#थ्रेड_टाइम
#इतिहास में छुपाया गया एक सच ....
45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक #कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल...
#इतिहास में छुपाया गया एक सच ....

45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक #कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल...
पेरवाते है...
रस्सी बटवाते हैं और छिलके कूटवाते हैं।
वो तमाम कैदियों को #शिक्षित कर रहा होता है
उनमें #राष्ट्रभक्ति की भावनाएँ प्रगाढ़ कर रहा होता है और साथ ही दीवारों पर #कील #काँटों और #नाखून से #साहित्य की रचना कर रहा होता है।
उसका नाम था
#विनायक_दामोदर_सावरकर
वीर सावरकर.....
रस्सी बटवाते हैं और छिलके कूटवाते हैं।
वो तमाम कैदियों को #शिक्षित कर रहा होता है
उनमें #राष्ट्रभक्ति की भावनाएँ प्रगाढ़ कर रहा होता है और साथ ही दीवारों पर #कील #काँटों और #नाखून से #साहित्य की रचना कर रहा होता है।
उसका नाम था
#विनायक_दामोदर_सावरकर
वीर सावरकर.....
उन्हें आत्महत्या के ख्याल आते।
उस खिड़की की ओर एकटक देखते रहते थे
जहाँ से अन्य कैदियों ने पहले #आत्महत्या की थी। पीड़ा असह्य हो रही थी। #यातनाओं की सीमा पार हो रही थी। अंधेरा उन कोठरियों में ही नहीं, #दिलोदिमाग पर भी छाया हुआ था। दिन भर बैल की जगह खटो, रात को करवट बदलते रहो...
उस खिड़की की ओर एकटक देखते रहते थे
जहाँ से अन्य कैदियों ने पहले #आत्महत्या की थी। पीड़ा असह्य हो रही थी। #यातनाओं की सीमा पार हो रही थी। अंधेरा उन कोठरियों में ही नहीं, #दिलोदिमाग पर भी छाया हुआ था। दिन भर बैल की जगह खटो, रात को करवट बदलते रहो...
#11_साल ऐसे ही बीते...
कैदी उनकी इतनी इज्जत करते थे कि मना करने पर भी उनके बर्तन, कपड़े वगैरह धो देते थे
उनके काम में मदद करते थे।
#सावरकर से अँग्रेज बाकी कैदियों को दूर रखने की कोशिश करते थे।
अंत में बुद्धि को #विजय हुई तो उन्होंने अन्य कैदियों को भी आत्महत्या से #विमुख किया।...
कैदी उनकी इतनी इज्जत करते थे कि मना करने पर भी उनके बर्तन, कपड़े वगैरह धो देते थे
उनके काम में मदद करते थे।
#सावरकर से अँग्रेज बाकी कैदियों को दूर रखने की कोशिश करते थे।
अंत में बुद्धि को #विजय हुई तो उन्होंने अन्य कैदियों को भी आत्महत्या से #विमुख किया।...
लेकिन नहीं, महा #गँवारों का कहना है कि #सावरकर ने #मर्सी_पेटिशन लिखा
#सॉरी कहा, #माफ़ी माँगी..ब्ला-ब्ला-ब्ला
मूर्खों, काकोरी कांड में फँसे क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने भी माफ़ी माँगी थी,
तो?
उन्हें भी ' #डरपोक' करार दोगे?
बताओ ?
उन्होंने भी माफ़ी माँगी थी अंग्रेजों से
क्या...
#सॉरी कहा, #माफ़ी माँगी..ब्ला-ब्ला-ब्ला
मूर्खों, काकोरी कांड में फँसे क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने भी माफ़ी माँगी थी,
तो?
उन्हें भी ' #डरपोक' करार दोगे?
बताओ ?
उन्होंने भी माफ़ी माँगी थी अंग्रेजों से
क्या...
अब इस कसौटी पर क्रांतिकारियों को तौला जाएगा? शेर जब बड़ी छलाँग लगाता है तो कुछ कदम पीछे लेता ही है। उस समय उनके मन में क्या था, आगे की क्या रणनीति थी- ये आज कुछ लोग बैठे-बैठे जान जाते हैं। कौन ऐसा स्वतंत्रता सेनानी है जिसे 11 साल कालापानी की सज़ा मिली हो।
नेहरू?
गाँधी?
कौन?...
नेहरू?
गाँधी?
कौन?...
