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#श्रृंखला
भारतीय संस्कृति में प्रमाण की व्याख्या और कैसे हनुमान जी ने उसका उपयोग किया
पिछली श्रृंखलाओं के अनुक्रम में सभी का आशीर्वाद मिला, मित्रो ने फिर से इस विषय पर अपना पक्ष रखने का आग्रह किया।
#श्रृंखला
भारतीय संस्कृति में प्रमाण की व्याख्या और कैसे हनुमान जी ने उसका उपयोग किया
पिछली श्रृंखलाओं के अनुक्रम में सभी का आशीर्वाद मिला, मित्रो ने फिर से इस विषय पर अपना पक्ष रखने का आग्रह किया।
वास्तविकता में ये दुर्भाग्य है की मेधा को प्रेरित करने और सोचने वाली कई विद्याओ का गूढ़ दर्शन होने के उपरान्त भी हम वामपंथियों और षडयंत्रो से ना सिर्फ इसे भुला बैठे है बल्कि इस गहन चिंतन को छोड़ "ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार, सांता क्लोज़ इस कमिंग डाउन" सीखने में महानता समझते है
न्याय शास्त्र अथवा तर्क शाश्त्र ऐसा ही एक दर्शन है जिसमे तार्किक और किसी भी शब्द, परिकल्पना अथवा विषय को सिद्ध करने की विद्या का वर्णन है जिसे महर्षि गौतम ने संकलित किया
चौदह विद्याओ
चार वेद
छह वेदांग(शिक्षा,कल्प,व्याकरण,निरुक्त,छंद,ज्योतिष)
चौदह विद्याओ
चार वेद
छह वेदांग(शिक्षा,कल्प,व्याकरण,निरुक्त,छंद,ज्योतिष)
चार उपांग (न्याय, पुराण,मींमांसा,धर्मशास्त्र) में भी न्याय अथवा तर्कशाष्त्र की महत्ता है। और ये इतना गहन और तार्किक है की केवल इसे ही सीखने लेने से विभिन्न उपलब्धिया मिल सकती है
उदाहरण स्वरुप - प्रथम सूत्र में सोलह पदार्थ (अंग) बताए है
उदाहरण स्वरुप - प्रथम सूत्र में सोलह पदार्थ (अंग) बताए है
प्रमाणप्रमेयसंशय-प्रयोजनदृष्टान्तसिद्धान्तावयव-तर्कनिर्णय-वादजल्प-वितण्डाहेत्वाभासच्छल-जाति-निग्रहस्थानानाम्तत्त्वज्ञानात् निःश्रेयसाधिगमः
प्रमाण: Means of valid knowledge
प्रमेय: Objects of valid knowledge
समस्या:Doubt
प्रयोजन: Purpose
दृष्टांत: Example
सिद्धांत: Conclusion
प्रमाण: Means of valid knowledge
प्रमेय: Objects of valid knowledge
समस्या:Doubt
प्रयोजन: Purpose
दृष्टांत: Example
सिद्धांत: Conclusion
अवयव: Constituents of a syllogism;
तर्क:Argumentation;
निर्णय: ascertainment;
वाद: Debate;
जल्प : Disputations;
वितंड: Destructive criticism;
हेत्वाभास: Fallacy;
चला: Quibble;
जाती: रेफुटेशन्स and
निग्रहस्थान: Points of the opponent's defeat.
तर्क:Argumentation;
निर्णय: ascertainment;
वाद: Debate;
जल्प : Disputations;
वितंड: Destructive criticism;
हेत्वाभास: Fallacy;
चला: Quibble;
जाती: रेफुटेशन्स and
निग्रहस्थान: Points of the opponent's defeat.
फिर बाद में हर एक अंग की विस्तृत व्याख्या और भिन्न भिन्न अवयव एक दूसरे में समावेश होते है, इसकी चर्चा.
