#7YearsOfLootera - An appreciation thread for one of the memorable and everlasting album! :)
बरामदे पुराने हैं नयी सी धुप है
जो पलके खाटखटा रहा है किसका रूप है
शरारतें करे जो ऐसे भूलके हिजाब
कैसे उसको नाम से, मैं पुकार लूं
संवार लूं, संवार लूं
कुछ माँगना बाक़ी नहीं
जितना मिला काफी है
जिंदा हूँ यार, काफी है
ना उड़ने की इस दफा ठानी
परिंदों ने भी वफ़ा जानी
अँधेरे को बाहों में लेके
उजाले ने घर बसाया है
चुराया था जो चुकाया है
शिकायतें मिटाने लगी...
यु तो सोलह सावन आये गये गौर नहीं किया हमने
भीगा मन का आंगन इस मरतबा क्या जाने क्या किया तुमने
दिल में जागे इश्क वाले मनमर्ज़िया मनमर्ज़िया
जिद के मारे, यु तो सोलह, भोले भाले सावन
मनमर्ज़िया आये गये मनमर्ज़िया!
फ़तेह करे किले सारे, भेद जाए दीवारें
प्रेम कोई सेंध लागे
अगर मगर बारी बारी, जिया को यूँ उछाले
जिया नहीं गेंद लागे
सदियों पुरानी ऐसी इक कहानी
रह गयी, रह गयी, अनकही ...

@VikramMotwane
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