ये है हमारा गौरवशाली इतिहास जिसे अंधकार मे रखा गया
जय राजपूताना
महज सात दिन की ब्याहता सुबह सुबह नहाकर शयनकक्ष में पति को जगाने के लिए प्रवेश करती है जिसकी अभी हाथों और पैरों की मेहँदी की लाली भी फीकी न पड़ी थी .
7 दिन की उस ब्याहता का नाम
जय राजपूताना
महज सात दिन की ब्याहता सुबह सुबह नहाकर शयनकक्ष में पति को जगाने के लिए प्रवेश करती है जिसकी अभी हाथों और पैरों की मेहँदी की लाली भी फीकी न पड़ी थी .
7 दिन की उस ब्याहता का नाम
था हाड़ी रानी (बूंदी राजवंश).जिसका ब्याह सलूम्बर (मेवाड़) के सरदार (जागीरदार) राव रतन सिंह चूड़ावत से हुआ था .
तभी सुचना मिलती है कि शाही दूत (मेवाड़ राजवंश का) राव रतन सिंह से तुरन्त मिलना चाहता है राणा राजसिंह का संदेश ले के आया है .
राव रतन सिंह
तभी सुचना मिलती है कि शाही दूत (मेवाड़ राजवंश का) राव रतन सिंह से तुरन्त मिलना चाहता है राणा राजसिंह का संदेश ले के आया है .
राव रतन सिंह
सोचते है जरूर कोई विशेष प्रयोजन होगा . इसलिए इतनी सुबह सुबह शाही दूत आया है . वो तुरन्त मुख्य कक्ष की और दूत से मिलने के लिए प्रस्थान करते है .
शाही दूत सार्दुल सिंह हाड़ा राजा का बचपन का सखा था . दोनों मित्र गले मिलते हैं . उसके बाद शाही दूत हाड़ा
शाही दूत सार्दुल सिंह हाड़ा राजा का बचपन का सखा था . दोनों मित्र गले मिलते हैं . उसके बाद शाही दूत हाड़ा
राजा राव रतन सिंह को राणा राजसिंह का लिखित सन्देश देता है .
जो कुछ यूं था .
हे वीर मातृभूमि तुम्हें पुकार रही है . मैंने (राणा राजसिंह) औरंगजेब को चारों और से घेर लिया है . औरंगजेब ने अपनी सहायता के लिए दिल्ली से विशाल सैन्य टुकड़ी मंगवाई है . उस
जो कुछ यूं था .
हे वीर मातृभूमि तुम्हें पुकार रही है . मैंने (राणा राजसिंह) औरंगजेब को चारों और से घेर लिया है . औरंगजेब ने अपनी सहायता के लिए दिल्ली से विशाल सैन्य टुकड़ी मंगवाई है . उस
टुकड़ी को रोकने के लिए अरावली में मेरे ज्येष्ठ पुत्र कुंवर जयसिंह और अजमेर में छोटे पुत्र कुंवर भीमसिंह तैनात है . मैं चाहता हूं तीसरे मोर्चे पे आप जाओ उस टुकड़ी को रोकने के लिए . यधपि मुझे मालूम है अभी आपकी शादी को कुछ दिन ही हुए हैं किंतु मातृभूमि आपको
पुकार रही है .
नोट - (1) हाड़ा राजा ठाकुर राव रतन सिंह की उस वक़्त ना सिर्फ मेवाड़ बल्कि दुनियां के सर्वश्रेष्ठ वीर योद्धाओं में गिनती होती थी .
(2) ऐसे महान वीर योद्धा विश्व में गिने चुने हुए हैं .
(3) शादी के वक़्त वो युद्ध से लौटे ही थे और राणा
नोट - (1) हाड़ा राजा ठाकुर राव रतन सिंह की उस वक़्त ना सिर्फ मेवाड़ बल्कि दुनियां के सर्वश्रेष्ठ वीर योद्धाओं में गिनती होती थी .
(2) ऐसे महान वीर योद्धा विश्व में गिने चुने हुए हैं .
(3) शादी के वक़्त वो युद्ध से लौटे ही थे और राणा
राजसिंह ने उनसे कहा था 4-6 महीने मोज़ करो आपको युद्ध पे नहीं भेजूंगा . किंतु स्तिथि आपात्त थी .
हाड़ा राजा की आँखों के सामने अपनी नव ब्याहता हाड़ा रानी का चेहरा आ जाता है . और अनेक ख्याल मन में आते हैं .
किंतु कर्तव्य की बलि वेदी और मातृभूमि की रक्षा के
हाड़ा राजा की आँखों के सामने अपनी नव ब्याहता हाड़ा रानी का चेहरा आ जाता है . और अनेक ख्याल मन में आते हैं .
किंतु कर्तव्य की बलि वेदी और मातृभूमि की रक्षा के
लिए प्रतिबद्ध वो वीर तुरन्त केसरिया बाना (साफा) पहन के युद्ध के लिए तैयार होता है .
हाड़ी रानी अपने पति को देख के अपने आंसू रोकती है . वीरांगना को मालूम था उसके आंसू उसके पति को कमजोर करेंगे . वो अपने पति को कहती है क्षत्राणी तो पैदा ही इसी दिन के लिए होती है
हाड़ी रानी अपने पति को देख के अपने आंसू रोकती है . वीरांगना को मालूम था उसके आंसू उसके पति को कमजोर करेंगे . वो अपने पति को कहती है क्षत्राणी तो पैदा ही इसी दिन के लिए होती है
जब वो अपने हाथों से विजय तिलक कर के अपने पति को युद्ध के लिए रवाना करे .
