Indonesia is one of the most naturally spectacular countries on earth. But there is one region in this beautiful country that manages to stand out from the rest. If you are up for a little bit of transit and adventure to get there, Raja Ampat is the jewel of Indonesia.
Relatively untouched compared to other dive areas such as the Gili Islands, the islands, beaches and Raja Ampat diving sites made me feel like I was discovering the region not just visiting.
The diving paradise of Indonesia, the Amazon of the seas, the Caribbean of Papua, the Crown Jewel of the Coral Triangle. There’s no word, no phrase or nickname that can fully express the charms of Raja Ampat, Indonesia.
Raja Ampat has at least 537 corals species — that’s 75% of all known scleractinia in the world. Look at those magnificent shapes and colors, like a treasure chest at the bottom of the ocean. And that’s the thrill you’ll experience when coming face to face with this scene.
Fancy a more calming, earthy palette? No problem, there are different scenes in every corner. The varying underwater landscape — rocky seabeds, coral reefs, walls, caves and more — create an endless habitat for marine creatures to thrive.
Don’t forget the more than 1,500 fish species, ranging from different sharks to tiny pygmy seahorses. A famed ichthyologist, Dr. Gerald Allen, encountered 280 fish species on a single dive! Look, someone even found Nemo hiding by the anemone.
But don’t discount on the postcard-worthy charms above the surface. Like the sight from this viewing deck in Pianemo which offers a sweeping view of the archipelago’s karst constellations, scattered around the beaming turquoise waters.
In another part of the islands, the rock formations create a star-shaped lagoon filled with translucent shades of emeralds.
Sunsets are among the best sights in this archipelago in Papua, Indonesia. The pristine nature, tall rock formations, lush jungles, clear ocean, even the fresh breeze and seawater scent, all conspires to intensify this precious event of the day.
The few minutes of magic will last forever in your memory. Bursts of red and orange fall on the opulent sea and small islands, creating silhouettes and indescribable charming shades.
सूरज अभी निकला नही है..
लहरे अभी बचपना दिखा रही हैं।

दूरसे दौड़ती हुई आ रही है और फिर एक दम से रुक जाती है।

कुछ लोग बस मछलियो की तलाश के बाद लौटने वाले हैं।
पानी के रंग हज़ार हैं यहां,
यहां एक एक बूंद की कीमत है..
अब पकड़ता नहीं, बस देखता रहता हूँ।
उम्र सी होंने लगी है...
राजा एम्पत से आज कलिबिरु जाने का मन बनाया गया। सुबह आसमान साफ था। एक स्पीड बोट का इंतज़ाम कर लिया गया था।
बताया ये गया कि पानी उस नदी का नीला है जैसा कि नाम से ज़ाहिर था।
कलि का मतलब नदी और बीरू का मतलब नीला होता है यहां।
2 घण्टे का सफर था..
स्पीड बोट का सफर मज़ेदार था जो अचानक रोमांच में बदल गया था जब बोट वाले ने बताया कि भैया जी एक इंजन खराब हो गया है।
🙄🙄🙄🙄
और फिर ये दिखा तो जैसे सब और दिखना ही बंद हो गया ....
पेड़ो के कई पहाड़ पार किये आज के दिन।
उन पहाड़ों में से एक पहाड़ आपके नाम...
इनकी एक कहानी है जो कल सुनाऊंगा 😍
ये हमारी गाईड है..
पूजी...

इनको इंडिया आना है ..
क्यों?

