से भी अर्थ पर फर्क ना पड़े। जैसे: मैं स्टेशन पर पहुँचा, (तो) गाड़ी जा चुकी थी। जो सवाल मैंने कॉपी पर लिखे थे, (वो) कहाँ हैं?
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12. जहाँ आपको सर्वनाम के बाद किसी का नाम आदि लिखना हो। सर्वनाम ही नहीं, उसकी पदवी आदि के बाद ही। जैसे: मैं, भारत पांडे, कसम खाता हूँ कि... बताया जाता है कि क़ैदी संख्या १२, गजाधर पांडे, फ़रार हो गया।
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13. तारीख़ के साथ महीने का नाम लिखने के बाद। जैसे: भारत १५ अगस्त, १९४७ को स्वतंत्र हुआ।
14. पत्र में संबोधन के बाद। जैसे: महोदय, ... प्रिय राकेश, ...
15. जब विशेषण उपवाक्य को वाक्य के मध्य में लिखा जाय। जैसे: वो क़ैदी, जिसकी एक आँख थी, जेल से गायब है।
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14. पत्र में संबोधन के बाद। जैसे: महोदय, ... प्रिय राकेश, ...
15. जब विशेषण उपवाक्य को वाक्य के मध्य में लिखा जाय। जैसे: वो क़ैदी, जिसकी एक आँख थी, जेल से गायब है।
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16. संख्याओं को अलग करने के लिए। जैसे: १२, २२, ३४
तो ये थे ‘अल्पविराम’ (,) के प्रयोग के कुछ नियम। लिखने में हम सब गलतियाँ करते हैं, मुझसे भी होती हैं। लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि अपनी गलतियों को हम सही कह कर न भिड़ जाएँ। सीखते रहिए।
जय श्री राम!
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तो ये थे ‘अल्पविराम’ (,) के प्रयोग के कुछ नियम। लिखने में हम सब गलतियाँ करते हैं, मुझसे भी होती हैं। लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि अपनी गलतियों को हम सही कह कर न भिड़ जाएँ। सीखते रहिए।
जय श्री राम!
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