"तू निपूता रहेगा ,निपूता" म्लेच्छ तेरी औलादे भी न होगी तूने बहुत कोख उजाड़ी हैं।
रानी की तलवार के हमले के बाद लहूलुहान गौरी को लेकर उसके सैनिक भागे
गौरी का घोड़ा सीधा मुल्तान जाकर रुका वह एक महिला से अपनी मौत देख के आया था ।
हमला गर्दन पे था लेकिन सैनिकों के बचाव से वो बच निकला
रानी की तलवार के हमले के बाद लहूलुहान गौरी को लेकर उसके सैनिक भागे
गौरी का घोड़ा सीधा मुल्तान जाकर रुका वह एक महिला से अपनी मौत देख के आया था ।
हमला गर्दन पे था लेकिन सैनिकों के बचाव से वो बच निकला
बात 1170 की है एक रानी को दुर्बल पाकर गौरी को लगा उसे अपनी हवस का शिकार बना लेगा...लेकिन इस बार युद्ध रानी की अस्मिता का था सावरकर जी ने क्या खूब लिखा है इस बारे में ..रानी को अकेला देख सारे रजवाड़े एक हुए युद्ध का सेनापति बनाया गया भीमदेव सौलंकी को ..और फिर लड़ा गया ...
आबू पर्वत के पास वो युद्ध जो नारी सम्मान के लिए जरूरी था ...एक ऐसा युद्ध जिसमे भीमदेव सौलंकी की तलवार ने जमकर लहू पीया ..रानी युद्ध मे गौरी के करीब थी ..हमला गर्दन पे था पर सैनिकों के बचाव से वो हमला उसके गुप्तांग पे हुआ ..और उसके बाद गौरी भाग निकला सीधा जाकर रुका मुल्तान में।
रानी नाईकी देवी / नायिका देवी नाम था उनका ..एक फ़िल्म बने या वेब सीरीज कुछ भी तो एक बेहतर कहानी बन सकती हैं ..इतिहास में तो पढ़ाया नहीं गया ..कम से कोई भलाई इसी तरह कर दे आने वाली पीढियों के लिए ।