शाहरुख खान.....😢😢😢
यात्रायें आपको आप से मिलवाती हैं। पापुआ आने से पहले कुछ पुराना सामान ढूंढ रहा था तो अपनी यात्राएं और अपने इंतज़ार से फिर से मुलाकात हो गयी।
कुछ पुराने ट्रेन और बस के टिकट, होटल के बिल्स और पेपर नैपकिन पर लिखे गए कुछ कतरे..
उन में तुम थी..
"थी..." से लेकर "हो" में वक़्त लगता है..
जो मिला सो मिला -
1990 से लेकर आजतक के पेट्रोल के बिल, बस, ट्रेन, हवाई जहाज और पानी के जहाज के सफ़र के टिकट और होटल के बिल...
सारांश ये निकला कि पिछले लगभग 28 साल की नौकरी के दौरान मैंने -

करीब 1,35000 किलोमीटर सड़क नापी (टी वी एस 50, वेस्पा, बजाज सुपर, प्रिया, हीरो होंडा, कावासाकी RTZ, LML वेस्पा, काइनेटिक होंडा और एक अदद कार द्वारा), करीब 200,000 किलोमीटर दिल्ली और साउथ ईस्ट एशिया के बीच हवा में...
करीब 20,00,000 किलोमीटर इंडोनेशिया की हवा में, करीब 5000 घंटे इंतज़ार करते हुए एअरपोर्ट पर और करीब 2000 रातें होटल में।
सच कहूँ तो होटल अब घर और घर होटल लगने लगा है।

आज लगा कि असली सुपरमैन तो मैं ही हूँ।

हासिल क्या हुआ ??

कहानियाँ...
ढेर सारी..
तो फिर हुआ यूँ कि लग रही थी भूख उस रोज़ जब सैर करके लौट रहे थे और दोस्त ने कहा कि मछली खाना है।

पानी था ... वैसा ही जैसा सुना था

Water water everywhere ,
Not a single drop to drink ...

मछलियाँ भी थी पर पकड़ता कौन...
फिर दूर से आती एक नाव दिखी..
कोई था उसमें...
पास आई वो नाव तो चौंकने की बारी हमारी थी..

उम्र क्या होगी इन बच्चों की ??

यहां की भाषा मे मैं पूछ रहा हूँ कि बेचोगे क्या ??

वो पास आये ...
२ साल ४साल ६साल ३साल
लगभग ये उम्र रही होगी इन सब की।

मित्र हमारे भारत से आये थे। टूटी फूटी भाषा सिखा दी थी हमने।
वो जो बोले सो बच्चे डर के भाग गए थे।

ये जो मछली थी उसके पैसे नही ले रहे थे बच्च्चे...
इन बच्चों को जबरदस्ती जब पैसे दिए तो उनको अचरज हुआ कि मछली के पैसे भी मिलते हैं।

बच्चे खुश थे पैसे मिले,
मित्र हमारे खुश थे कि मछ्ली मिल गयी..

अब बारी थी पकाने की।

हमारे बोट वाले ने कहा कि पास में ही उसकी बहन का घर है जहाँ ये व्यवस्था हो सकती है ।
हमारे हां कहने पर नाव चल पड़ी
पहुंचे पास के एक द्वीप पर जहां हमको आते देख बच्चे पास आकर खड़े हो गए।मित्र ने उनको भी मछली के बारे में पूछा तो भाग गए बच्चे और हंस हंस के सारे गांव वालों को बुला लाये। हंसने कारण ये था कि उन्होंने भारतीयों को पहली बार देखा था।इस से पहले सिर्फ tv पर ही देखा था उन्होंने भारतीयों को
जब तक हम लोग उतर कर गाँव के अंदर पहुंचते तब तक मछलियाँ हाज़िर थी।

कहा गया कि इनको भून दिया जाये..
हमको कुछ नही पता था कि क्या होने वाला है अब ..
देखा तो एक कोने में मछ्ली का कल्याण होना शुरू हो गया था। बच्चे पास आके खड़े हो गए थे। बच्चे क्या पूरा गावँ ही इकट्ठा होने लगा था।

पूरा गावँ यानी करीब 20 25 लोग..
यही आबादी थी उस गावँ की..
तभी हमारी नज़र पड़ी......

ये तो अब शहरों में मिलता नही तो सोचा...

