भारतीयों से उनका ‘सांस्कृतिक आधार’ छीन कर उनमें अपने देश व संस्कृति के प्रति हीनता पैदा करने के उद्देश्य से स्थापित ‘मैकाले शिक्षा व्यवस्था’ की वकालत करने वाले लोग कहने को तो भारतीय हैं, पर अबतक अपनी अभिरुचि, नैतिकता और बौद्धिकता में अंग्रेजीयत से ग्रसित हैं
#NewEducationPolicy
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अंग्रेजों ने अपने सीमित लक्ष्य के लिए
शिक्षा नीति बनाई थी। उन्हें मानसिक सेवकों की आवश्यकता थी जो राष्ट्रगर्व और स्वतंत्रता से प्रेरित हो अंग्रेजों से विद्रोह ना कर सकें।
स्वतंत्रता के बाद भी इस व्यावस्था के अनुयायी अंग्रेजों की सांस्कृतिक गुलामी करते रहे।
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शिक्षा नीति बनाई थी। उन्हें मानसिक सेवकों की आवश्यकता थी जो राष्ट्रगर्व और स्वतंत्रता से प्रेरित हो अंग्रेजों से विद्रोह ना कर सकें।
स्वतंत्रता के बाद भी इस व्यावस्था के अनुयायी अंग्रेजों की सांस्कृतिक गुलामी करते रहे।
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क्षोभ का विषय है कि कालांतर में यही लोग ‘उन्नत नागरिक’ बने, जिन्हें सत्ता सौंप अंग्रेज भारत छोड़ कर जरूर चले गए, पर छोड़ गए वो ‘मानसिकता’ जिसने देश में ग़ुलामी वर्षों तक जीवित रखी।
क्या आपने कभी सोचा कि भारत में ही ‘भारतीयता विरोध’ के स्वर क्यूँ उठने लगे?
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क्या आपने कभी सोचा कि भारत में ही ‘भारतीयता विरोध’ के स्वर क्यूँ उठने लगे?
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क्यूँ ‘शिशु मंदिर’ ‘साम्प्रदायिक’ और ‘कानवेंट’ ‘उन्नत विद्यालय’ की श्रेणी में आ गए? क्यूँ ‘अपने ही संस्कृति, इतिहास एवं सभ्यता के लिए गर्व का भाव रखना’ आपसे क्षद्म सेकुलरवाद का तमगा छीन लेता है? यह ‘बौद्धिक ग़ुलामी’ और राष्ट्रीयता का क्षरण मात्र है।
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आज़ादी के बाद शिक्षा पर वामपंथी बुद्धिजीवियों का कब्ज़ा और घातक सिद्ध हुआ। ग़ुलाम मानसिकता ने चाटुकारिता की स्याही से जब इतिहास लिखा तो हर्षवर्धन, चन्द्रगुप्त, पुष्यमित्र, विक्रमादित्य, राजा भोज सब ग़ायब हो गए...बची रह गयी सिर्फ ‘मुग़ल आक्रांताओं की महानता’
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क्यूँ हमारी इतिहास की किताबें बाबर से औरंगज़ेब की महानता से पटी पड़ी हैं पर किनारे हो गए महाराणा प्रताप और शिवाजी?
विजयनगर, प्रद्योत, शैशुनाग, मौर्य, गुप्त, चोला और ना जाने कितने हिंदू साम्राज्यों के गौरव को ‘मैकाले पुत्रों’ ने इतिहास से मिटा दिया..
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विजयनगर, प्रद्योत, शैशुनाग, मौर्य, गुप्त, चोला और ना जाने कितने हिंदू साम्राज्यों के गौरव को ‘मैकाले पुत्रों’ ने इतिहास से मिटा दिया..
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यही उदासीनता करोड़ों छात्रों में राष्ट्र गर्व जगाने में असफल रही।अपनी सभ्यता, संस्कृति और इतिहास का गौरव ही भारतीयों को निर्भीक, निष्पक्ष व विकासशील मानस दे सकता है।
प्रधानमंत्री @narendramodi के नेतृत्व में ‘नयी शिक्षा व्यवस्था’ इसी विलक्षणता का संचार करेगी यह हमारा विश्वास है।
प्रधानमंत्री @narendramodi के नेतृत्व में ‘नयी शिक्षा व्यवस्था’ इसी विलक्षणता का संचार करेगी यह हमारा विश्वास है।