कितना विस्तृत और बुद्धि को जगाने वाला विषय
जैसे सिर्फ प्रमाण की व्याख्या की गयी जिसमे पहले प्रमाण की परिभाषा
तद्वति तत्प्रकारनुभव प्रमा।
जो ज्ञान का करण है वही है प्रमाण
कितना विस्तृत और बुद्धि को जगाने वाला विषय
जैसे सिर्फ प्रमाण की व्याख्या की गयी जिसमे पहले प्रमाण की परिभाषा
तद्वति तत्प्रकारनुभव प्रमा।
जो ज्ञान का करण है वही है प्रमाण
आगे प्रमाण के के चार प्रकार है -
प्रत्यक्ष,अनुमान, शब्द और उपमान
प्रत्यक्ष- जो आपने आँखों से देखा है-आपने स्वयं शेर देखा
अनुमान-जो आपने पूर्व ज्ञान से सीखा और उसे व्याप्त किया-शेर के गुर्राने की ध्वनि से आपने निष्कर्ष निकला की यहाँ शेर है
प्रत्यक्ष,अनुमान, शब्द और उपमान
प्रत्यक्ष- जो आपने आँखों से देखा है-आपने स्वयं शेर देखा
अनुमान-जो आपने पूर्व ज्ञान से सीखा और उसे व्याप्त किया-शेर के गुर्राने की ध्वनि से आपने निष्कर्ष निकला की यहाँ शेर है
शब्द-जो आपने विशेष व्यक्ति से सुना और जिसको पूर्व ज्ञान से व्याप्त किया-किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति ने बताया की यहाँ शेर है
उपमान-सामान अवयव/गुणधर्म से निष्कर्ष-जैसे किसी ने बताया की शेर कैसा होता है और फिर आपने स्थान विशेष में वैसे ही जंतु को देखा तो निष्कर्ष निकला की ये शेर ही है
उपमान-सामान अवयव/गुणधर्म से निष्कर्ष-जैसे किसी ने बताया की शेर कैसा होता है और फिर आपने स्थान विशेष में वैसे ही जंतु को देखा तो निष्कर्ष निकला की ये शेर ही है
हालंकि ये काफी सरलतम उदाहरण है लेकिन इसी से विषय की गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता है ।
हनुमान जी ने प्रमाण का उपयोग किया,जब वे लंका पहुंचे और लघुरूप में भ्रमण कर रहे थे तब उन्हें एक अलग भवन दिखा जो विभीषण का था, अब कैसे इस बात का प्रमाण किया की वे हरिभक्त है -
हनुमान जी ने प्रमाण का उपयोग किया,जब वे लंका पहुंचे और लघुरूप में भ्रमण कर रहे थे तब उन्हें एक अलग भवन दिखा जो विभीषण का था, अब कैसे इस बात का प्रमाण किया की वे हरिभक्त है -
१ रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाय, नव तुलसिका बृंद तँह देखि हर्ष कपिराय
(तुलसीदल,धनुष बाण अंकित देखा घर के बाहर मंदिर में)-अनुमान
२ राम राम तेहि सुमिरन कीन्हा-शब्द (विभीषण जी ने उठते ही राम नाम स्मरण किया)
(तुलसीदल,धनुष बाण अंकित देखा घर के बाहर मंदिर में)-अनुमान
२ राम राम तेहि सुमिरन कीन्हा-शब्द (विभीषण जी ने उठते ही राम नाम स्मरण किया)
३ विप्ररूप धरी बचन सुनाये-उपमान (जानने के लिए की ब्राह्मण के साथ कैसा व्यवहार करते है)
४ करि प्रणाम पूछी कुसलाई, विप्र रूप धरी निज कथा सुनाई- प्रत्यक्ष
तो इस प्रकार हनुमानजी ने विभीषण के हरिभक्त होने का निश्चित परिचय किया
४ करि प्रणाम पूछी कुसलाई, विप्र रूप धरी निज कथा सुनाई- प्रत्यक्ष
तो इस प्रकार हनुमानजी ने विभीषण के हरिभक्त होने का निश्चित परिचय किया
और यही विद्या तार्किक विद्या, न्याय शाश्त्र है जो हमारे गौरवशाली इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है और आज उसे भूलकर फ्रेंच और ग्रीक फिलोसोफी को समझने में जीवन बिता देते है, कैसी विडंबना है।
समय आ गया है की हम अपने गौरव को पहचाने और क्षमता अनुसार इसे पुनर्जीवित करने में परिश्रम करें।
समय आ गया है की हम अपने गौरव को पहचाने और क्षमता अनुसार इसे पुनर्जीवित करने में परिश्रम करें।
संभवतः आपको ये श्रृंखला भी अच्छी लगी होगी, आगे भेजते रहिये
@Anshulspiritual @sambhashan_in @Dharma_Yoddhaa @vedicvishal @VedicWisdom1 @the_regenerator @ShefVaidya @KirtiUpadhyay20 @hathyogi31 @Itishree001 @indictoday @IndicAcademy @twt_Sonam @Sanskritii_1 @Sandy49363539
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