ट्विटर पर कुछ उजड़े मठों के मठाधीश हैं, उजड़ने से पहले इन मठों से धर्मोद्धार के,धर्मरक्षण के ठेकों के साथ साथ विचारधारा के समर्थक होने के प्रमाणपत्र,झंडे और स्टिकर इत्यादि बिकते थे।
दबी कुचली सनातन धर्म संस्कृति के पोस्टर और स्टिकरों की बिक्री अधिक थी और भोली भाली 1/n
.. ट्विटर/सोशल मीडिया की जनता को भी यही लगता था की अगर कोई संस्कृति और धर्म को बचाएगा तो यही।
जबकि सपने में भी अंग्रेज़ी में सोचने वाले इन मठाधीशों व मठावलम्बियों की चिंता केवल अपने झंडों,पोस्टरों व स्टिकरों(दबी कुचली संस्कृति के)की बिक्री में थी,बस!
2014 के बाद समस्या हो गयी 2/n
.. मोदी सरकार क्या बनी , और काम क्या शुरू हुआ, इनके जोड़ो में दर्द, मस्तिष्क में कुंठा, विचारों में पित्त इत्यादि की शिकायत होने लगी। इसका एक ही इलाज था इनके हिसाब से - इनको या तो राष्ट्रपति बना दिया जाए या फिर गवर्नर।
बस फिर क्या था,मनोकामना पूर्ण न होने पर ये 3/n
..सारे मरखहा साँड़ हो गए। बस फर्क इतना था की इनको लाल रंग से कष्ट नहीं था,कष्ट था तो केवल और केवल मोदी नाम और मोदी काम से।
हर काम नुक्स, हर काम में कष्ट!
केदारनाथ में काम शुरू हुआ तो इनको कष्ट। क्योंकि नया केदार धाम सनातनी गौरव व उत्थान का प्रतीक है।और इनको चाहिए 2011 वाला!! 4/n
मोदी जी ने अस्सीघाट पर कुदाल चलाई थी। पर कुदाल मानों इन मठाधीशों की दुकानों पर चल गई। और उसका दर्द और बढ़ गया जब कुछ ही दिनों में अस्सीघाट ही नहीं, काशी की सारे घाट चमचमाने लगे।
शायद यहीं से शुरू हुआ था इन सबका कष्ट बढ़ना। 5/n
ऐसा मरते मराते बिचारों का 2015-2016 जैसे तैसे बीता।2017 में उत्तर प्रदेश में चुनाव होने थे, ज़बरदस्त दुष्प्रचार किया इन सबने। मोदी जी को मौलाना से लेकर जो मन में आया वो बनाया,मंदिर तोड़ने से लेकर धर्म के नाश के आरोप लगाए।
कहा काशी से एक भी सीट नहीं आएगी।
पर 8 की 8 BJP जीत गई 6/n
... फिर क्या था छाती पर पहले जो केंचुए रेंग रहे थे वो एनाकोंडा बन गए।
और ये अब दुष्प्रचार में विपक्षी दलों से प्रतिस्पर्धा करने लगे।
विश्वनाथ मंदिर को ले के जो नरक मचाया इनके छद्म हत्थों ने उसको एक्सपोज़ करने के लिए ये पूरी थ्रेड लिखनी पड़ी >> https://twitter.com/shaileshkpandey/status/995389661882167297?s=19 <<

7/n
अब इन मठाधीशों का लेटेस्ट टारगेट है श्री राम मंदिर!

"वहाँ मोदी जी मस्जिद बनवा रहे हैं"-से लेकर - "अगर राम मंदिर बन ही रहा है तो उसमें मोदी जी,योगी जी का क्या रोल,वो तो वैसे ही बन जाता"- तक,हर प्रकार का दुष्प्रचार ज़ारी है।

इनकी दुकान तब अच्छी चलती थी जब राम लला टेंट में थे 8/n
... जब तक श्री राम लला टेंट में थे तब तक इन ठेकेदारों/मठाधीशों की उँगलियों को गठिया मार गया था और मुँह में दही जमा रहे थे ये,रायते के लिए।
जब श्री राम लला को अस्थायी मंदिर में शिफ्ट किया नवरात्र को तो इनको ज़रा सी भी खुशी न हुई कि अस्थायी मंदिर इतना बढ़िया है तो आगे क्या होगा 9/n
.. अब प्रश्न उठता है की इनको पहचाने कैसे??
तो इनके कुछ सिम्पटम मैं समझ चुका हूँ -
1. ये अपने नामों में , DP में ,Bio में ऐसा कुछ अवश्य रखते हैं जिसमें लगे की हज़ारों साल से सनातन धर्म इन्हीं ने थाम रखा है। भगवा झंडे से लेकर भगवान की फोटो, श्लोक से लेके quote तक 😜😜 10/n
2. मोदी नाम से भयंकर चिढ़ होती है इन्हें , अपनी नालायकियत,नक्कारी और नकारात्मकता की पर्ची ये मोदी जी के नाम पर काटना चाहते हैं। अपने निजी जीवन की हर असफलता में इन्हें मोदी जी का योगदान दिखता है।

3. ऐसी बातें जिनसे पूरा देश गदगद हो रहा होता है उनसे इन्हें पेचिश हो जाती है 11/n
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