😎😎😎😎
आने वाले एक घंटे तक ये टशन वाला और अकड़ू मुर्गा पूरे गांव को दौड़ाता रहा ..
बच्चे, जवान , बूढ़े, आदमी, औरते सब भाग रहे थे।

मुर्गे को जैसे यकीन हो गया था कि आज उसकी जान खतरे में है।

पकड़ में नही आया आखिरकार वो..

और यहाँ ये चल रहा था, बारिश के बीच..
खाने से ज़्यादा उस दिन बनवाने में और पकड़ने में मज़ा आता रहा।
करीब 30 मिनट तक आग पर पड़ी रहने के बाद एक चटाई पर एक प्लेट में मछलियाँ परोस दी गई।
चार में से खाने वाले एक ही जनांब थे तो तीन में से सिर्फ आधी मछली ली गयी और बाकी उन्ही बच्चो को दे दी गयी जो उनके लिए एक पार्टी समान था।
उनके चेहरे पर जो खुशी थी वो यहाँ बयान नही की जा सकती।
गावँ के सारे बच्चे आ चुके थे।
ये जो मछली लाये थे और ये जो हमारे लिए माँ की तरह पका रही थी , जब उनसे पूछा गया कि क्या सेवा कर सकते हैं तो उन सभी ने हाथ जोड़कर मना कर दिया कि आप सब पहली बार हमारे यहां आए हैं और आपसे पैसे नही लिए जा सकते।
हम सभी आश्चर्यचकित रह गए जब ज़ोर देने पर नाराजगी दिखाई इन अम्मा जी ने..😊
खाने से पहले बिनतांग की याद दिलाई गई तो @muglikar_ बाबू भी याद आगये और फिर पाया कि वो तो गर्म हो चली है।

एक छोटे सी नदी की तरफ भेजा गया जहाँ पानी गर्म भी था और बर्फ की तरह ठंडा भी।
कहा गया 5 मिनट डाल दीजिए वहां तो बर्फ हो जाएगी आपकी बियर , सो कर दिया गया...
कोशिश की गई कि उनको एक छोटी से मुस्कुराहट दे कर लौटूँ।

उनके सभी लिए हम चारों मित्र ही भारत थे।
उनकी मुस्कुराहट अब हमेशा हमारे साथ रहने वाली थी।
जो उन्होंने हम को दिया था उसके बदले में हम उनको कुछ भी देने लायक नही थे।
ये रिश्ता देने लेने से ऊपर का बना कर आये थे हम सभी।

उन्होंने हम सभी को छू कर देखा था ..
और फिर अंदर तक उतरते चले गए थे..

विदा लेने का वक़्त आ चुका था..
हमारा नया परिवार हमें विदा करने आया था..
चल दिये थे आगे जहाँ कुछ और कहानियां इंतज़ार कर रही थीं....
फिर एक कोने पर जा कर दूसरा इंजिन भी जवाब दे गया..
उस रोज
और फिर सामने आई एक सूखी नदी जहां से आगे नाव जा नही सकती थी।
नाव बांध कर आगे जाने का तय हुआ।

मैंने मज़ाक में पूछा कि इसमें व्हेल है तो नाव वाला बोला नही...
साहब यहां ये सब नही होता..
फिर रुका और बोला,

एनाकोंडा यहीं पाया जाता है..

सब ने दौड़ लगा दी थी...
नाव अटकने का कारण था कि हमे बताया गया कि यहां से कुछ दूर ऐसे प्याले से बने हुए हैं जिनमे यहां के राजा की पुत्रियाँ स्नान किया करती थी।

कौतूहल जाग गया...
पहुंच गए प्याले तक..