स्वर्ण थाल में हाड़ा रानी अपने पति हाड़ा राजा राव रतन सिंह की आरती और पूजा तिलक करती है .
हाड़ा राजा युद्ध के लिए प्रस्थान करते हैं . और बार बार पत्नी मोह में व्याकुल होकर पलट के महलों की और
स्वर्ण थाल में हाड़ा रानी अपने पति हाड़ा राजा राव रतन सिंह की आरती और पूजा तिलक करती है .
हाड़ा राजा युद्ध के लिए प्रस्थान करते हैं . और बार बार पत्नी मोह में व्याकुल होकर पलट के महलों की और
देखते हैं .
नियत समय पर सलूम्बर की अल्प सेना और मुगलों की विशाल सेना आमने सामने होती है . भीष्ण युद्ध आरम्भ होता है .
हाड़ा राजा रोज एक दूत को पत्नी की कुशलक्षेम पूछने सलूम्बर भेजते हैं . और एक दिन दूत को कहते है रानी की निशानी ले के आना .
दूत जब रानी की निशानी
नियत समय पर सलूम्बर की अल्प सेना और मुगलों की विशाल सेना आमने सामने होती है . भीष्ण युद्ध आरम्भ होता है .
हाड़ा राजा रोज एक दूत को पत्नी की कुशलक्षेम पूछने सलूम्बर भेजते हैं . और एक दिन दूत को कहते है रानी की निशानी ले के आना .
दूत जब रानी की निशानी
मांगता है तो हाड़ा रानी समझ जाती है कि पति मेरे मोहपाश में बंधे हुए हैं .
वो दूत को आवश्यक निर्देश देती है . और अपनी कमर से कटार निकालकर एक झटके में अपने सर को धड़ से अलग कर देती है .
सैनिक स्वर्ण थाल में रानी का कटा हुआ सर रखता है . और उस सर को सुहाग की चुनर से ढक
वो दूत को आवश्यक निर्देश देती है . और अपनी कमर से कटार निकालकर एक झटके में अपने सर को धड़ से अलग कर देती है .
सैनिक स्वर्ण थाल में रानी का कटा हुआ सर रखता है . और उस सर को सुहाग की चुनर से ढक
के युद्ध भूमि की और प्रस्थान करता है .
आँखों के सामने पत्नी का धड़ से अलग सर देख के हाड़ा राजा राव रतन सिंह के पांवों के नीचे से धरती खिसक जाती है .
किंतु अगले ही पल खुद को सम्हालते हुए वो वीर पत्नी के कटे सर को रस्सी में बांध के गले में माला के जैसे धारण करता है .
आँखों के सामने पत्नी का धड़ से अलग सर देख के हाड़ा राजा राव रतन सिंह के पांवों के नीचे से धरती खिसक जाती है .
किंतु अगले ही पल खुद को सम्हालते हुए वो वीर पत्नी के कटे सर को रस्सी में बांध के गले में माला के जैसे धारण करता है .
और घोड़े पे सवार हो के शत्रु मुगल सेना पे टूट पड़ता है .
अल्प सलूम्बर सेना ने विशाल मुगलिया सेना को देखते ही देखते ही गाजर मूली की तरह काट दिया .
भीष्ण वेग से हाड़ा राजा शत्रु सेना पर प्रचण्डता से कहर बरसाते हैं . वैसा युद्ध इतिहास में देखने और सुनने को नहीं मिलता .
अल्प सलूम्बर सेना ने विशाल मुगलिया सेना को देखते ही देखते ही गाजर मूली की तरह काट दिया .
भीष्ण वेग से हाड़ा राजा शत्रु सेना पर प्रचण्डता से कहर बरसाते हैं . वैसा युद्ध इतिहास में देखने और सुनने को नहीं मिलता .
हाड़ा राजा उस युद्ध में पत्नी का सर गले में लटकाए वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं . मातृभूमि को अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते हैं .
एक अन्य मोर्चे पे औरंगजेब राणा राजसिंह से अपनी जान बचा के दिल्ली भगता है .
मेवाड़ पूरा मुगलों की दासता से मुक्त हो चूका होता है .
एक अन्य मोर्चे पे औरंगजेब राणा राजसिंह से अपनी जान बचा के दिल्ली भगता है .
मेवाड़ पूरा मुगलों की दासता से मुक्त हो चूका होता है .
उस भीष्ण युद्ध के बाद औरंगजेब तो क्या उसकी आने वाली नस्लों की इतनी हिम्मत नहीं हुई कि.सपने में भी मेवाड़ और राजपूताने की तरफ आँख उठा के भी देखले
सलूम्बर का सपूत हाड़ा राजा राव रतन सिंह और हाड़ी रानी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान देकर.इतिहास में अमर हो गए हैं.किवंदती है
सलूम्बर का सपूत हाड़ा राजा राव रतन सिंह और हाड़ी रानी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान देकर.इतिहास में अमर हो गए हैं.किवंदती है
मेवाड़ी और मारवाड़ी सहित समस्त राजपूताने के योद्धाओं का खून इतना गर्म होता था कि.अगर युद्धभूमि में शत्रु के ऊपर खून गिर जाए तो शत्रु के शरीर पे फफोले निकल आते थे!
"चुङावत मांगी सैनाणी (निशानी) , शीश काट दे दियो क्षत्राणी"
धन्य है वो मातृभूमि जहां ऐसे वीर ,वीरांगना को जन्म दिया
"चुङावत मांगी सैनाणी (निशानी) , शीश काट दे दियो क्षत्राणी"
धन्य है वो मातृभूमि जहां ऐसे वीर ,वीरांगना को जन्म दिया
Ye thread koi celebrity tweet karti to 10 k rt hote

