जिस अकबर को महान बता बचपन से हमे रटाया गया, उसकी हकीकत जानिए....🙏🙏🙏

#किरण_बाईसा

अकबर नोरोज मेला आयोजित करता था अकबर इस मेले में वेश बदलकर आता और यहां सुंदर महिलाओं की तलाश करता था एक दिन उसकी नजर मेले में घूम रही किरण देवी पर पड़ी।
वह किसी भी कीमत पर उसे हासिल करना चाहता था। उसने अपने गुप्तचरों से उसका पता मालूम करने को कहा। गुप्तचरों ने बताया कि वह मेवाड़ के महाराणा प्रताप सिंह के छोटे भाई शक्ति सिंह की बेटी है। उसका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज राठौड़ से हुआ है।
अकबर ने पृथ्वीराज को किसी युद्ध के बहाने बाहर भेज दिया और किरण देवी को एक सेविका के जरिए संदेश भेजा कि बादशाह ने आपको बुलाया है। किरण देवी ने बादशाह के हुक्म का पालन किया और वह महल में गई।
वहां जाकर किरण बाईसा को अकबर के इरादों का पता चला यह देखकर किरण देवी को क्रोध आ गया। जिस कालीन पर अकबर खड़ा था, उसने वह खींचा और
अकबर धराशायी हो गया।

किरण देवी हथियार चलाने और आत्मरक्षा में भी पारंगत थी।
वह अकबर की छाती पर बैठ गई और कटारी निकालकर उसकी गर्दन पर रखते हुए बोली- बोल अकबर तेरी आखिरी इच्छा क्या है?

बाजी इतनी जल्दी पलट जाएगी, इसका अंदाजा अकबर को भी नहीं था। वह किरण से माफी मांगने लगा, बोला- किरण, तुम यकीनन दुर्गा हो। मुझे माफ करो।
अगर मैं मर गया तो देश में कई समस्याएं हो जाएंगी। मैं कसम खाकर कहता हूं कि अब कभी नौरोज मेला नहीं लगाऊंगा और न कभी किसी महिला के बारे में ऐसी सोच रखूंगा।

अकबर को काफी खरी-खोटी सुनाने के बाद किरण ने उसे माफ कर दिया और चेतावनी देकर वापस अपने महल में आ गई।
कहा जाता है कि अकबर ने फिर कभी नौरोज मेला नहीं लगाया
दुर्भाग्य हे चाटुकारों द्वारा लिखे गए इतिहास में इन घटनाओं को उचित सम्मान नहीं दिया गया।

🙏🙏🙏🙏
You can follow @archi_anil.
Tip: mention @twtextapp on a Twitter thread with the keyword “unroll” to get a link to it.

Latest Threads Unrolled:

By continuing to use the site, you are consenting to the use of cookies as explained in our Cookie Policy to improve your experience.