5 प्याले थे वहां और वाकई उनका जो आकार था चाय के प्यालों जैसा था और करीब 6 फ़ीट गहरा।
दूर नज़र गई तो बादलों के रंग बदल रहे थे।
इशारा किया गया कि जल्दी निकलना है अब यहां से पर मन था कि मान नही रहा था।
अब जल्दी ये थी कि इन पहाडों के बीच से निकल भागना था।
बताया ये गया कि अगर बारिश शुरू हो गयी तो अंधेरा हो जायगा और फिर पहाड़ों से बाहर जाना मुश्किल होगा।

ये नाव वाले ने हंसते हुए बताया था...😑😑😑
और फिर हम पहाड़ो से निकल कर बीच समुद्र में थे एक बार फिर ..

यहां अब दूर दूर तक ना ज़मीन, ना पहाड़ , ना आदमी।

दिखी थी तो कुछ शार्क जो कुछ मील तक पीछे आती रही और फिर चली गयी..

पर अभी कुछ और भी होना बाकी था...

बादल फिर से काले काले से हो रहे थे और नाव वाले ने हमें लाइफ जैकेट्स..
ये जो आसमान में काले काले से उड़ते हुए शैतान दीख रहे है, इनको देख कर नाव वाले के चेहरे पर थोड़ी परेशानी छह रही थी।

पूछा तो बोला,
मौसम ज़्यादा खराब होने वाला है।ज़मीन अभी करीब एक घंटे दूर थी।

ठंडी हवा इतनी थी कि आँखें बंद हुई जा रही थी।
हमने बंद की आंखे और एक कोना पकड कर लेटगये।
दोस्त कहते हैं कि मैं गधे, घोड़े, कुत्ते, हाथी सब बेच कर कहीं भी,किसी भी हालत में सो सकता हु।

और तो और सोने के लिए सिर्फ 1 मिनट लगता है।

मेरी आँख खुली तो कान में मेरा दोस्त चिल्ला रहा था....
दूर दूर तक कुछ दिखाई नही दे रहा था।बारिश और तूफान इतना कि आपस मे एक दूसरे की आवाज़ नही सुनाई दे रही थी।

बड़ी मुश्किल से मैंने अपने दोस्त से पूछा कि वो जो नेवी वाला पिछले हफ्ते तूफान में हफ्ते भर फंसा रहा था, ऐसे ही हालात होंगे??

बढ़िया सी गाली सुनाई गई थी मुझे..
क्या गलत पूछा🙄
हमारे मित्र ने ये वीडियो बनाया ( वो बात दीगर है कि इसको बनाने के बाद उनका iphone स्वर्गवासी हो गया)
व्हाट्सएप्प पर बनाया गया वीडियो था ये जो "सेंड" कर दिया गया और किस्मत ऐसी कि जैसे ही वो डिलीवर हुआ ,यहां सिग्नल गायब।
अगले चार घण्टे किसी के फोन में सिग्नल नही थे।

वहां घर वाले..
आखिरकार नाव वाला पहाड़ों की गलियों से निकालता हुआ तूफान से बाहर लेआया था पर हमारा द्वीप अभी भी दूरही था।
डरने वाले सिर्फ 2 लोग थे नाव में।पूजी को कोई फर्क नही पड़ा,नाव वाले का सहायक मस्त आगे बैठ गया था।
रास्ता फिर सुहाना हो गया था और हम ने तय किया किसी सुनसान द्वीप उतरने का..
समुद्र से हट कर द्वीप पर पहुंचे तो द्वीप पर उतरते ही साथ एक नदी की धारा सामने थी।
गुदगुदी करती हुई मछलियाँ ऊपर नीचे हो रही थी। नदी में उतरने से पहले पूछ लिया था कि क्या क्या है अंदर और जंगल मे क्या क्या हो सकता है।

"पहले जंगल मे शेर थे"

मैने पूछा अब?

