कल तुर्की की एक कोर्ट ने 1934 मे #HagiaSofia को मस्जिद से म्यूज़ियम बनाने के सरकार के फैसले को गलत बताते हुए हागिया सोफिया को दुबारा से नमाज़ अदा करने की इजाज़त दे दी है, लेकिन उर्दगान पर निर्भर है के वो कब इसे पूरी तरह नमाज़ के लिए वक़्फ करते हैं, क्यूंकि ये फैसला कोर्ट का है 👇
ना के उर्दगान का।
क्यूंकि उर्दगान के प्रवक्ता कालीन ने साफ शब्दों मे ये कहा है के मस्जिद से इसाई कलाकृतियां और तसावीर को नही हटाया जाएगा और साथ ही ये विश्व पर्यटन के लिए खुला रहेगा,जो के मस्जिद की खुली बेहुरमती होगी क्यूंकि जिस जगह तस्वीर और मुजस्मे होंगे वहां नमाज़ नही हो सकती👇
इसके अलावा मस्जिद के सेहन मे किब्ला जानिब वहां के सुल्तानो की 5 क़ब्रे हैं (मुस्तफा,इब्राहिम,मुराद,सलीम तथा मेहमूद हान के नाम से) जबतक इन कब्रों और इसा मसीह, मरियम अ.स, तथा अन्य मुजस्मो को हटा नही दिया जाता तबतक नमाज़ अदा नही की जा सकती।
क्यूंकि फतह मक्का के वक़्त नबी ने सबसे 👇
पहले तस्वीरों, मुजस्मो तथा मुशरिक ए मक्का के देवताओं को हटा कर ही नमाज़ अदा की थी।
अब आते हैं अहम प्वाइंट की ओर के उर्दगान इतना इस्लामिक और मुस्लिम हितैशी है तो उसने तुर्की मे
👉हमजिंस्प्रस्ती को ख़तम क्यूं नही किया?
👉शराब के ठेके का लाइसेंस रद्द क्यूं नही किया?
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👉ज़ना के अड्डे से $4 बिलियन सालाना कमा रहा उसपर रोक क्यूं नही लगाता?
👉 इजरायल से ताल्लुकात ख़तम क्यूं नही करता?
👉अबतक NATO का सदस्य क्यूं बना हुआ है?
👉तुर्की मे इज़राइली एंबेसी क्यू अबतक बनी हुई है?
👉 इस्राइलियों के लिए फ़्री वीज़ा क्यूं दे रहा जबकि फलस्तीनियों को पैसा से?
असल मे उर्दगान ने तुर्की मे अपनी घटती लोकप्रियता और अगले चुनाव को जितने के लिए आखरी कार्ड खेला है यानी राजनीति के लिए इस्लाम का इस्तेमाल जो के bjp कर रही है सेम वही काम उर्दगान कर रहा है जिसे हमे समझने की ज़रूरत है।
नोट:हम तुर्की के खिलाफ नही बल्कि उर्दागन की नीतियों के खिलाफ हैं
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