आपके मोहल्ले की पानी की टंकी पर मधुमक्खियों का एक छत्ता लगा हुआ है। कई लोगों की नजर है उस पर कि किसी दिन शहद निकालने वाला कोई मिल जाए तो उससे शुद्ध शहद निकलवा लें।
जिस दिन आपको सुविधा हुई उस दिन आप उस छत्ते को तोड़ देंगे और शहद निकाल लेंगे।
( ऐसा ही होता है ना?)
आपने तोड़ने से पहले उसके छत्ते का निरीक्षण नहीं किया कि अभी उसमें कैपिंग हुई है कि नहीं?? हुई है तो कहीं ऐसा तो नहीं कि अभी उसमें ब्रुड हो, लार्वा हो... ( साधारण भाषा में कहूं तो अंडा बच्चा उसमें होगा)
जब आपने उसको निचोड़ा तो आप की बाल्टी में शहद के साथ साथ वह सब भी आ गया जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते।
और सबसे बड़ी बात यह कि जिस मधुमक्खी की तारीफ करते हम नहीं थकते, जिस मधुमक्खी के कारण फसलों और फूलों में परागण होता है, उस मधुमक्खी के घर को तो आपने अपने 2, 4 किलो शहद के लिए तोड़ डाला। अब उनमें से 90% मधुमक्खियां मर जायेंगीं। जी हां लगभग सभी।
पहले मैं भी नहीं इन बातों पर गौर नहीं करता था क्योंकि मुझे एहसास ही नहीं था।
जब मधुमक्खी-पालन शुरू किया तो ज्ञान प्राप्त हुआ, अनुभव प्राप्त हुआ और तब दिमाग इन बारीक बातों पर भी गया।

शहद तो खैर हम मौन पालक भी निकालते ही हैं , तो क्या यह सब पाप हमसे भी होता है??
बड़े संतोष से यह बात कह रहा हूं कि एक मधुमक्खी पालक से इस तरह की गलती नहीं हो सकती।

एक मधुमक्खी पालक सारी परिस्थितियों का आकलन करके ही शहद निकालता है।
मधुमक्खी पालक देखता है कि छत्तों की ठीक से, भली प्रकार से कैपिंग हो गई है, उसमें कोई लार्वा नहीं है तभी वह शहद निकलेगा।
अगर छत्ते शहद से लबलबा रहे हैं तब भी वह देखता है कि मौसम कैसा रहने वाला है।
यदि उसे लगता है कि आने वाले एक-दो दिन में मौसम खराब रहेगा और मधुमक्खियां बक्सों से बाहर निकलकर फूलों से nectar लाने में असमर्थ रहेंगीं तो वह उस समय शहद निकालना टाल देता है। मधुमक्खी पालक इस प्रकार से शहद निकालता है कि मधुमक्खी के छत्ते को कोई नुकसान नहीं होता।
मधुमक्खी को बेघर नहीं होना पड़ता है।

अतः अहिंसक रास्ते से प्राप्त किए गए शहद को प्रोत्साहित करें और उसे अपनाएं, प्रयोग में लाएं।
अपने लोकल बीकीपर से Raw Honey खरीदें।
बड़े-बड़े ब्रांड के प्रोसेस किया हुए शहद से बचें।
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