"पता नही" जवाब आया था 😑😑
हमारे मित्र को फिर से मस्ती छाने लगी थी।
उनके वीडियो फिर से बनने लगे थे।

हमे ये नही पता था कि जा कहाँ रहे हैं और क्यों जा रहे हैं।

नाव वाले ने बताया कि एक जगह फिर से ढेर सारे नीले पानी वाली नदी है जहां टूरिस्ट जाने में डरते है।

फिर तो हमारा जाना बनता ही था.. 😢😢
इस वीडियो के आखिर में आपको दूर कुछ परछाई सी दिखेंगी...
मैं ज़रा ज़्यादा आगे निकल आया था।

में उन परछाइयों के पास जा रहा था कि पीछे से नाव वाले ने चिल्ला कर वहां से भागने को कहा..
हम भागे...

ज़ोर से..

और मोबाइल हाथ से गिर गया...
अचानक से एक आदमी प्रकट हुआ पानी के अंदर से जो भाला जैसा कुछ लिए हुए था।
फोन गिर चुका था , और कोई करीब नही था।
नाव वाला भागता हुआ आया और वहां की भाषा मे कुछ कहा, भाले वाले आदमी ने गर्दन हिलानी शुरू कर दी दाएं बाएं और फिर तेज़ तेज़ हिलाने लगा।बीच बीच मे घूर घूर के देख भी रहा था😖☹️
नाव वाले ने अपनी जेब से कुछ निकाल कर दिया जिसे भाले वाले आदमी ने चाट कर देखा।

मैं ज़मीन पर चुपचाप बैठे देखे जा रहा था। वो जो भी था चाटने के बाद चिल्लाने लगा और नाव वाले को बीस बाइस पुच्चियाँ दे डाली।

फिर मेरी तरफ आने को हुआ तो नाव वाले ने रोक लिया ।

उसने भाला उठाया और...😢😢😢
और लौट कर पानी मे चला गया।
मैंने नाव वाले से पूछा तो बताया कि यहाँ चीनी नही मिलती है और अगर मिलती भी है तो बहुत महंगी तो नाव वाले लोग चीनी रखते हैं कि अगर कोई ऐसा अचनाक जंगल में मिल जाये।

फिलहाल हम आगे बढ़ चुके थे...
एक और नया द्वीप सामने था और मैं बंदर बन चुका था।
बचपन पकड़ के ले आया था मैं एक बार फिर.
इस द्वीप पर हैं तीन परिवार , उनके सब जमा 11 मेम्बरान,एक कुत्ता और एक नाव जो ऊपर बंदर के बाजू में पड़ी हुई है।

इस द्वीप पर पानी दो दिशाओं से आके एक दिशा में चला जाता है।

क्यूं , कैसे , कब कुछो नही पता हमे।
यहाँ आवाज़ें कुछ अजीब अजीब सी आरही थी तो ज़रा अंदर से .....😢😢
फिर एक पेड़ पर दो बंदर लटके दिखाई दिए जो आदमी की आवाज़ें निकाल रहे थे।

नीला वाला तो ठीक था, पर सफेद वाला ज़्यादा बदमाश था।
यहां से भी चलने का समय हो गया था पर अब बोट की बैटरी शर्मा गयी।

उसको ठंड लग गई थी तो हमने सुपरमैन बनते हुए बोट को धकेलना शुरू किया।

नाव वाले को विश्वास नहीं हुआ कि श्रीमान जी भी नाव को पानी मे धक्का दे सकते हैं।

उन्हें क्या पता हम तो आदमी को पानी मे धक्का दे दें..
मैं जैसे ही पानी से डुबकी लेकर बाहर निकला तभी एक लाश बाजू में बहती हुई आ गई।
वो बहते बहते फिर एक गहरे खाई में चली गयी....
इस लाश के कपड़ो ने मजबूर कर दिया कि अभी इस कहानी को खत्म करके आगे बढूं।
ये गड्ढे में नाव वाला दिखाने आया था कि लाश पड़ी है जबकि ये लाश वाले जनांब वही सफेद शर्ट वाले बंदर थे जो डेविड ब्लैन को मात करने की कोशिश में सांस रोके पड़े थे इस गड्ढे में।
कपड़े वाली और बिना कपडे वाली लाशों को उठाया और वापिसी के लिए निकल चले हम सभी...
लौटने से पहले हमने कैमरा थमाया अपने नीले वाले दोस्त को और हम सफेद, सलेटी और आसमानी पानी मे डुबकी लगाने कूद गए।

मैं देर तक रुकना चाह रहा था पानी के अंदर पर मछलियाँ पेट मे गुदगुदी मचा रही थीं।

बाहर आया तो एक बेबी ऑक्टोपस जेब से बाहर झांक कर हंसे जा रहा था..