नानासाहब पेशवा, महारानी लक्ष्मीबाई और वीर कुँवर सिंह जैसे कितने ही वीर इतिहास में दबे हुए थे। 1857 को सिपाही विद्रोह बताया गया था। तब इसके पर्दाफाश के लिए 20-22 साल का एक युवक लंदन की एक लाइब्रेरी का किसी तरह एक्सेस लेकर और दिन-रात लग कर अँग्रेजों के एक के बाद एक दस्तावेज ....
पढ़ कर सच्चाई की तह तक जा रहा था, जो भारतवासियों से छिपाया गया था। उसने साबित कर दिया कि वो सैनिक विद्रोह नहीं, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था। उसके सभी अमर बलिदानियों की गाथा उसने जन-जन तक पहुँचाई। भगत सिंह सरीखे क्रांतिकारियों ने मिल कर उसे पढ़ा, अनुवाद किया।
दुनिया में कौन...
दुनिया में कौन...
सी ऐसी किताब है जिसे प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया था? अँग्रेज कितने डरे हुए थे उससे कि हर वो इंतजाम किया गया, जिससे वो पुस्तक भारत न पहुँचे। जब किसी तरह पहुँची तो क्रांति की ज्वाला में घी की आहुति पड़ गई। कलम और दिमाग, दोनों से अँग्रेजों से लड़ने वाले सावरकर थे।....
दलितों के उत्थान के लिए काम करने वाले सावरकर थे। 11 साल कालकोठरी में बंद रहने वाले सावरकर थे। हिंदुत्व को पुनर्जीवित कर के राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले सावरकर थे। साहित्य की विधा में पारंगत योद्धा सावरकर थे।
आज़ादी के बाद क्या मिला उन्हें? अपमान। नेहरू व मौलाना अबुल कलाम जैसो...
आज़ादी के बाद क्या मिला उन्हें? अपमान। नेहरू व मौलाना अबुल कलाम जैसो...
ने तो मलाई चाटी सत्ता की, सावरकर को गाँधी हत्या केस में फँसा दिया। गिरफ़्तार किया। पेंशन तक नहीं दिया। प्रताड़ित किया।
60 के दशक में उन्हें फिर गिरफ्तार किया, प्रतिबंध लगा दिया। उन्हें सार्वजनिक सभाओं में जाने से मना कर दिया गया। ये सब उसी भारत में हुआ, जिसकी स्वतंत्रता के लिए...
60 के दशक में उन्हें फिर गिरफ्तार किया, प्रतिबंध लगा दिया। उन्हें सार्वजनिक सभाओं में जाने से मना कर दिया गया। ये सब उसी भारत में हुआ, जिसकी स्वतंत्रता के लिए...
उन्होंने अपना जीवन खपा दिया। आज़ादी के मतवाले से उसकी आज़ादी उसी देश में छीन ली गई, जिसे उसने आज़ाद करवाने में योगदान दिया था। शास्त्री जी PM बने तो उन्होंने पेंशन का जुगाड़ किया।
वो कालापानी में कैदियों को समझाते थे कि धीरज रखो, एक दिन आएगा जब ये जगह तीर्थस्थल बन जाएगी
आज भले...
वो कालापानी में कैदियों को समझाते थे कि धीरज रखो, एक दिन आएगा जब ये जगह तीर्थस्थल बन जाएगी
आज भले...
ही हमारा पूरे विश्व में मजाक बन रहा हो, एक समय ऐसा होगा जब लोग कहेंगे कि देखो, इन्हीं कालकोठरियों में हिंदुस्तानी कैदी बन्द थे। सावरकर कहते थे कि तब उन्हीं कैदियों की यहाँ प्रतिमाएँ होंगी। आज आप अंडमान जाते हैं तो सीधा 'वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट' पर उतरते हैं। सेल्युलर जेल...
में उनकी प्रतिमा लगी है।
उस कमरे में प्रधानमंत्री भी जाकर ध्यान धरता है, जिसमें सावरकर को रखा गया था
सावरकर का अपमान करने का अर्थ है अपने ही थूक को ऊँट के मूत्र में मिला कर पीना
हजारो झूले थे फंदे पर, लाखों ने गोली खाई थी
क्यों झूठ बोलते थे साहब, चरखे से आजादी आई थी....
साभार
उस कमरे में प्रधानमंत्री भी जाकर ध्यान धरता है, जिसमें सावरकर को रखा गया था
सावरकर का अपमान करने का अर्थ है अपने ही थूक को ऊँट के मूत्र में मिला कर पीना
हजारो झूले थे फंदे पर, लाखों ने गोली खाई थी
क्यों झूठ बोलते थे साहब, चरखे से आजादी आई थी....