कमीना..😢
इस झरोखे के पीछे जो तिलस्मी जाल के गुच्छे हैं कल वहां लेकर चलूंगा आप सभी को...

फिलहाल यहाँ से विदा...😎😎
आज तूफान का अंदेशा नही था।
आसमान दूर दूर तक आसमानी ही था।
आज स्पीड बोट का इंतज़ाम किया गया था जिसमे उम्मीद से ज़्यादा हिम्मत थी।
दो सौ अश्वशक्ति के दो इंजिन थे।
धूप की तपिश से पानी का रंग भी बदल जा रहा था बार बार।

आदमी को इतना रंग बदलते नही देखा जितना यहाँ पल पल पानी का रंग बदल रहा था।

अमूमन इस तरह की ट्रिप पर में ही फोटोग्राफर होता हूँ तो इस बार भी मैं ही था।
आज का रास्ता करीब दो घंटे का होने वाला था और उस जगह पर जाने वाले थेजहां के लिए हम आये थे।

दुनिया भर से लोग सिर्फ उस ही टुकड़े को।देखने आते हैं जहाँ आज हम पहुंचने वाले थे।
शुरुआत हो चुकी थी बिना इस बात के अंदाज़ा लगाए कि आज कल पर भारी पड़ने वाला था।
इंडोनेशिया के डाइविंग स्वर्ग, समुद्र के अमेज़ॅन, पापुआ के कैरिबियन, कोरल त्रिकोण के क्राउन ज्वेल। कोई शब्द नहीं, कोई वाक्यांश या उपनाम नहीं है जो राजा एम्पत, इंडोनेशिया के आकर्षण को पूरी तरह से व्यक्त कर सकता है। आज हमारी मंज़िल यही थी।
राजा एम्पत में कम से कम 537 कोरल प्रजातियां हैं - यह दुनिया में सभी ज्ञात स्क्लेरैक्टिनिया का 75% है। महासागर के नीचे एक खजाना, उन शानदार आकारों और रंगों को छुपाए हुए है। और यह रोमांच आपको इस दृश्य के साथ आमने-सामने आने पर ही अनुभव हो सकता है।

आज की दुनिया कुछ और ही थी...
कल की तरह आज रास्ते मे सन्नाटा नही था और हमारी स्पीड बोट को अपने हमसफ़र मिल चुके थे।
आसमान नहीं कैनवास खुला पड़ा था। एक अदृश्य हाथ ब्रश लिए आता था और एक नया रंग देकर चला जाता था।
धूप निकली तो पानी ने रंग बदलने शुरू कर दिए थे। आसमान सलेटी , सफेद तो पानी सुनहरे रंग में चांदी की चमक लिए हुए...
एक और शांत ज़मीन तो दूसरी तरफ कोलाहल करता विशाल समुद्र , हर कोने में अलग-अलग दृश्य थे। चट्टानी समुद्री शैवाल, मूंगा चट्टानों, दीवारों, गुफाओं और उसके साथ सीधे सच्चे पापुआ वासी जो आपको बस छू लेने से खुश हो जाते थे।

उनकी मुस्कुराहट .....😊😊
अब आप आश्वस्त हैं कि राजा अम्पात में एक बेजोड़ पानी के नीचे की सुंदरता है। लेकिन सतह के ऊपर पोस्टकार्ड-योग्य आकर्षण पर छूट न दें। पियानोमो में इस देखने वाले डेक की दृष्टि की तरह, जो कि फ़िरोज़ा फ़िरोज़ा पानी के चारों ओर बिखरे हुए हैं।
करीब 300 सीढ़ियां चढ़ के जाना था...
ऊपर हमारा ये इंतज़ार कर रहे थे...
हमारा खेवैया.....
मित्रों को तस्वीरों में कैद करके अब निकलने वाले थे स्टार लैगून के लिए..
इस से पहले आगे बढ़े इन मोहतरमा का ज़िक्र करना ज़रूरी है जिन्होंने चरस बो दी थी।
ये वहीँ पर मिली थी और इन्होंने शाहरुख से लेकर राजेश खन्ना तक सारे पोज़ में करीब 100-200 फ़ोटो खिंचवा डाले थे।

बाद में लोग इनके करीब क्या, नज़र मिलने में हिचक रहे थे।

पर हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी..
ये तस्वीर श्याम श्वेत में नही ली गयी है पर अचानक से समुंदर 50 के दशकों जैसे हिंदी फिल्मों जैसा हो गया था।

काला, सफेद, सलेटी और वो रंग जो पानी का नही होता...

शांत समुंदर फिर से कुलांचे मारने लग गया था और ऐसा लगता था कि समंदर हमारी बोट की गोद मे आजाना चाहता है..
कुछ एक मिंटो बाद फिर से रंगों का मेला लगने लगा था।
स्टार लैगून आने वाला था...

नाम से क्या लगता है आपको ??
सूरज चाचा में अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया था।

ब्यास लगने लगी थी ( बियर की पास को ब्यास कहा जाता है हमारे गावँ में)

थक गए थे ...😢
हिम्मत नही हुई किसी की जाने की ऊपर डेक पर।

हम हिम्मत किये पर ऊपर जाके देखे कि फोन नीचे है 😭😭..

फ़ोटो नही ले पाए 😖😖
ये था ....

स्टार लैगून....

हमने तो आज तक सिर्फ ब्लू लैगून सुना था और चोरी चोरी देखा भी था..

या स्टार वाला तो भाई....
और फिर मन कर आया बंदर बन जाने का...

पानी का रंग,मेरा मतलब , के रंग देख रहे हैं आप ???
अब यहाँ जाना था...
कहते है अगर प्रेमी युगल इसमें डुबकी लगा ले तो उन्हें फिर कोई जुदा नही कर सकता।
फिर तय हुआ कि नही जा सकते यहाँ चूंकि मौसम ने फिर रंग बदलना शुरू कर दिया था और रास्ता करीब 5 घण्टे का था।
एक दूसरे द्वीप पर ले जाया गया जहाँ सिर्फ एक टूटी हुई नाव पड़ी थी या कोई छोड़ गया था पत नहीं..

पर पानी के रंग 😮😮😮
सुनसान द्वीप पर भी प्रकृति सहेज कर रखने का निवेदन किया गया था और दिख भी रहा था।
समुद्र के सारे किनारे साफ सुथरे पड़े हुए थे।

दूर दूर तक टेलिकॉमसेल की लाइन बिछी हुई हैं यहां जो वाकई में अचरज सा लगा मुझे..
झूले यहाँ पर लगभग हर द्वीप पर ऐसे ही समुंदर के यूजर झूलते हुए मिल जायँगे आपको..

झूलीये, झुलाइये या कूद जाइये....
मन तो नही था पर लौटना तो था ही...
धूप वाली सी शाम थी उर रोज़। पत्ते सुनहरे से हो रखे थे। पानी का एक कोना पत्तों से वाले मिलता हुआ उनके रंग में मिल रहा था तो दूसरा कोना आसमान से मिला जा रहा था नीला होते हुए।

दूर पहाड़ बादलों को गले लगाने को बेताब थे।
हम वापिस आ गए थे....
हमारा रथ जाने को तैयार हो रहा था....

फिर मिलेंगे किसी दिन ऐसे ही कहीं किसी अनजानी राह पर...
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